अपडेटेड 1 February 2024 at 15:44 IST

बैडमिंटन का शौक, अधूरी पढ़ाई, राजनीति में एक्‍सीडेंटल एंट्री...Hemant Soren के बारे में जानिए सबकुछ

हेमंत सोरेन का राजनीतिक सफर काफी उतार-चढ़ाव भरा रहा है।

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Hemant Soren with JMM MLAs before his arrest | Image: PTI/File

Hemant Soren Political Journey: महज 38 साल की उम्र में सबसे युवा मुख्यमंत्री के रूप में झारखंड की कमान संभालने के बाद से लेकर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा गिरफ्तारी तक हेमंत सोरेन का राजनीतिक सफर काफी उतार-चढ़ाव भरा रहा है। राजनीतिक विरासत के लिए सोरेन अपने पिता एवं झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के प्रमुख शिबू सोरेन की पहली पसंद नहीं थे लेकिन 2009 में अपने बड़े भाई दुर्गा सोरेन के निधन के बाद हेमंत ने राजनीति में अपने पैर जमाना शुरू किया।

ईडी द्वारा गिरफ्तार किए जाने के बाद सोरेन ने ‘एक्स’ पर कवि शिवमंगल सिंह सुमन की कविता की पंक्तियां पोस्ट कीं, ‘‘यह एक विराम है, जीवन महासंग्राम है। हर पल लड़ा हूं, हर पल लड़ूंगा, पर समझौते की भीख मैं लूंगा नहीं। क्या हार में, क्या जीत में; किंचित नहीं भयभीत मैं। लघुता न अब मेरी छुओ; तुम हो महान, बने रहो। अपने लोगों के हृदय की वेदना, मैं व्यर्थ त्यागूंगा नहीं, हार मानूंगा नहीं...। जय झारखंड।’’

बैडमिंटन खेलने का शौक, बीच में छूटी पढ़ाई

हजारीबाग के पास नेमरा गांव में 10 अगस्त, 1975 को जन्मे हेमंत ने पटना माध्यमिक स्कूल से 12वीं तक की पढ़ाई की और बाद में रांची में बिड़ला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, मेसरा में दाखिला लिया, लेकिन पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी। हेमंत को बैडमिंटन खेलने, साइकिल चलाने और किताबें पढ़ने का शौक हैं। उनके परिवार में उनकी पत्नी कल्पना और दंपति के दो बच्चे हैं।

गिरफ्तारी से कुछ समय पहले रिकॉर्ड किए गए वीडियो संदेश में सोरेन ने कहा, ‘‘मैं झुकूंगा नहीं... आखिरकार सत्य की जीत होगी।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमें गरीब लोगों, दलितों और आदिवासियों पर अत्याचार करने वाली सामंती व्यवस्था के खिलाफ युद्ध छेड़ना होगा।’’

राज्यसभा सदस्‍य के तौर पर हुई राजनीति में एंट्री

हेमंत ने 2009 में राज्यसभा सदस्य के रूप में राजनीति में कदम रखा था। अगले वर्ष उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत अर्जुन मुंडा के नेतृत्व वाली सरकार में उपमुख्यमंत्री का पद संभालने के लिए संसद के उच्च सदन से इस्तीफा दे दिया। हालांकि, दो साल बाद भाजपा-झामुमो सरकार गिर गई और राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया।

वर्ष 2013 में उन्होंने कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के समर्थन से सबसे कम उम्र के मुख्यमंत्री के रूप में झारखंड की कमान संभाली। मुख्यमंत्री के रूप में उनका पहला कार्यकाल अल्पकालिक था क्योंकि 2014 में भाजपा ने सत्ता हासिल कर ली और रघुबर दास मुख्यमंत्री बन गए। तब हेमंत विपक्ष के नेता बने।

वर्ष 2016 में जब भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार ने गैर-कृषि उद्देश्यों के लिए आदिवासी भूमि को पट्टे पर देने की अनुमति को लेकर छोटानागपुर किरायेदारी अधिनियम और संथाल परगना किरायेदारी अधिनियम में संशोधन करने की कोशिश की तो सोरेन ने एक बड़े आंदोलन का नेतृत्व किया जिसका राजनीतिक लाभ उन्हें तीन साल बाद मिला।

साल 2019 में JMM का बेहतर प्रदर्शन

अपने सहयोगियों कांग्रेस और राजद के समर्थन से हेमंत 2019 में सत्ता में आए और उनकी पार्टी झामुमो ने 81 सदस्यीय विधानसभा में अकेले 30 सीटें जीतीं जो झामुमो का अब तक का सबसे अच्छा प्रदर्शन रहा। अपने राजनीतिक सफर के दौरान सोरेन ने स्टीफन मरांडी, साइमन मरांडी और हेमलाल मुर्मू जैसे वरिष्ठ झामुमो नेताओं को किनारे लगा दिया जिसके कारण ये नेता पार्टी छोड़ने को मजबूर हो गए।

मुर्मू और साइमन मरांडी भाजपा में शामिल हो गए वहीं स्टीफन मरांडी ने राज्य के पहले मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी के साथ मिलकर एक पार्टी बनाई। स्टीफन बाद में झामुमो में लौट गए और सोरेन को पार्टी का नेता स्वीकार कर लिया। मुख्यमंत्री कार्यालय में सोरेन का कार्यकाल आसान नहीं रहा।

राज्य का मुख्यमंत्री बनने के बाद खनन पट्टे के कथित नवीनीकरण के मामले में 2022 में उन पर एक विधायक के रूप में अयोग्य घोषित किए जाने का खतरा मंडरा रहा था जिसके कारण उन्हें मुख्यमंत्री का पद खोना पड़ सकता था। उसी वर्ष राज्य के तीन कांग्रेस विधायकों को पड़ोसी राज्य पश्चिम बंगाल में लगभग 49 लाख रुपये नकदी के साथ पकड़ा गया था। सोरेन के नेतृत्व वाले सत्तारूढ़ गठबंधन ने आरोप लगाया था कि यह सब सरकार को गिराने के भाजपा की साजिश का हिस्सा था।

‘आपके अधिकार, आपकी सरकार, आपके द्वार’

तमाम समस्याओं के बीच सोरेन ने खुद को राज्य के प्रमुख आदिवासी समुदाय की एक मजबूत आवाज के रूप में स्थापित किया। ‘आपके अधिकार, आपकी सरकार, आपके द्वार’ जैसी पहल के साथ सेवाओं की घर घर पहुंच सुनिश्चित करने से लेकर राज्य सरकार की पेंशन योजना का विस्तार करते हुए अधिक से अधिक लोगों को शामिल करने तक सामाजिक कल्याण के कार्यक्रम उनके शासन की विशेषता रहे हैं। वह राज्य में खनन गतिविधियों का आर्थिक लाभ आदिवासियों तक पहुंचाने के भी प्रबल समर्थक रहे हैं। सोरेन (48) को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद कथित भूमि धोखाधड़ी से जुड़े धन शोधन मामले में गिरफ्तार किया गया है। मुख्यमंत्री के रूप में झामुमो के वरिष्ठ नेता चंपई सोरेन का नाम प्रस्तावित किया गया है।

Published By : Ankur Shrivastava

पब्लिश्ड 1 February 2024 at 14:38 IST