अपडेटेड 10 December 2022 at 11:16 IST

Betul: आखिरकार हार गई 'जिंदगी'; करीब 80 घंटे तक ऑपरेशन, बचाने में जुटी थी पूरी 'फौज', फिर भी नहीं बच सकी Tanmay की जान

करीब 80 घंटे के रेस्क्यू ऑपरेशन (Rescue Operation) के बाद मासूम तन्मय को गहरे बोरवेल से तो निकाल लिया गया, मगर तब तक काफी देर हो चुकी थी।

Follow :  
×

Share


| Image: self

मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के बैतूल में बोरवेल के अंदर गिरे मासूम तन्मय आखिर में मौत से जंग हार गया। 3 दिन तक तन्मय बोरवेल के अंधेरे में मौत से जंग लड़ता रहा, उस तक मदद पहुंचाने के लिए रात दिन करीब 80 घंटे तक 'मिशन जिंदगी' चला, मगर जब राहत की सांस पहुंच नहीं सकी तो आखिर में जिंदगी के लिए लड़ते लड़ते तन्मय की सांसें वहीं थम गईं। करीब 80 घंटे के रेस्क्यू ऑपरेशन (Rescue Operation) के बाद मासूम तन्मय को गहरे बोरवेल से तो निकाल लिया गया, मगर तब तक काफी देर हो चुकी थी। अंधेरे में ही उसकी जिंदगी गुम हो गई थी।

6 दिसंबर की शाम थी। तन्मय का परिवार हर रोज की तरह अपनी दिनचर्या में लगा था। तन्मय मासूम था, उसकी महज 8 साल की उम्र थी। तन्मय भी अपने बचपन को जी रहा था, वो खेल रहा था। लेकिन उसको मालूम नहीं था कि वो जहां खेल रहा है, वहां उसकी मौत पहले से घर कर बैठी थी। तन्मय अपने खेल में मस्त था और उधर मौत ने अपना खेल शुरू कर दिया था। 6 दिसंबर को शाम करीब 5 बजे खेलते खेलते तन्मय बोरवेल के अंदर गिर गया। तन्मय बोरवेल के अंदर 35 से 40 फुट की गहराई में जा फंसा था। 

यह भी पढ़ें: Cyclone Mandous: चक्रवाती तूफान 'मैंडूस' ने मचाई तबाही; आंधी से उखड़े पेड़, गिर पड़ी दीवारें, रेड अलर्ट जारी

तन्मय की बहन वहां थी, उसने अपने भाई को गिरते देखा था, लेकिन वो बेचारी उसको बचा ना सकी थी। वो भी मासूम थी, मगर अपने भाई के गिरने पर वह भागी दौड़ी और पूरी बात माता-पिता को बताई। यह सब बातें तन्मय के पिता ने मीडिया के सामने बताई थीं। पिता ने बताया था कि जब तन्मय गिरा था तो बोरवेल में उसकी सांसें चल रही थीं। बोलवेल में तन्मय को आवाज लगाई थी तो आवाज भी कानों में पड़ी थी। 6 दिसंबर की शाम करीब 5 बजे 8 वर्षीय तन्मय साहू खेलते समय बोरवेल में गिरा और अगले एक घंटे में रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू हो गया। राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (एसडीआरएफ), होमगार्ड और स्थानीय पुलिस की टीमों ने तन्मय को बचाने का अभियान शुरू किया। 

इधर, तन्मय का परिवार टूटने लगा था। मां अपने लाल के लिए बिलखने लगी थी। रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू होने पर परिवार को उम्मीद जगी थी कि उनका बेटा जिंदा लौटकर आ जाएगा। लेकिन जब वक्त लगने लगा था और तन्मय की कोई खबर नहीं लगी थी तो परिवार को चिंता सताने लगी थी। तन्मय की मां ज्योति साहू को अपना बेटा चाहिए था। वो रोते बिलखते कह रही थीं कि कुछ भी करो, उनको उनका बेटा दे दो। धीरे धीरे रेस्क्यू ऑपरेशन में वक्त लगने लगा था। तन्मय के लिए प्रार्थनाएं और दुआएं भी होने लगी थीं। जिस स्कूल में तन्मय पढ़ा करता था, वहां उसके लिए प्रार्थना की गई। इसके साथ पढ़ने वाले बच्चों के अलावा टीचर और छात्रों ने गायत्री मंत्र का जाप किया। 

यह भी पढ़ें: Punjab: तरनतारन में पुलिस थाने पर हमला, मचा हड़कंप, खालिस्तानी संगठन ने ली जिम्मेदारी

उधर, रेस्क्यू ऑपरेशन करने वाली टीमों के सामने तन्मय को बचाने की चुनौती थी। बोरवेल से तन्मय को निकालने के लिए कोई मशीन या तकनीक काम नहीं आ रही थी तो चिताएं और बढ़ने लगी थीं। फिर तन्मय को निकालने के लिए एक समानांतर गड्ढा खोदा गया। कई घंटे बीत गए थे। रेस्क्यू ऑपरेशन में बहुत सी बाधाएं आईं, फिर भी टीमों ने हार नहीं मानी। राहत और बचाव कार्य में जुटी टीमों ने सुरंग खोद डाली थी, लेकिन तन्मय का कोई सुराग हाथ नहीं लगा था। 

सभी टीमें पिछले चार दिनों से काम में लगी हुई थीं। आखिर में सुरंग के जरिए तन्मय तक टीम पहुंच सकी और उसे बाहर निकाल लिया गया। करीब 80 घंटे तक पूरा रेस्क्यू ऑपरेशन चला, मगर तन्मय की सांसें तब तक थम चुकी थीं। फिलहाल तन्मय के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है। लेकिन उसके परिवार का रो रोकर बुरा हाल है। उधर, सरकार ने परिवार को आर्थिक मदद देने की घोषणा की है। 

Published By : Dalchand Kumar

पब्लिश्ड 10 December 2022 at 11:16 IST