अपडेटेड 30 September 2024 at 20:31 IST
Kolkata Docter Rape Case: ममता सरकार को 'सुप्रीम' फटकार, काम में 'धीमी गति' को लेकर जताई नाराजगी
न्यायालय ने पूर्व के अपने आदेश को दोहराया कि किसी भी मध्यस्थ मंच (सोशल मीडिया मंच) को पीड़िता का नाम और फोटो प्रकाशित करने की अनुमति नहीं है।
Kolkata Docter Rape: उच्चतम न्यायालय ने पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा अस्पतालों में सीसीटीवी लगाने और शौचालयों तथा अलग विश्राम कक्षों के निर्माण में ‘‘धीमी’’ प्रगति पर सोमवार को अप्रसन्नता जताई और राज्य सरकार को काम को 15 अक्टूबर तक पूरा करने का निर्देश दिया।
शीर्ष अदालत कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में प्रशिक्षु चिकित्सक के साथ बलात्कार और हत्या के मामले में स्वत: संज्ञान लेकर शुरू किये गए मामले पर सुनवाई कर रही थी।
सोशल मीडिया पर पीड़िता का नाम और फोटो प्रकाशित की इजाजत नहीं- कोर्ट
न्यायालय ने पूर्व के अपने आदेश को दोहराया कि किसी भी मध्यस्थ मंच (सोशल मीडिया मंच) को पीड़िता का नाम और फोटो प्रकाशित करने की अनुमति नहीं है। सुनवाई शुरू होते ही वकील वृंदा ग्रोवर ने प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ को बताया कि मृत प्रशिक्षु चिकित्सक के माता-पिता सोशल मीडिया में बार-बार उसके नाम और तस्वीरों का खुलासा करने वाली क्लिप से व्यथित हैं।
शीर्ष अदालत ने कहा कि वह इस मुद्दे पर पहले ही आदेश पारित कर चुकी है और आदेश को लागू करना कानून लागू करने वाली एजेंसियों का काम है। अदालत ने पूर्व के आदेश को स्पष्ट करते हुए कहा कि यह सभी मध्यस्थ मंचों पर लागू होता है।
सीबीआई की जांच में ठोस सुराग मिले हैं- कोर्ट
पीठ ने कहा कि केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की जांच में ठोस सुराग मिले हैं और उसने कथित बलात्कार और हत्या तथा वित्तीय अनियमितताओं दोनों पहलुओं पर बयान दिए हैं।
सुनवाई के दौरान, शीर्ष अदालत ने सीबीआई की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा कि आरजी कर अस्पताल में वित्तीय अनियमितताओं के आरोपों का सामना कर रहे कितने कर्मी कार्यरत हैं, जिनके खिलाफ जांच की जा रही है। अदालत ने उचित कार्रवाई के लिए राज्य सरकार के साथ जानकारी साझा करने को कहा।
अस्पतालों में सीसीटीवी लगाने, शौचालयों और अलग विश्राम कक्षों के निर्माण में पश्चिम बंगाल सरकार की प्रगति पर अप्रसन्नता जताते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि यह ‘‘धीमी’’ है।
डॉक्टरों के विरोध के मुद्दे पर पश्चिम बंगाल सरकार ने पीठ को बताया कि रेजिडेंट डॉक्टर आंतरिक रोगी विभाग और बाह्य रोगी विभाग का काम नहीं कर रहे हैं। रेजिडेंट डॉक्टरों की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने इस दलील का विरोध करते हुए कहा कि वे सभी आवश्यक और आपातकालीन सेवाओं में हिस्सा ले रहे हैं।
कोर्ट ने एनटीएफ की प्रगति पर एक रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया
शीर्ष अदालत ने मेहता को राष्ट्रीय कार्यबल (एनटीएफ) की प्रगति पर एक रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया और बलात्कार-हत्या मामले में सुनवाई 14 अक्टूबर तक के लिए स्थगित कर दी।
शीर्ष अदालत ने 17 सितंबर को कहा था कि वह बलात्कार-हत्या मामले में सीबीआई द्वारा दाखिल वस्तु स्थिति रिपोर्ट में दिए गए निष्कर्षों से परेशान है, लेकिन विवरण देने से इनकार करते हुए कहा कि किसी भी खुलासे से जांच खतरे में पड़ सकती है।
नौ सितंबर को, शीर्ष अदालत ने कोलकाता के आर जी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में एक प्रशिक्षु चिकित्सक से बलात्कार और हत्या के मामले में उसके समक्ष पेश रिकॉर्ड से ‘‘चालान’’ की गैरमौजूदगी पर चिंता व्यक्त की थी और पश्चिम बंगाल सरकार से रिपोर्ट मांगी थी। यह ‘‘चालान’’ प्रशिक्षु चिकित्सक के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजने वाला एक महत्वपूर्ण दस्तावेज था।
शीर्ष अदालत ने 22 अगस्त को अस्पताल में बलात्कार और हत्या की शिकार महिला डॉक्टर की अप्राकृतिक मौत का मामला दर्ज करने में देरी पर कोलकाता पुलिस को फटकार लगाते हुए इसे ‘‘बेहद परेशान’’ करने वाला कहा था, और आगे के घटनाक्रम तथा प्रक्रियात्मक औपचारिकताओं के समय पर सवाल उठाए थे।
कोर्ट ने राज्य सरकार को लगाई थी फटकार
शीर्ष अदालत ने डॉक्टरों और अन्य स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक प्रोटोकॉल तैयार करने को लेकर 10 सदस्यीय राष्ट्रीय कार्यबल का गठन किया था। शीर्ष अदालत ने इस घटना को ‘‘भयावह’’ करार देते हुए प्राथमिकी दर्ज करने में देरी और अस्पताल में हजारों लोगों द्वारा तोड़फोड़ के मुद्दे पर राज्य सरकार को फटकार लगाई थी।
सरकारी अस्पताल के सेमिनार हॉल में जूनियर डॉक्टर से बलात्कार और हत्या के बाद देश भर में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया था। गंभीर चोट के निशान के साथ महिला डॉक्टर का शव नौ अगस्त को मिला था। अगले दिन मामले में कोलकाता पुलिस ने एक नागरिक स्वयंसेवक को गिरफ्तार किया था। कलकत्ता उच्च न्यायालय ने 13 अगस्त को जांच को कोलकाता पुलिस से सीबीआई को स्थानांतरित करने का आदेश दिया, जिसने 14 अगस्त को अपनी जांच शुरू की।
(Note: इस भाषा कॉपी में हेडलाइन के अलावा कोई बदलाव नहीं किया गया है)
Published By : Deepak Gupta
पब्लिश्ड 30 September 2024 at 20:31 IST