अपडेटेड 23 April 2024 at 09:17 IST

शहर जो रात में जागता है सोता नहीं...भारत के इस राज्य में है दक्षिण का मथुरा; रोचक है इतिहास

विदेशों में नहीं बल्कि अपने देश में एक ऐसा शहर है जो सोता नहीं है इसे थोंगा नगरम कहते हैं यानि कभी न सोने वाला शहर, क्यों और क्या है पूरी कहानी?

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चिथिराई उत्सव मदुरै में | Image: video grab/ani

South Mathura Madurai: तमिलनाडु में बसा ऐतिहासिक मंदिरों का शहर मदुरै रात भर नहीं सोता। कई नामों से विख्यात है ये जैसे थोंगा नगरम, कूडल मानगर, पूर्व का एथेंस और मल्लिगई मानगर यानि मोगरे की नगरी। स्थानीय लोग इसे तेन मदुरै कहते हैं जिसका हिंदी में मतलब होता है दक्षिण का मथुरा। 23 अप्रैल को चिथिराई उत्सव की जबरदस्त रौनक देखने को मिली।

22 अप्रैल की रात मदुरै रात भर उत्सव में डूबा रहा। सुबह भगवान कल्लाझागर के वैगई नदी में प्रवेश का गवाह बनने के लिए रात भर जागता रहा। चिथिराई उत्सव 12 अप्रैल को मीनाक्षी अम्मन मंदिर में शुरू हुआ।

रात भर जाग अपने ईश को देखने की चाह

चिथिराई उत्सव के तहत वैगई नदी में विशेष पूजा करने के बाद, भगवान कल्लाझागर का जुलूस राम रायर मंडपम के लिए रवाना होता है। यहां हजारों की संख्या में जुटे श्रद्धालुओं ने कल्लाझागर के रूप में कपड़े पहने और परंपरानुसार भक्तों ने भगवान पर पानी छिड़का। इस दौरान लोगों का उत्साह चरम पर दिखा। नाचते गाते और पानी में भीगते हुए दिखे। महोत्सव 15 दिन का होता है। इस बार शुरुआत 12 अप्रैल को हुई।

क्या होता है चिथिराई उत्सव?

त्योहार 12 अप्रैल से शुरू हुआ और इसका मुख्य कार्यक्रम 19 अप्रैल को मदुरै में पांड्य साम्राज्य की रानी मानी जाने वाली मीनाक्षी अम्मन का अभिषेक और 20 अप्रैल को 'दिग्विजयम' था। मीनाक्षी और सुंदरेश्वर की दिव्य शादी 21 अप्रैल को संपन्न हुई। जिसे मदुरै और शैव धर्म मानने वालों  द्वारा एक पवित्र दिन माना जाता है। माना जाता है कि मीनाक्षी थिरुकल्याणम के दिन पीली थाली (मंगलसूत्र) बदलने से पतियों की उम्र बढ़ती है। 22 अप्रैल को मीनाक्षी - सुंदरेश्वर थेरोट्टम (रथ महोत्सव) आयोजित किया गया। इसमें शिव-पार्वती, मीनाक्षी, करुप्पासामी आदि के साथ मीनाक्षी-सुंदरेश्वर जैसे देवताओं के दर्शन करने बड़ी संख्या में भक्त उमड़े थे।

मदुरै के बारे में

भारत के इस शहर का इतिहास करीबन 25,00 साल जितना पुराना है। ये व्यावसायिक और राजनीतिक केंद्र के हिसाब से तमिलनाडु का काफी जाना माना शहर भी है।  मीनाक्षी मंदिर श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का मुख्य केन्द्र रहता है। अलग अलग नाम वाले इस शहर को लेकर कई कहानियां हैं। जिनमें से एक के मुताबिक भगवान शिव की जटा से निकली धारा मधुर होने से मधुरा नाम मिला। 

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Published By : Kiran Rai

पब्लिश्ड 23 April 2024 at 09:17 IST