अपडेटेड 29 April 2024 at 22:14 IST
छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन के आलोक शुक्ला को ‘गोल्डमैन एनवायर्नमेंटल प्राइज़-2024’ से नवाजा जाएगा
वन और आदिवासी अधिकार कार्यकर्ता आलोक शुक्ला को प्रतिष्ठित ‘गोल्डमैन एनवायर्नमेंटल प्राइज़-2024’ से सम्मानित किया जाएगा।
वन और आदिवासी अधिकार कार्यकर्ता आलोक शुक्ला को प्रतिष्ठित ‘गोल्डमैन एनवायर्नमेंटल प्राइज़-2024’ से सम्मानित किया जाएगा। शुक्ला को यह पुरस्कार एक सामुदायिक अभियान का सफलतापूर्वक नेतृत्व करने के लिए दिया जा रहा है। इस अभियान से छत्तीसगढ़ में प्रस्तावित 21 कोयला खदानों से 4,45,000 (4.45 लाख) एकड़ जंगलों को बचाया जा सका, जो जैव विविधता से समृद्ध हैं।
‘ग्रीन नोबेल’ कहा जाने वाला यह पुरस्कार दुनिया के छह महाद्वीपीय क्षेत्रों के जमीनी स्तर के पर्यावरण नायकों को दिया जाता है। ‘गोल्डमैन एनवायर्नमेंटल फाउंडेशन’ के एक बयान में उल्लेख किया गया है कि सरकार ने हसदेव अरण्य में 21 प्रस्तावित कोयला खदानों की नीलामी रद्द कर दी, जिनके वनों को छत्तीसगढ़ का फेफड़ा कहा जाता है और यह भारत के सबसे बड़े वन क्षेत्रों में से एक है।
इस वन क्षेत्र में 25 लुप्तप्राय प्रजातियां, पक्षियों की 92 प्रजातियां और दुर्लभ और औषधीय पौधों की 167 प्रजातियां भी पाई जाती हैं। लगभग 15,000 आदिवासी अपनी आजीविका, सांस्कृतिक पहचान और भरण-पोषण के लिए हसदेव अरण्य जंगलों पर निर्भर हैं। यह क्षेत्र भारत के सबसे बड़े कोयला भंडारों में से एक है। अनुमान के मुताबिक हसदेव जंगलों के नीचे पांच अरब टन कोयला है।
शुक्ला (43) ने 2012 में हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति का गठन किया और एकीकृत आंदोलन में स्थानीय समुदायों को शामिल किया। उन्होंने जून 2020 में प्रस्तावित कोयला खदानों की नीलामी के विरोध में ग्रामीणों को संगठित करना शुरू किया। सामुदायिक विरोध के कारण सरकार को सितंबर 2020 में तीन खदानों की नीलामी वापस लेनी पड़ी और अक्टूबर 2021 में अतिरिक्त 14 खदानों की प्रक्रिया रद्द कर दी गई।
छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन के संयोजक शुक्ला को हैशटैग ‘सेव हसदेव’ के जरिए सोशल मीडिया और डिजिटल मंचों पर व्यापक समर्थन मिला। ‘गोल्डमैन एनवायर्नमेंटल प्राइज़’ की स्थापना 1989 में सैन फ्रांसिस्को के परोपकारी रिचर्ड और रोडा गोल्डमैन द्वारा की गई थी।
Published By : Shubhamvada Pandey
पब्लिश्ड 29 April 2024 at 22:14 IST