अपडेटेड 22 August 2024 at 21:56 IST

कोलकाता डॉक्टर रेपकांड: सुप्रीम कोर्ट ने जांच में खामियों को लेकर पुलिस को लगाई फटकार

कोलकाता में डॉक्टर के साथ दुष्कर्म और हत्या के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कोलकाता पुलिस की देरी और लापरवाही पर कड़ी नाराजगी जताई।

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सुप्रीम कोर्ट | Image: PTI

Kolkata Rape Murder Case: कोलकाता में डॉक्टर के साथ दुष्कर्म और हत्या के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कोलकाता पुलिस की देरी और लापरवाही पर कड़ी नाराजगी जताई। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में महिला डॉक्टर से दुष्कर्म और हत्या के मामले में कोलकाता पुलिस की ओर से अप्राकृतिक मौत का मामला दर्ज करने में देरी बेहद चिंता का विषय है। कोर्ट ने इस घटना के संबंध में कोलकाता की पुलिस की जांच में हुई प्रक्रियागत खामियों पर सवाल उठाए हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने इस घटना के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे डॉक्टरों से भी काम पर लौटने की अपील की। कोर्ट ने कहा कि 'न्याय और औषधि' दोनों को रोका नहीं जा सकता। इसके साथ ही केंद्र और राज्यों को निर्देश दिया कि डॉक्टरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए तत्काल कदम उठाए जाएं।

CBI जांच में पुलिस की भूमिका पर सवाल

सुप्रीम कोर्ट ने कोलकाता पुलिस की जांच में खामियों को उजागर करते हुए, उनके काम में ढिलाई को गंभीरता से लिया। सीबीआई के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि स्थानीय पुलिस मामले को दबाने की कोशिश कर रही थी, क्योंकि जब तक संघीय एजेंसी ने जांच अपने हाथ में ली, तब तक अपराध स्थल का परिदृश्य बदल चुका था। सुप्रीम कोर्ट ने इस घटना का राजनीतिकरण न करने की भी सलाह दी और कहा कि 'कानून अपना काम करेगा'।

पोस्टमार्टम और FIR दर्ज करने में देरी पर नाराजगी

सुप्रीम ने इस बात पर गहरा आश्चर्य जताया कि मृत डॉक्टर का पोस्टमार्टम 9 अगस्त को शाम 6:10 बजे से 7:10 बजे के बीच किया गया और फिर भी मामला अप्राकृतिक मौत के रूप में रात साढ़े 11 बजे दर्ज किया गया। न्यायालय ने प्राथमिकी दर्ज करने में 14 घंटे की देरी को अस्वीकार्य बताया।

पश्चिम बंगाल सरकार और अस्पताल पर भी उठाए सवाल

उच्चतम न्यायालय ने पश्चिम बंगाल सरकार से आरजी कर मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्राचार्य डॉ. संदीप घोष की भूमिका पर सवाल उठाया, जो इस मामले के बाद जांच के दायरे में आए। पीठ ने पूछा कि शव मिलने के लगभग 14 घंटे बाद एफआईआर क्यों दर्ज की गई और प्राचार्य को क्या कारण था कि उन्होंने तुरंत कार्रवाई नहीं की।

सीबीआई ने बताया कि उन्होंने अपराध के पांचवें दिन जांच शुरू की और इससे पहले स्थानीय पुलिस ने जो भी सबूत इकट्ठा किए थे, वे उन्हें सौंप दिए गए। मेहता ने कहा कि जांच अपने आप में एक चुनौती है क्योंकि अपराध स्थल का परिदृश्य बदल दिया गया था।

डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए दिशा निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने डॉक्टरों की सुरक्षा, विरोध प्रदर्शन के मानदंडों और प्रदर्शनकारियों के अधिकारों को लेकर दिशा निर्देश जारी किए। कोर्ट ने राष्ट्रीय कार्यबल (एनटीएफ) को डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए राष्ट्रीय प्रोटोकॉल तैयार करने का निर्देश दिया।

5 सितंबर को होगी अगली सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में अगली सुनवाई की तारीख 5 सितंबर तय की है। इसके साथ ही न्यायालय ने स्पष्ट किया कि प्रदर्शनकारी चिकित्सकों के खिलाफ कोई प्रतिकूल कार्रवाई नहीं की जाएगी और पश्चिम बंगाल सरकार को शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन को बाधित नहीं करने का आदेश दिया।

SC ने डॉक्टरों से काम पर लौटने की अपील की

सुप्रीम कोर्ट ने घटना के विरोध में प्रदर्शन कर रहे डॉक्टरों से काम पर लौटने का आग्रह किया और उन्हें आश्वासन दिया कि उनके काम पर लौटने के बाद उनके खिलाफ कोई प्रतिकूल कार्रवाई नहीं की जाएगी।

बता दें आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में 9 अगस्त को महिला डॉक्टर का शव मिला था। पुलिस ने इस मामले में एक आरोपी को गिरफ्तार किया है। कलकत्ता हाईकोर्ट ने मामले की जांच कोलकाता पुलिस से सीबीआई को सौंपने का 13 अगस्त को आदेश दिया था, जिसके बाद सीबीआई ने 14 अगस्त से इस मामले में अपनी जांच शुरू की।

(भाषा इनपुट के साथ रिपब्लिक भारत डेस्क)

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Published By : Nidhi Mudgill

पब्लिश्ड 22 August 2024 at 21:56 IST