अपडेटेड 3 October 2023 at 11:19 IST

Jitiya Vrat: पहली बार करने जा रही हैं जितिया व्रत, तो जान लें सही विधि और पूजा का शुभ मुहूर्त

संतान की खुशहाली और लंबी उम्र के लिए रखा जाने वाला जितिया व्रत अगर आप पहली बार रखने जा रही हैं, तो इसकी पूजा विधि और शुभ मुहूर्त के बारे में जान लें।

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Jitiya Vrat 2023 Vidhi Aur Puja Shubh Muhurat image- shutterstock | Image: self

Jitiya Vrat 2023 Vidhi Aur Puja Shubh Muhurat: देश के पूर्वी राज्यों में बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाने वाला जितिया व्रत का पर्व बहुत ही खास माना जाता है। महिलाएं अपने बच्चों की लंबी उम्र और खुशहाली के साथ उनके अच्छे स्वास्थ्य के लिए इस व्रत को करती हैं। 3 दिनों तक रखा जानें वाला यह व्रत बहुत ही कठिन होता है। ऐसे में अगर आप पहली बार जितिया का पर्व मनाने जा रही हैं, तो पूजा की सही विधि और शुभ मुहूर्त के बारे में जरूर जान लें। 

स्टोरी में आगे ये पढ़ें...

  • कब रखा जाएगा जितिया 2023 का व्रत?
  • जितिया व्रत 2023 पूजा शुभ मुहूर्त क्या है?
  • जितिया व्रत कैसे करें पूजा क्या है सही विधि?

कब रखा जाएगा जितिया 2023 का व्रत?

हर साल अश्विन माह की अष्टमी तिथि को मनाया जाने वाल जितिया व्रत इस बार 6 अक्टूबर 2023 दिन शुक्रवार को रखा जाएगा, लेकिन यह सप्तमी तिथि से ही शुरू हो जाता है। सप्तमी तिथि में नहाय खाय की परंपरा होती है और फिर अष्टमी में व्रत रखा जाता है। इसके बाद नवमी तिथि में इस व्रत का समापन होता है और पारण किया जाता है। 

जितिया व्रत 2023 पूजा शुभ मुहूर्त क्या है?

अश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 6 अक्टूबर की सुबह 06 बजकर 34 मिनट पर शुरू होगी। जिसका समापन 7 अक्टूबर 2023 को सुबह 08 बजकर 08 मिनट पर होगा। इसके बाद नवमी तिथि प्रारंभ हो जाएगी।

  1. 5 अक्टूबर को व्रती महिलाओं के लिए नहाय खाय के लिए सुबह 3 बजकर 7 मिनट से 4 बजकर 23 मिनट तक का समय सबसे उत्तम है। 
  2. 6 अक्टूबर को निर्जला व्रत पूरे दिन रहेगा।
  3. 7 अक्टूबर को सुबह 10 बजकर 32 मिनट का बाद पारण कर सकते हैं। 

जितिया व्रत कैसे करें पूजा क्या है सही विधि?

  • जितिया व्रत के दिन नहा-धोकर साफ सुथरे और नए कपड़े पहने जाते हैं।
  • फिर कुशा से बनी जीमूतवाहन भगवान की प्रतिमा के समक्ष धूप-दीप, चावल और पुष्ण अर्पित किया जाता है।
  • इसके साथ ही मिट्टी और गाय के गोबर से चील और सियारिन की मूर्ति बनाई जाती है।
  • प्रतिमा बन जाने के बाद उसके माथे पर लाल सिंदूर का टीका लगाया जाता है।
  • पूजन समाप्त होने के बाद जीवित्पुत्रिका व्रत की कथा सुनी जाती है।

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Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्‍यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।

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Published By : Sadhna Mishra

पब्लिश्ड 3 October 2023 at 11:17 IST