अपडेटेड 22 September 2024 at 13:21 IST

जनता की अदालत में अरविंद केजरीवाल को याद आए अन्ना; 2011 के आंदोलन का जिक्र करते हुए उठा ली झाड़ू

अरविंद केजरीवाल ने जनता की अदालत में झाड़ू उठाई है। दिल्ली के जंतर-मंतर पर लगी जनता की अदालत में केजरीवाल ने कहा कि फैसला आपसे हाथ में है।

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Arvind Kejriwal | Image: Video Grab

Arvind Kejriwal: अरविंद केजरीवाल ने जनता की अदालत में झाड़ू उठाई है। दिल्ली के जंतर-मंतर पर लगी जनता की अदालत में केजरीवाल ने कहा कि फैसला आपसे हाथ में है। उन्होंने कहा कि आने वाला दिल्ली का चुनाव एक अग्निपरीक्षा है। झाड़ू का बटन तभी दबाना, जब लगे कि अरविंद केजरीवाल ईमानदार है, अगर नहीं लगता को झाड़ू का बटन मत दबाना। दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि झाड़ू अब आम आदमी पार्टी का चुनाव चिन्ह मात्र नहीं है। ये झाड़ू आस्था का प्रतीक है। जब आदमी वोट डालने जाता है और झाड़ू का बटन दबाता है तो आंख बंद करके पहले भगवान का नाम लेता है। झाड़ू का बटन  है तो वो व्यक्ति सोचता है कि मैं ईमानदार सरकार बनाने का बटन दबा रहा हूं।

अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद पहली सार्वजनिक रैली को संबोधित किया है। उन्होंने कहा कि मैंने इस्तीफा दिया क्योंकि मैं भ्रष्टाचार करने या पैसा कमाने नहीं आया था। मुझे सत्ता का लालच, CM की कुर्सी की भूख नहीं है, मैं पैसे कमाने नहीं आया, पैसे कमाने होते तो मैं इनकम टैक्स की नौकरी करता था, उसमें करोड़ों रुपये कमा लेता। मैं देश की राजनीति बदलने आया था। नेताओं की चमड़ी मोटी होती है, इन पर आरोपों का असर नहीं होता। मेरी मोटी चमड़ी नहीं है, मुझ पर असर होता है। मैं नेता नहीं हूं और कुछ दिनों में सीएम बंगला छोड़ दूंगा।

अन्ना आंदोलन को केजरीवाल ने किया याद

AAP के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने कहा कि जनता के बीच आकर अच्छा लग रहा है। आज यहां जंतर-मंतर पर पुराने दिन याद आ गए। मुझे आज भी तारीख याद है, 4 अप्रैल 2011 का दिन था जब आजाद भारत का भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन अन्ना आंदोलन यहां से शुरू हुआ था। उस वक्त की सरकार हमें चैलेंज करती थी कि चुनाव लड़कर दिखाओ और जीतकर दिखाओ, चुनाव लड़ने के लिए पैसा, गुंडे, आदमी चाहिए थे और हमारे पास ये सब नहीं था। हमारे पास ना पैसा था, ना आदमी थे और ना गुंडे थे, हम चुनाव कैसे लड़ते, फिर हम चुनाव लड़ लिए और जनता ने हमें जिता दिया। देश में हमने 2013 में साबित कर दिया कि ईमानदारी से चुनाव लड़े भी जा सकते हैं और ईमानदारी से चुनाव जीते भी जा सकते हैं। इस दौरान केजरीवाल ने RSS प्रमुख मोहन भागवत से 5 सवाल किए।

मोहन भागवत से केजरीवाल के 5 सवाल

  1. जिस तरह नरेंद्र मोदी देशभर में लालच देकर या ED-CBI का डर दिखाकर दूसरी पार्टी के नेताओं को तोड़ रहे हैं, सरकारें गिरा रहे हैं- क्या ये देश के लोकतंत्र के लिए सही है? क्या आप नहीं मानते ये भारतीय जनतंत्र के लिए हानिकारक है?
  2. देशभर में सबसे ज्यादा भ्रष्ट्राचारी नेताओं को मोदी ने अपनी पार्टी में शामिल करवाया। जिन नेताओं को कुछ दिन पहले उन्होंने खुद सबसे भ्रष्ट्राचारी बोला। जिन नेताओं को अमित शाह ने भ्रष्ट्राचारी बोला। कुछ दिन बाद उन्हें बीजेपी में शामिल करवा लिया। क्या आपने ऐसी बीजेपी की कल्पना की थी? क्या इस प्रकार की राजनीति पर आपकी सहमति है?
  3. बीजेपी RSS की कोख से पैदा हुई है। कहा जाता है कि ये देखना RSS की जिम्मेदारी है कि BJP पथभ्रष्ट ना हो। क्या आप आज की बीजेपी के कदमों से सहमत हैं? क्या आपने कभी नरेंद्र मोदी से ये सब ना करने के लिए कहा?
  4. जेपी नड्डा ने चुनाव के दौरान कहा कि BJP को RSS की जरूरत नहीं है। RSS बीजेपी की मां समान है। क्या बेटा इतना बड़ा हो गया है कि मां को आंखें दिखाने लगा है? जिस बेटे को पालपोष के बड़ा किया, प्रधानमंत्री बनाया, आज वो अपनी मातातुल्य संस्था को आंखें दिखा रहा है। जब नड्डा ने ये कहा तो आपको दुख नहीं हुआ? क्या RSS के हर कार्यकर्ता को दुख नहीं हुआ?
  5. RSS बीजेपी ने मिलकर ये कानून बनाया था कि 75 साल का होने पर किसी भी व्यक्ति को रिटायर होना पड़ेगा। इस कानून के तहत आडवाणी जी और मुरली मनोहर जोशी जी जैसे बहुत बड़े नेताओं को भी रिटायर कर दिया गया। अब अमित शाह कह रहे हैं कि वो रूल मोदी जी पर लागू नहीं होगा। क्या आप इससे सहमत हैं कि जो रूल आडवाणी जी पर लागू हुआ वो नरेंद्र मोदी पर लागू नहीं होगा?

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Published By : Dalchand Kumar

पब्लिश्ड 22 September 2024 at 13:21 IST