अपडेटेड 6 September 2024 at 00:16 IST

भारत-सिंगापुर ने दक्षिण चीन सागर में शांति, नौवहन की स्वतंत्रता बनाए रखने की वकालत की

भारत और सिंगापुर ने बृहस्पतिवार को अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुसार विवादों के शांतिपूर्ण समाधान की पैरवी की।

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प्रतीकात्मक तस्वीर | Image: ANI

भारत और सिंगापुर ने बृहस्पतिवार को अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुसार विवादों के शांतिपूर्ण समाधान की पैरवी करते हुए दक्षिण चीन सागर में शांति, स्थिरता और नौवहन की स्वतंत्रता को बनाए रखने तथा बढ़ावा देने के महत्व को रेखांकित किया।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की दो दिवसीय यात्रा के दौरान जारी संयुक्त बयान में, दोनों देशों ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति और स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए मिलकर काम करने की प्रतिबद्धता जताई, जिससे मुक्त व्यापार और खुले बाजारों को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी।

मोदी सिंगापुर के अपने समकक्ष लॉरेंस वोंग के निमंत्रण पर देश की दो दिवसीय यात्रा पर थे। यात्रा संपन्न होने के बाद आज वह स्वदेश रवाना हो गए।

प्रधानमंत्री मोदी ने सिंगापुर के तीन पीढ़ियों के नेताओं से मुलाकात की।

संयुक्त बयान में समृद्धि और सुरक्षा के बीच संबंध को रेखांकित किया गया तथा कहा गया, ‘‘नेताओं ने दक्षिण चीन सागर के ऊपर शांति, सुरक्षा, स्थिरता, संरक्षा और नौवहन की स्वतंत्रता को बनाए रखने तथा बढ़ावा देने के महत्व की पुष्टि की।’’

बयान में इस बात पर भी जोर दिया गया कि वे अंतरराष्ट्रीय कानून, विशेष रूप से 1982 के समुद्री कानून संबंधी संयुक्त राष्ट्र संधि (यूएनसीएलओएस) के अनुसार, धमकी या बल के उपयोग के बिना विवादों के शांतिपूर्ण समाधान का प्रयास करेंगे।

मोदी की ब्रुनेई यात्रा के दौरान भी बुधवार को भारत-ब्रुनेई संयुक्त बयान में इसी तरह की बात पर जोर दिया गया था।

ब्रुनेई में अपने भाषण में मोदी ने यह भी कहा था कि भारत ‘‘विकास की नीति का समर्थन करता है, विस्तारवाद का नहीं।’’

उनकी यह टिप्पणी चीन पर केंद्रित प्रतीत हुई।

चीन दक्षिण चीन सागर के अधिकांश हिस्से पर अपना दावा करता है, जबकि फिलीपीन, मलेशिया, वियतनाम, ब्रुनेई और ताइवान इस पर प्रतिदावा करते हैं।

सिंगापुर और भारत ने ‘‘सभी पक्षों से बिना किसी धमकी या बल प्रयोग के शांतिपूर्ण तरीकों से विवादों को सुलझाने और क्षेत्र में तनाव बढ़ाने वाले कदमों से बचने तथा आत्म-संयम बरतने’’ का आह्वान किया।

Published By : Kanak Kumari Jha

पब्लिश्ड 6 September 2024 at 00:16 IST