अपडेटेड 6 October 2025 at 23:14 IST
झाबुआ: अंधविश्वास के जाल में फंसा परिवार, तांत्रिक के कहने पर मासूम बच्चों को लोहे के गर्म सलाखों से दागा
Jhabua news: यह पहली बार नहीं है जब झाबुआ में ऐसी घटना हुई है। इससे पहले 2023 में भी झाबुआ जिले में इसी तरह की घटना पर मानवाधिकार आयोग ने कड़ी कार्रवाई की थी। रिपोर्ट तलब कर दोषियों की गिरफ्तारी हो चुकी थी। बावजूद इसके, एक बार फिर झाबुआ में अंधविश्वास ने मासूमों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ किया है।
Jhabua news: मध्य प्रदेश के झाबुआ से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। यहां अंधविश्वास के जाल में एक परिवार फंसा दिखा है। तांत्रिक के कहने पर इन्होंने अपने तीन मासूम बच्चों को लोहे के गर्म सलाखों से दागा है।
जी हां, झाबुआ जिले में अंधविश्वास के नाम पर मासूम बच्चों को इलाज की जगह गर्म सलाखों से दागने का हैरान करने वाला मामला सामने आया है। तीनों बच्चे निमोनिया से पीड़ित थे। इनमें से दो की उम्र मात्र दो माह है और तीनों ही फिलहाल अस्पताल में ऑक्सीजन सपोर्ट पर हैं।
क्या है पूरा मामला?
मिली जानकारी के अनुसार, जिला अस्पताल के पीडियाट्रिशियन डॉ. संदीप चोपड़ा ने थाना प्रभारी को पत्र लिखकर स्थिति से अवगत कराया है। तीनों बच्चों को गंभीर हालत में जिला अस्पताल लाया गया, जहां इलाज के दौरान पता चला कि इन्हें अंधविश्वास में पड़कर लोहे की गरम सलाखों से दाग दिया गया है। इन तीनों में दो बच्चे महज दो-दो महीने के हैं और तीसरी बच्ची छह महीने की है। तीनों बच्चों की हालत नाजुक थी इसलिए अस्पताल में ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखा गया।
बताया गया कि गांव के एक तांत्रिक के कहने पर उन्होंने अपने ही बच्चों के शरीर पर गर्म सलाखों से दाग दिया। पहली बच्ची, जिसकी उम्र सिर्फ दो महीने है, उसका पूरा उपचार डॉक्टरों की देखरेख में चल रहा था, लेकिन इलाज के बीच उसकी गर्दन और पेट पर लकड़ी या लोहे की गर्म छड़ों से कई जगह जले हुए घाव बना दिए गए। दूसरी घटना भी एक दो महीने के मासूम से जुड़ी है, जिसे विशेषज्ञ डॉक्टर ऑक्सीजन पर रखकर बचाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन उसके नन्हे बदन पर पेट के पास तीन गहरे दाग मिले। तीसरी, छह महीने की बच्ची के पेट के दोनों ओर और पीठ के हिस्से पर दागने के ताजा निशान हैं, और वह भी अस्पताल के बिस्तर पर दर्द से कराह रही है। इन बच्चों की चीखें और उनकी मांओं की बेबसी झाबुआ जिले के हर नागरिक का दिल दहला रही हैं।
अंधविश्वास से मासूम की जान तक जा सकती है - डॉक्टर
डॉक्टर और स्वास्थ्य अमला इस घटना से स्तब्ध हैं। जिला अस्पताल के पीडियाट्रिक इंचार्ज डॉ. संदीप चोपड़ा ने पूरे मामले की जानकारी थाना प्रभारी को लिखित में दी और जोर देकर कहा कि ऐसा इलाज अमानवीय और खतरनाक है। डॉक्टरों ने साफ कहा है कि निमोनिया या ऐसे संक्रमण का इलाज सिर्फ अस्पताल में डॉक्टरों की निगरानी में किया जाना चाहिए, अंधविश्वास से तो मासूम की जान तक जा सकती है। प्रशासन और पुलिस सक्रिय हुए हैं।
2023 की घटना में हुई दी गिरफ्तारी
यह पहली बार नहीं है जब झाबुआ में ऐसी घटना हुई है। इससे पहले 2023 में भी झाबुआ जिले में इसी तरह की घटना पर मानवाधिकार आयोग ने कड़ी कार्रवाई की थी। रिपोर्ट तलब कर दोषियों की गिरफ्तारी हो चुकी थी। बावजूद इसके, एक बार फिर झाबुआ में अंधविश्वास ने मासूमों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ किया है।
Published By : Amit Dubey
पब्लिश्ड 6 October 2025 at 23:13 IST