अपडेटेड 6 April 2023 at 13:59 IST

'शंकर सुमन केसरी नंदन...' Rambhadracharya ने बताया हनुमान चालीसा की ये चौपाइयां गलत पढ़ी जा रही हैं

कथावाचक Jagadguru Rambhadracharya ने हनुमान चालीसा की कुछ चौपाइयों में शाब्दिक त्रुटियां बताई हैं। उन्होंने कहा कि लोग गलत शब्दों का उच्चारण कर रहे हैं।

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Jagadguru Rambhadracharya | Image: self

Hanuman Chalisa : कथावाचक और तुलसी पीठाधीश्वर Jagadguru Rambhadracharya ने हनुमान चालीसा में गलतियां गिनवाई हैं। रामभद्राचार्य ने हनुमान चालीसा की कुछ चौपाइयों में शाब्दिक त्रुटियां बताई हैं। जगतगुरु रामभद्राचार्य ने मांग करते हुए कहा कि हनुमान चालीसा में इन अशुद्धियों को ठीक किया जाना चाहिए। उन्होंने 4 चौपाइयों के बारे में बताया है, जिन उन्होंने शाब्दिक त्रुटियों का दावा किया है।

कथावाचक रामभद्राचार्य हाल ही में आगरा में आयोजित कार्यक्रम में पहुंचे थे, जहां उन्होंने हनुमान चालीसा में 4 अशुद्धियों के बारे में बताया। जगदगुरु ने कहा कि लोग गलत शब्दों का उच्चारण कर रहे हैं। जिन चौपाइयों में अशुद्धियां हैं, उन्हें ठीक किया जाना चाहिए।

रामभद्राचार्य ने इन 4 चौपाइयों में बताईं अशुद्धि

- "शंकर सुमन केसरी नंदन", जो बोला जा रहा है, वो गलत है। हनुमान जी भगवान शंकर के पुत्र नहीं हैं, वो खुद शंकर हैं। 

- 27वीं चौपाई में "सब पर राम तपस्वी राजा" बोला जा रहा है, जो गलत है। सही शब्द है- 'सब पर राम राय सिरताजा'

- 32वीं चौपाई में पाठ है- "राम रसायन तुम्हारे पास आ सदा रहो रघुवर के दासा"। इसमें "सदा रहो रघुवर के दासा" नहीं, बल्कि "सादर हो रघुवर के दासा" बोला जाना चाहिए। 

- इसके अलावा एक चौपाई है- "जो सत बार पाठ कर कोई..."। इसमें होना चाहिए- "यह सत बार पाठ कर जोही, छूटहि बंदि महा सुख होई"।

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कौन हैं जगतगुरु रामभद्राचार्य

उत्तर प्रदेश के जौनपुर में जन्मे जगतगुरु रामभद्राचार्य चित्रकूट में स्थित तुलसी पीठ के पीठाधीश्वर हैं। जन्म 14 जनवरी 1950 जौनपुर जिले के शांडिकखुर्द गांव में उनका जन्म हुआ था। उनका बचपन का नाम गिरिधर बताया जाता है। जगतगुरु रामभद्राचार्य रामायण और भागवत के प्रसिद्ध कथाकार हैं। उन्होंने रामचरितमानस की एक प्रामाणिक प्रति भी लिखी है।

अयोध्या जमीन विवाद में रहे गवाह

बताते चलें कि जगतगुरु रामभद्राचार्य अयोध्या के जमीन विवाद मामले में एक गवाह रहे हैं। श्रीरामजन्मभूमि के पक्ष में रामभद्राचार्य एक वादी के रूप में उपस्थित थे। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में रामलला के पक्ष में वेद पुराण के उदाहरण के साथ गवाही दी थी। रामभद्राचार्य ने ऋग्वेद की जैमिनीय संहिता के जरिए उदाहरण दिए थे। बताया जाता है कि इसके बाद कोर्ट के आदेश से जैमिनीय संहिता मंगाई गई और रामभद्राचार्य ने जो बातें बताई थीं, उनका विवरण देखा गया, जो सही पाए गए थे। 

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Published By : Dalchand Kumar

पब्लिश्ड 6 April 2023 at 13:59 IST