अपडेटेड 15 December 2024 at 11:43 IST

'दहशत का माहौल था, सड़कों पर जान मारने...', सीरिया से लौटे भारतीयों ने सुनाई खौफनाक मंजर की कहानी

सीरिया के हालात काफी चिंताजनक बने हुए हैं। स्वदेश लौटे भारतीयों ने वहां के खौफनाक मंजर की कहानी सुनाई जो काफी भयावह है।

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Syrian civil war | Image: AP/ANI

Indians evacuated from Syria: सीरिया में तख्तापलट के बाद हालात दिन-प्रतिदिन बिगड़ते ही जा रहे हैं। भारतीयों का स्वदेश लौटने को सिलसिला जारी है। 14 दिसंबर को भी भारतीयों का एक जत्था सही सलामत वतन वापस लौटा। वतन वापसी के बाद भारतीयों ने जो सीरिया के ताजा हालात के बारे में बताया वो काफी खौफनाक है। डरावने मंजर को याद कर उनके रूह कांप उठ रहे थे। स्वदेश वापसी के बाद सभी ने भारतीय दूतावास का आभार जताया।


सीरिया के हालात काफी चिंताजनक बने हुए हैं। सीरिया में विद्रोही बलों द्वारा राष्ट्रपति असद को हटा दिया। असद ने देश छोड़ दिया है। उसके बाद हालात बेकाबू हो गए हैं। संकटग्रस्त सीरिया से निकाले जाने के बाद शनिवार को स्वदेश लौटे भारतीय नागरिकों के एक समूह ने दहशत के उस मंजर को याद किया, जिसे उन्होंने चंद रातों पहले अनुभव किया। हालांकि, उन्होंने वहां भारतीय दूतावास की ‘लगातार संपर्क’ में रहने के लिए प्रशंसा की।

बस गोलीबार-बमबारी की आवाज सुनाई देती थी

देर शाम दिल्ली हवाई अड्डे पर उतरने के तुरंत बाद कुछ लोगों ने मीडिया के साथ पिछले सप्ताह के अपने अनुभव साझा किए। चंडीगढ़ के मूल निवासी और मैकेनिकल इंजीनियर सुनील दत्त ने आरोप लगाया कि सड़कों पर कुछ ‘असामाजिक तत्व’ भी थे जो ‘सामान लूट रहे थे’। उन्होंने बताया कि बहुत ही खराब स्थिति थी और गोलीबारी व बमबारी की आवाजों ने हालात को और भी बदतर बना दिया।

सुनील दत्त ने दिल्ली के IGI एयरपोर्ट पर संवाददाताओं को बताया, भारतीय दूतावास ‘‘हमारे लगातार संपर्क में था और हमसे शांत रहने व दरवाजे नहीं खोलने के लिए कहा गया था। भारत ने सीरिया से अपने उन सभी नागरिकों को निकाल लिया है, जिन्होंने घर लौटने की इच्छा जताई थी। सीरिया में विद्रोहियों ने राष्ट्रपति बशर असद की सरकार का तख्तापलट कर सरकार को बर्खास्त कर दिया।

77 से ज्यादा भारतीयों की वतन वापसी

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने शुक्रवार को कहा था, “हमने सीरिया में मौजूद उन सभी भारतीय नागरिकों को निकाल लिया है, जो वहां हाल के घटनाक्रम के बाद घर लौटना चाहते थे। अब तक सीरिया से 77 भारतीय नागरिकों को निकाला जा चुका है।”

आखों के सामने लोगों को मारते देखा-रचित कपूर

ग्रेटर नोएडा के रहने वाले रचित कपूर भी शनिवार को दिल्ली पहुंचने वाले भारतीयों में शामिल थे।  उन्होंने कहा, “हम करीब सात महीने सीरिया में रहे। सात दिसंबर को स्थिति और खराब हो गई। हमें दमिश्क शहर में स्थानांतरित कर दिया गया और फिर हमने चारों ओर आग तथा बमबारी देखी। हर जगह दहशत का माहौल था। हम एक लग्जरी होटल में 11 लोगों के समूह में थे। स्थिति और खराब हो गई। लोग सड़कों पर बेकाबू हो रहे थे, कुछ लोग लूटपाट भी कर रहे थे।”

कपूर ने हालात को याद करते हुए बताया कि सीरिया में भारतीय दूतावास की वजह से हमें बहुत आसानी से लेबनान स्थानांतरित कर दिया गया और हमें किसी तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ा।  इलेक्ट्रिकल इंजीनियर ने कहा, ‘‘लेबनान में भी हमारे रहने और खाने की सुविधा बहुत अच्छी थी। कपूर ने विदेश मंत्रालय को उन प्रभावित भारतीयों को दी गई सहायता के लिए धन्यवाद दिया, जो स्वदेश लौटना चाहते थे।

भारतीय दूतावास को मदद के लिए आभार

शनिवार को दिल्ली हवाई अड्डे पर पहुंचे एक अन्य भारतीय नागरिक रतन लाल ने कहा, “मैं पिछले पांच वर्षों से सीरिया में था। जब स्थिति खराब हो गई, तो हमें दमिश्क बुलाया गया और वहां एक होटल में ठहराया गया। फिर हमें वीजा दिया गया, जिसके बाद हम आगे की यात्रा के लिए हवाई अड्डे गए।” लाल ने बताया कि स्थिति बहुत खराब थी और उनके परिवार के लोगों ने उन्हें किसी भी तरह वापस लौटने को कहा था।

इनपुट-भाषा

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Published By : Rupam Kumari

पब्लिश्ड 15 December 2024 at 11:35 IST