अपडेटेड 13 March 2024 at 16:58 IST
Tantya Mama: टंट्या भील के नाम पर होगा इंदौर का बस स्टैंड-रेलवे स्टेशन, अंग्रेजों से मनवाया था लोहा
मध्य प्रदेश की राजधानी इंदौर में 50 करोड़ से अधिक की लागत से बन रहे बस स्टैंड और पातालपानी रेलवे स्टेशन का नाम अब टंट्या मामा के नाम पर रखा जाएगा।
Madhya Pradesh: मध्य प्रदेश की राजधानी इंदौर (Indore) में 50 करोड़ से अधिक की लागत से बन रहे बस स्टैंड और पातालपानी रेलवे स्टेशन (Patalpani Railway Station) का नाम अब टंट्या मामा (Tantya Mama Railway Station) के नाम पर रखा जाएगा। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (CM Shivraj Singh Chouhan) ने खुद इसकी जानकारी दी है।
बता दें कि राज्य में 4 दिसंबर को टंट्या भील (Tantya Bhil) का बलिदान दिवस मनाया जाएगा। टंट्या मामा एक जनजातीय नेता थे जो अंग्रेजों से डटकर लड़े थे पर कभी झुके नहीं। ऐसा कहा जाता है कि अंग्रेज इनके नाम से कांपते थे। टंट्या मामा ने देश की रक्षा के लिए अपनी कुर्बानी दे दी थी। मानपुर में भी एक प्राथमिक स्कूल का नाम टंट्या भील नाम पर रखा गया है। और अब बस स्टैंड और रेलवे स्टेशन भी इनके नाम पर होंगे।
‘कांग्रेस ने जनजातीय नायकों का सम्मान नहीं किया’- सीएम शिवराज सिंह चौहान
सीएम शिवराज सिंह चौहान ने हाल ही में कहा है कि ‘कांग्रेस ने जनजातीय नायकों का सम्मान नहीं किया। छात्रों को गलत इतिहास पढ़ाया गया है। बिरसा मुंडा, टंट्या मामा, शंकर शाह, रघुनाथ शाह, रानी लक्ष्मीबाई जैसे नायकों को अनदेखा किया गया। अब हम इनके गौरव और योगदान को सम्मान देंगे।’ तो आखिर कौन हैं टंट्या मामा, हम आपको बताते हैं-
टंट्या मामा का वास्तविक नाम क्या था?
आपको बता दें कि अंग्रेजों की रीढ़ की हड्डी हिला देने वाले टंट्या को लोग तांतिया भील के नाम से जानते थे। हालांकि, अंग्रेजों को तांतिया भील के नाम का सही उच्चारण नहीं आता था इसलिए उन्होंने उनके नाम को टंट्या कर दिया। फिर वे इसी नाम से पहचाने जाने लगे। तांतिया भील उर्फ टंट्या भील मध्य प्रदेश में आदिवासी समाज के बड़े जननायक थे और हमेशा उनकी मदद के लिए साथ खड़े रहते थे। इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि आज भी एमपी के कई आदिवासी घरों में टंट्या भील की देवता की तरह पूजा की जाती है।
आपको बता दें कि टंट्या मामा स्वतंत्रता सेनानी तात्या टोपे के समाकालीन थे। तात्या ने ही उन्हें गुरिल्ला युद्ध सिखाया था। टंट्या मामा का जन्म तत्कालीन सीपी प्रांत के पूर्व निमाड़ और वर्तमान में मध्य प्रदेश के खंडवा जिले की पंधाना तहसील के गांव बडदा में सन 1842 को माऊ सिंग के घर हुआ था।
टंट्या को क्यों कहते हैं मामा?
तांतिया भील 4 दिसंबर 1889 को वीरगति को प्राप्त हुए थे जब उन्हें फांसी पर लटका दिया गया था। इसके बाद, इंदौर के पास खंडवा रेलमार्ग पातालपानी (कालापानी) रेलवे स्टेशन के पास उनका शव फेंक दिया गया था। स्थानीय लोग टंट्या भील को मामा कहते हैं और रेलवे स्टेशन के पास ही इनकी समाधि बनी हुई है।
Published By : Sakshi Bansal
पब्लिश्ड 23 November 2021 at 13:05 IST