अपडेटेड 20 August 2024 at 12:36 IST
'देश एक और हत्या-रेप केस का इंतजार नहीं कर सकता', डॉक्टर्स की सुरक्षा को लेकर SC ने बनाई टास्क फोर्स
कोलकाता की घटना पर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जताई और कहा कि हमने संज्ञान इसलिए लिया है, क्योंकि हत्या के अलावा मामला देशभर में डॉक्टरों की सुरक्षा को लेकर भी है।
National Task Force: कोलकाता में ट्रेनी महिला डॉक्टर के रेप और हत्या मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सख्त कदम उठाए हैं। मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि देश एक और हत्या रेप मामले का इंतजार नहीं कर सकता है। अस्पतालों में डॉक्टर्स की सुरक्षा को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला लिया है। अदालत ने नेशनल टास्क फोर्स का गठन किया है, जिसमें सर्जन वाइस एडमिरल आरती सरीन, एशियन इंस्टीट्यूट ऑफ नेशनल गैस्ट्रोलॉजी के प्रबंध निदेशक डॉक्टर नागेश्वर रेड्डी और अन्य शामिल हैं।
कोलकाता की घटना पर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जताई और कहा कि हमने संज्ञान इसलिए लिया है, क्योंकि इसमें हत्या के अलावा देशभर में डॉक्टरों की सुरक्षा को लेकर भी हैं। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने सीबीआई से गुरुवार तक स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है। अदालत ने कहा कि सीबीआई इस मामले में गुरुवार तक स्टेट्स रिपोर्ट दाखिल करे। जांच इस समय नाजुक दौर में है। इसलिए डायरेक्ट रिपोर्ट कोर्ट में दी जाए। डीवाई चंद्रचूड़ ने टिप्पणी की कि हम एक नेशनल टास्क फोर्स बनाना चाहते हैं, जिसमें सभी डॉक्टरों की भागीदारी हो। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने एक नेशनल टास्क फोर्स बनाई।
नेशनल टास्क फोर्स में कौन-कौन शामिल?
- एडमिरल आरती सरीन, महानिदेशक चिकित्सा सेवा नौसेना
- एशियन इंस्टीट्यूट ऑफ नेशनल गैस्ट्रोलॉजी के प्रबंध निदेशक डॉक्टर नागेश्वर रेड्डी
- डॉ एम श्रीनिवास, एम्स दिल्ली निदेशक
- डॉ प्रतिमा मूर्ति, एनआई एमएचएएनएस बैंगलोर
- डॉ. गोवर्धन दत्त पुरी, एम्स जोधपुर
- डॉ. सौमित्र रावत, सर गंगाराम हॉस्पिटल दिल्ली
- प्रोफेसर अनिता सक्सेना, कुलपति
- पल्लवी सैपले, जेजे ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स
- पद्मा श्रीवास्तव, चेयरपर्सन न्यूरोलॉजी, पारस हॉस्पिटल गुरुग्राम
डॉक्टर्स की सुरक्षा और व्यवस्था पर सवाल उठाए
अस्पतालों में डॉक्टर्स की सुरक्षा और उनके लिए व्यवस्था को लेकर भी सुप्रीम कोर्ट ने सवाल खड़े किए हैं। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि राज्यों के मौजूदा कानून डॉक्टरों और चिकित्साकर्मियों के लिए संस्थागत सुरक्षा मानकों को पर्याप्त नहीं हैं। चीफ जस्टिस ने अपनी टिप्पणी में कहा, 'डॉक्टरों के पास आराम करने के लिए जगह नहीं है। उनके लिए बुनियादी स्वच्छता का ख्याल नहीं रखा जाता है। चिकित्सा स्वास्थ्य सेवा इकाइयों में सुरक्षा की कमी है। डॉक्टरों को अनियंत्रित रोगियों को संभालने के लिए छोड़ दिया जाता है। अस्पताल में चिकित्सा पेशेवरों के लिए केवल एक सामान्य शौचालय है और शौचालय तक पहुंचने के लिए लंबी दूरी तय करनी पड़ती है।'
Published By : Dalchand Kumar
पब्लिश्ड 20 August 2024 at 12:29 IST