अपडेटेड 26 July 2024 at 10:44 IST
चरवाहे की सूचना और 4000 पाक सैनिकों का खात्मा... 10 प्वाइंट्स में जानिए करगिल वॉर की पूरी कहानी
कारगिल लड़ाई की कहानी 10 प्वाइंट में समझे, कैसे चरवाहे की सूचना पर ऊंचाई वाले इलाकों में पाकिस्तानी घुसपैठियों की मौजूदगी का खुलासा हुआ था।
Kargil War Short Story: पूरा भारत आज कारगिल विजय दिवस की 25वीं वर्षगांठ मना रहा है। कारगिल की लड़ाई में हमारे देश के वीरों ने ये दिखा दिया था कि, अगर किसी दुश्मन ने हमारे वतन की तरफ आंख उठाकर भी देखी तो उसे मिट्टी में मिला दिया जाएगा।
वैसे तो कारगिल लड़ाई की कहानी लंबी है लेकिन फिर भी बहुत शोर्ट 10 प्वाइंट में समझने की कोशिश करते हैं। पाकिस्तान के साथ कारगिल की ये लड़ाई लगभग 60 दिनों तक चली और 26 जुलाई 1999 को भारत ने पाकिस्तानी सेना को परास्त कर विजय हासिल की थी। 26 जुलाई ही वह दिन था जब भारतीय सेना ने पाकिस्तान द्वारा कब्जाई गई चौकियों पर तिरंगा फहराया था। उस पूरी स्थिति पर एक गाना पूरी तरह फिट बैठता है, जिसमें गाया गया- ‘दस दस को एक ने मारा, फिर गिर गये होश गंवा के, जब अन्त -समय आया तो, कह गये के अब मरते हैं, खुश रहना देश के प्यारों, अब हम तो सफर करते हैं…’
कारगिल लड़ाई की कहानी 10 प्वाइंट में समझे
- लद्दाख में कारगिल है, जहां 3 मई 1999 को कारगिल के ऊंचाई वाले इलाकों में पाकिस्तानी घुसपैठियों की मौजूदगी का खुलासा हुआ था।
- घुसपैठ की जानकारी मिलने के बाद ऑपरेशन विजय शुरू कर दिया गया था, जिसमें भारतीय सेना ने साहस भरा प्रदर्शन किया। इस लड़ाई में कई वीर सैनिक शहीद हुए, जैसे कैप्टन विक्रम बत्रा, लेफ्टिनेंट बलवान सिंह और ग्रेनेडियर योगेंद्र सिंह यादव।
- भारतीय सेना ने बोफोर्स तोपों और एयरफोर्स की मदद से भी पाकिस्तानी चौकियों को तबाह किया, जिसके परिणामस्वरूप भारत ने 527 जवानों को खोया, जबकि पाकिस्तान के भी 2700 से 4000 सैनिक मारे गए थे।
- एक स्थानीय चरवाहे ने भारतीय सेना को इस घुसपैठ की सूचना दी थी, शुक्र रहा कि उस सूचना को भारतीय सेना ने सीरियस लिया और सर्तक होकर उस पर तुरंत एक्शन लिया गया। 8 मई 1999 को भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सैनिकों के ठिकानों की पहचान कर ली।
- फिर ऑपरेशन विजय शुरू हुआ, भारतीय सेना ने ऑपरेशन विजय घुसपैठियों को बाहर निकालने और कारगिल की चोटियों पर कब्जा वापस पाने के लिए शुरू किया था।
- सैनिकों की बहादुरी- भारतीय सैनिकों ने कठिन परिस्थितियों में बहादुरी दिखाई और अपनी जान तक गंवा कर भी लड़ाई लड़ी, कैप्टन विक्रम बत्रा, ग्रेनेडियर योगेंद्र सिंह यादव और लेफ्टिनेंट मनोज कुमार पांडेय जैसे वीरों ने बड़े साहस का परिचय दिया।
- कारगिल की ऊंची पहाड़ियों पर पाकिस्तानी सैनिकों ने कब्जा कर लिया था, जिससे भारतीय सेना को आगे बढ़ने में कठिनाई हो रही थी। ऊंचाई और कठोर मौसम ने इस लड़ाई को और भी चुनौतीपूर्ण बना दिया था। लेकिन फिर भी हमारी सेना आगे बढ़ती गई।
- भारतीय जवानों ने पाकिस्तानी सेना के सभी घुसपैठियों को खदेड़कर सभी चोटियों पर अपना नियंत्रण स्थापित कर लिया था। भारत के साथ छेड़ा गया ये युद्ध पाकिस्तानी सेना की सबसे बड़ी गलती साबित हुआ था।
- उस वक्त की मीडिया ने पूरी लड़ाई की कवरेज की। जिससे पूरे देश में सेना के प्रति जन समर्थन बढ़ा, देशभर में लोगों ने सैनिकों की बहादुरी की सराहना की और उन्हें समर्थन दिया।
- वीरगति को प्राप्त सैनिक- इस युद्ध में भारत के 527 जवान शहीद हुए और कई घायल हुए, परमवीर चक्र विजेताओं की कहानियां आज भी प्रेरणादायक हैं। वहीं, पाकिस्तान को इस लड़ाई में करारी हार का सामना करना पड़ा।
युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा- कारगिल विजय दिवस युवाओं को प्रेरित करता है और देश के प्रति कर्तव्य और जिम्मेदारी का एहसास कराता है। आज इस तरह की वीर गाथाएं युवाओं में देशभक्ति और सेना में सेवा करने की भावना जगाती है।
Published By : Nidhi Mudgill
पब्लिश्ड 26 July 2024 at 10:00 IST