अपडेटेड 23 May 2025 at 15:53 IST

देश में कहां है वो गांव, जहां हर मर्द की है दो-दो बीवियां? दूसरी शादी करने का है अजीबो-गरीब कारण

राजस्थान की यह विशेष परंपरा बताती है कि भारत में विविधता केवल भाषा, भोजन और पहनावे में ही नहीं, बल्कि पारिवारिक ढांचे और सामाजिक रीति-रिवाजों में भी गहराई से रची-बसी है।

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देश में कहां है वो गांव, जहां हर मर्द की है दो-दो बीवियां? दूसरी शादी करने का है अजीबो-गरीब कारण | Image: Meta- AI

राजस्थान अपनी समृद्ध संस्कृति और अनोखी परंपराओं के लिए दुनियाभर में मशहूर है, आज भी कई ऐसे रीति-रिवाजों को जीवित रखे हुए है, जो सुनने में भले ही असामान्य लगें, लेकिन स्थानीय लोग इन्हें पीढ़ियों से निभाते आ रहे हैं। इसी सांस्कृतिक विविधता के बीच राजस्थान का एक गांव ऐसा भी है, जहां हर पुरुष दो शादियां करता है और यह परंपरा कोई नई नहीं, बल्कि सदियों पुरानी है। यह प्रथा आज भी पूरी निष्ठा से निभाई जाती है और गांव के लोग इसे सामाजिक और पारिवारिक व्यवस्था का हिस्सा मानते हैं। इस परंपरा के पीछे सामाजिक, आर्थिक और पारिवारिक कारण भी बताए जाते हैं, हालांकि बाहरी लोगों के लिए यह अचरज का विषय हो सकता है। लेकिन स्थानीय लोगों के लिए यह एक सामान्य और स्वीकृत जीवनशैली है।


राजस्थान की यह विशेष परंपरा बताती है कि भारत में विविधता केवल भाषा, भोजन और पहनावे में ही नहीं, बल्कि पारिवारिक ढांचे और सामाजिक रीति-रिवाजों में भी गहराई से रची-बसी है। राजस्थान के एक गांव में वर्षों से चली आ रही एक अनोखी परंपरा अब सवालों के घेरे में है। मान्यता है कि यदि किसी पुरुष को संतान विशेषकर पुत्र नहीं होता, तो उसकी दूसरी शादी कराई जाती है और कहा जाता है कि इसके बाद उसे बेटा पैदा होता है। इस विश्वास के चलते इस गांव में लंबे समय से पुरुषों द्वारा दो विवाह करने की परंपरा रही है। हालांकि, समय के साथ सामाजिक सोच में बदलाव आ रहा है। अब गांव की युवा पीढ़ी इस परंपरा से खुद को असहमत पाती है और इसे निभाने से इनकार कर रही है। युवा इसे अंधविश्वास मानते हैं और मानते हैं कि संतान का होना या न होना केवल शादी की संख्या से जुड़ा नहीं है, बल्कि यह प्राकृतिक प्रक्रिया और चिकित्सा विज्ञान से संबंधित विषय है।


गांव की नई पीढ़ियों ने इस परंपरा का किया विरोध

यह गांव राजस्थान की पारंपरिक विरासत और बदलती सोच दोनों का प्रतीक बनकर उभर रहा है जहां एक ओर सांस्कृतिक रीतियों की जड़ें गहरी हैं, वहीं दूसरी ओर युवा अब बदलाव की राह पर चल पड़े हैं।
राजस्थान में यह विश्वास पीढ़ियों से गांव में प्रचलित है, और इसी धारणा के चलते कई पुरुषों ने दूसरी शादी को सामाजिक रूप से स्वीकृत मान लिया है। इस परंपरा के पीछे यह धारणा काम करती है कि दूसरी पत्नी से पुत्र की प्राप्ति संभव है। हालांकि, गांव की नई पीढ़ी इस प्रथा को लेकर असहमति जताने लगी है। युवाओं का मानना है कि संतान का लिंग या गर्भधारण की प्रक्रिया जैविक और चिकित्सीय कारकों पर निर्भर करती है, न कि विवाह की संख्या पर। सामाजिक कार्यकर्ताओं और चिकित्सा विशेषज्ञों का भी कहना है कि ऐसे अंधविश्वास न केवल महिलाओं के अधिकारों का हनन करते हैं, बल्कि समाज में लैंगिक भेदभाव को भी बढ़ावा देते हैं। यह बदलाव दर्शाता है कि ग्रामीण भारत में परंपराएं अब सवालों के घेरे में हैं, और युवा पीढ़ी सामाजिक सुधार की दिशा में आगे बढ़ रही है।


इस गांव में हर शख्स की दोनों पत्नियों में रहता है बेहतरीन सामंजस्य

राजस्थान की एक विशेष बस्ती रामदेयो की बस्ती अपने अनोखे पारिवारिक ढांचे और सामाजिक परंपरा के लिए जानी जाती है। यहां के हर पुरुष की दो पत्नियां होती हैं, और आश्चर्य की बात यह है कि इन रिश्तों में टकराव नहीं, बल्कि आपसी समझ और सौहार्द देखने को मिलता है। स्थानीय लोगों का कहना है कि यहां दोनों पत्नियां बहनों की तरह एक-दूसरे के साथ रहती हैं, एक ही छत के नीचे जीवन बिताती हैं, और आपसी सामंजस्य से अपने परिवार का पालन-पोषण करती हैं। वे अपने पति को साझा करने को सामाजिक व्यवस्था का हिस्सा मानती हैं, न कि प्रतिस्पर्धा का कारण। गांव के निवासियों का मानना है कि इस परंपरा ने पारिवारिक संघर्ष को कम किया है और महिलाओं के बीच गहरी मित्रता व सहयोग की भावना विकसित की है। हालांकि यह प्रथा बाहरी समाज के लिए असामान्य हो सकती है, लेकिन यहां यह एक स्वीकृत और स्थिर सामाजिक ढांचे के रूप में मौजूद है।

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Published By : Ravindra Singh

पब्लिश्ड 23 May 2025 at 15:53 IST