अपडेटेड 15 July 2025 at 21:20 IST

इंदौर की लगातार 8वीं बना भारत का सबसे स्वच्छ शहर, एक IAS अधिकारी के 'मॉर्निंग अलार्म' ने अभियान में डाली जान

भारत सरकार द्वारा स्वच्छ सर्वेक्षण 2024-25 पुरस्कारों की घोषणा कर दी गई है और एक बार फिर इंदौर ने लगातार आठवीं बार देश के सबसे स्वच्छ शहर का प्रतिष्ठित खिताब अपने नाम कर लिया है।

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इंदौर लगातार 8वीं बना भारत का सबसे स्वच्छ शहर | Image: X

भारत सरकार द्वारा स्वच्छ सर्वेक्षण 2024-25 पुरस्कारों की घोषणा कर दी गई है और एक बार फिर इंदौर ने लगातार आठवीं बार देश के सबसे स्वच्छ शहर का प्रतिष्ठित खिताब अपने नाम कर लिया है। इस ऐतिहासिक जीत का जश्न 17 जुलाई को मनाया जाएगा, जब राष्ट्रपति द्वारा औपचारिक रूप से यह पुरस्कार प्रदान किया जाएगा। यह उपलब्धि केवल नगर निगम की शानदार सफाई व्यवस्था या नागरिकों की सजगता का परिणाम नहीं है, बल्कि एक अनोखे संगीत आंदोलन का भी नतीजा है जिसने पूरे शहर को साफ-सफाई के संदेश के साथ जोड़ दिया।

इस संगीतमय यात्रा की शुरुआत 2016 में हुई थी, जब इंदौर ने स्वच्छता की दिशा में बड़े अभियान चलाए। उसी दौरान एक गीत ने पूरे शहर की धड़कनों को एक कर दिया- ‘हो हल्ला’। इसे लिखा IAS अधिकारी पी नरहरि ने और संगीतबद्ध किया दार्शनिक व संगीतकार देवऋषि (जो तब ऋषिकेश पांडेय के नाम से जाने जाते हैं) ने। लोकप्रिय गायक शान की आवाज में यह गीत महज एक प्रचार सामग्री से कहीं बढ़कर इंदौर का एक जन-गान बन गया। लोग इसे शादियों में, गरबे में और यहां तक कि सुबह नगर निगम की गाड़ियों पर गुनगुनाते हुए सुने जाने लगे। देवऋषि कहते हैं, “यह सिर्फ एक गाना नहीं था; यह एक सामूहिक चेतना बन गया था। इसकी धुन लोगों को सक्रिय करती थी, और इसका संदेश उनके दिलों में गहराई से उतर जाता था।”

स्वच्छता गीतों का सिलसिला- हर साल एक नई धुन

इस संगीतमय पहल को हर साल नए आयाम दिए गए। 2017 में ‘हो हल्ला अगेन’ आया, जिसने पुरानी ऊर्जा को बनाए रखा। फिर 2018 में, शहर की हैट्रिक जीत पर ‘हैट्रिक’ गीत जारी हुआ, जिसमें शान के साथ पायल देव और जुबिन नौटियाल की आवाजें भी जुड़ीं। चौथी जीत के लिए ‘चौका’ में शंकर महादेवन ने अपनी आवाज दी, और 2024 में सोनू निगम की आवाज में ‘हल्ला बोल – स्वच्छता का सिरमौर इंदौर’ ने एक बार फिर शहर में उत्साह भर दिया।

इन सभी गीतों का संगीत निर्देशन देवऋषि ने किया, और हर गीत की रचना में पी नरहरि का योगदान रहा। ये गाने सिर्फ सोशल मीडिया तक सीमित नहीं रहे; इन्हें नगर निगम के वाहनों पर, सार्वजनिक आयोजनों में और स्कूलों में बजाया गया, जिससे ये पूरे शहर की सड़कों, गलियों और मोहल्लों में गूंजते रहे। इंदौर के नागरिक इन्हें प्यार से ‘मॉर्निंग अलार्म’ कहने लगे थे, क्योंकि ये हर सुबह स्वच्छता का संदेश देते थे।

संगीत और चेतना का संगम

इंदौर की यह कहानी सिर्फ एक शहर के प्रशासनिक प्रयासों तक सीमित नहीं है। यह दर्शाती है कि जब कला (संगीत), प्रशासन और समाज की सक्रिय भागीदारी एक साथ आती है, तो परिणाम केवल पुरस्कारों तक सीमित नहीं रहते, बल्कि वे सामूहिक संस्कृति का स्थायी हिस्सा बन जाते हैं। यह एक ऐसा मॉडल है जहां नागरिकों को प्रेरित करने के लिए भावनात्मक और सांस्कृतिक साधनों का प्रभावी ढंग से उपयोग किया गया।

स्वच्छ भारत अभियान में देवऋषि और उनकी टीम ने यह सिद्ध कर दिया कि जागरूकता फैलाने और व्यवहार परिवर्तन लाने में संगीत एक शक्तिशाली माध्यम हो सकता है। आज देवऋषि सनातन विजडम के माध्यम से वैदिक ध्वनि विज्ञान और मानसिक स्वास्थ्य पर शोध कर रहे हैं, लेकिन इंदौर की गलियों में गूंजता उनका संगीत आज भी लोगों के दिलों में स्वच्छता का संदेश दोहरा रहा है।

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Published By : Ankur Shrivastava

पब्लिश्ड 15 July 2025 at 21:20 IST