अपडेटेड 17 October 2023 at 07:18 IST
Maa Chandraghanta: नवरात्रि का तीसरा दिन आज, ऐसे मिला था मां दुर्गा को चंद्रघंटा का नाम, जानें पूरी कहानी
Navratri का आज तीसरा दिन है, जो मां चंद्रघंटा को समर्पित है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि मां दुर्गा को Chandraghanta नाम क्यों और कैसे पड़ा?
Navratri Third Day Maa Chandraghanta: नौ दिनों की नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूप की पूजा की जाती है। हर रूप की अपनी अलग कहानी और वजह है। मंगलवार को नवरात्रि (Navratri) का तीसरा दिन है और यह मां चंद्रघंटा को समर्पित किया गया है, लेकिन शायद ही कोई जानता हो कि मां को यह नाम कैसे और क्यों दिया गया। तो चलिए जानते हैं जगत जननी ने मां चंद्रघंटा (Maa Chandraghanta) का रूप क्यों धरा इसके पीछे की क्या कहानी है।
स्टोरी में आगे ये पढ़ें...
- कैसा है मां चंद्रघंटा का स्वरूप?
- क्यों की जाती है मां चंद्रघंटा की पूजा?
- कैसे मिला दुर्गा जी को मां चंद्रघंटा का नाम?
कैसा है मां चंद्रघंटा का स्वरूप?
देवी दुर्गा के तीसरे स्वरूप को चंद्रघंटा (Maa Chandraghanta) के नाम से जाना जाता है। इनकी सवारी शेर है और दस हाथों में कमल और कमडंल के अलावा अस्त्र-शस्त्र हैं। वहीं इनके माथे पर अर्द्ध चंद्र है जो इनकी पहचान है। इने गले में सफेद फूलों की माला और सिर पर रत्न जड़ित मुकुट विराजमान है।
क्यों की जाती है मां चंद्रघंटा की पूजा?
मान्यता है कि मां चंद्रघंटा की पूजा करने से मन को शांति और परम शक्ति का अनुभव होता है। यही वजह है कि इनकी पूजा की जाती है।
कैसे मिला दुर्गा जी को Maa Chandraghanta का नाम क्या है कहानी?
पौराणिक कथाओं के मुताबिक देवी दुर्गा ने मां चंद्रघंटा का रूप तब धारण किया था, जब महिषासुर नाम के दैत्य का आतंक स्वर्ग पर बढ़ने लगा था। बहुत समय तक महिषासुर का आंतक और भयंकर युद्ध देवताओं के साथ चल रहा था, क्योंकि महिषासुर देवराज इंद्र का सिंहासन हासिल करना चाहता था और स्वर्ग लोक पर अपना आधिपत्य जमाना चाहता है। जब देवताओं को इसका पता चला तो सभी परेशान हो गए और भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश के पास पहुंचे।
त्रिदेवों ने जब देवताओं की बात सुनी तो उन्हें बहुत क्रोध आया। कहा जाता है कि इसी क्रोध से त्रिदेवों के मुख से एक ऊर्जा निकली और उसी ऊर्जा से एक देवी अवतरित हुईं, जिनका नाम मां चंद्रघंटा (Maa Chandraghanta) है। देवी को भगवान शंकर ने अपना त्रिशूल, विष्णुजी ने अपना चक्र, इंद्र ने अपना घंटा, सूर्य ने अपना तेज प्रदान किया। इसके बाद मां चंद्रघंटा ने महिषासुर का वध कर देवताओं और स्वर्ग लोक की रक्षा की।
ऐसे पड़ा मां चंद्रघंटा का नाम
देवी दुर्गा के मां चंद्रघंटा (Maa Chandraghanta) स्वरूप के मस्तक पर घंटे के आकार का आधा चंद्र है। इसीलिए इन्हें चंद्रघंटा के नाम से जाना जाता है।
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Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।
Published By : Sadhna Mishra
पब्लिश्ड 17 October 2023 at 07:08 IST