अपडेटेड 13 May 2025 at 09:33 IST

जानेमाने साइंटिस्‍ट सुब्बन्ना अय्यप्पन की संदिग्ध परिस्थिति में मौत, कावेरी नदी में मिली लाश; ‘नीली क्रांति’ के लिए मिला था पद्मश्री

पूर्व भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के महानिदेशक और पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित डॉ. सुब्बन्ना अय्यप्पन संदिग्ध परिस्थिति में मृत पाए गए हैं।

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जानेमाने वैज्ञानिक सुब्बन्ना अय्यप्पन की संदिग्ध परिस्थिति में मौत, कावेरी नदी में मिली लाश; ‘नीली क्रांति’ के लिए मिला था पद्मश्री | Image: X

Padma Shri awardee scientist Dr Subbanna Ayyappan found dead: पूर्व भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के महानिदेशक और पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित डॉ. सुब्बन्ना अय्यप्पन संदिग्ध परिस्थिति में मृत पाए गए हैं। बीते शनिवार को कर्नाटक के कावेरी नदी से उनका शव बरामद किया गया। जिसके बाद पुलिस को सूचना दी गई थी। पुलिस ने शव को अपने कब्जे में लिया और उसकी पहचान की। 70 साल के सुब्बन्ना अय्यप्पन कुछ दिनों से लापता थे। अय्यप्पन एक कृषि और मत्स्य पालन (Aquaculture) वैज्ञानिक थे और भारत की ‘नीली क्रांति’ में अहम भूमिका निभाने के लिए उन्‍हें पद्मश्री पुरस्‍कार से सम्मानित किया गया था। सुब्बन्ना अय्यप्पन के परिवार में उनकी पत्नी और दो बेटियां हैं। पुलिस ने शव को पोस्‍टमार्टम के लिए भेज दिया है।

पुलिस ने बताया कि 7 मई से ही अय्यप्पन के लापता होने के बात सामने आई थी। अय्यप्पन की स्कूटी भी कावेरी नदी के किनारे मिली है। पुलिस ने बताया कि वह श्रीरंगपटना में कावेरी नदी के तट पर स्थित साईं बाबा आश्रम में अक्सर ध्यान किया करते थे। जहां पर सुब्बन्ना अय्यप्पन का शव मिला। वह मैसूर से करीबन 200 मीटर दूर है। अब पुलिस उनकी मौत के कारणों का पता लगाने के लिए जांच में जुटी है।

पुलिस श्रीरंगपटना में भी उनकी लोकेशन ट्रैक करके ही पहुंची थी। सुब्बन्ना अय्यप्पन के शव को अब पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है। शुरुआती तौर पर कहा जा रहा है कि सुब्बन्ना अय्यप्पन ने नदी में छलांग लगाई होगी और आत्महत्या की आशंका जताई जा रही है। अब पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है. इसके बाद मौत के असल कारण का पता चल सकेगा।

साल 2022 में मिला था पद्मश्री सम्मान

सुब्बन्ना अय्यप्पन ने ICAR में 2016 तक काम किया था। इस दौरान साल 2013 में उन्हें राज्योत्सव अवॉर्ड से भी नवाजा गया था। इसके बाद साल 2022 में उन्हें पद्मश्री से भी भारत सरकार ने सम्मानित किया था। अय्यप्पन ने मत्स्य पालन की ऐसी तकनीक विकसित की, जिसने पूरे भारत में मछली पालन करने के पुराने तरीकों को बदल दिया। उनके काम ने ग्रामीणों के जीवन में खुशहाली लाई, खाद्य सुरक्षा मजबूत किया और तटीय तथा आंतरिक क्षेत्रीय उत्पादन बढ़ाने में महत्वपूर्ण रहा।

डॉ. सुब्बन्ना अय्यप्पन का जन्म 10 दिसंबर 1955 को कर्नाटक के चामराजनगर जिले में हुआ था। वह बचपन से ही पढ़ने में काफी तेज थे। उन्होंने मंगलुरु से मत्स्य विज्ञान में ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद बेंगलुरु के कृषि विज्ञान विश्वविद्यालय से पीएचडी की डिग्री हासिल की। 

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Published By : Ankur Shrivastava

पब्लिश्ड 13 May 2025 at 09:33 IST