अपडेटेड 25 January 2024 at 19:03 IST

UP News: बुलंदशहर में आर्म्स एक्ट के तहत दोषसिद्धि में वृद्धि हुई

पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में तमंचा रखने वाले लगभग 400 लोगों को पिछले तीन वर्षों में आर्म्स एक्ट 1959 के तहत दोषी ठहराया गया।

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आर्म्स एक्ट | Image: ANI/ Representative

पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले में ‘तमंचा’ रखने वाले लगभग 400 लोगों को, पिछले तीन वर्षों में शस्त्र अधिनियम, 1959 के तहत दोषी ठहराए जाने के कारण चुनाव लड़ने या सरकारी नौकरियों के लिए अयोग्य घोषित कर दिया गया है। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, पिछले तीन वर्षों में स्थानीय अदालत ने कड़े कानून के तहत कुल 392 आरोपियों को दोषी ठहराया। यह संख्या 2021 में 49 से बढ़कर 2022 में 122 और 2023 में 221 हो गई है।

पुलिस अधिकारियों ने शस्त्र अधिनियम के प्रावधानों का हवाला देते हुए कहा कि दोषी ठहराए गए लोगों को जेल भेज दिया गया है और उन्हें चुनाव लड़ने, सरकारी नौकरी पाने या अनुबंध कार्यों को लेकर निविदाएं पाने के लिए भी अयोग्य ठहराया गया है तथा वे पासपोर्ट या हथियार लाइसेंस के लिए आवेदन नहीं कर सकते हैं।

करीब 35 लाख (2011 की जनगणना) से अधिक की आबादी के साथ 4,353 वर्ग किलोमीटर में फैला बुलंदशहर अपनी समृद्ध कृषि भूमि, गन्ना उत्पादन, मिट्टी के बर्तनों के काम और बुलंद दरवाजा जैसे ऐतिहासिक स्थलों के लिए जाना जाता है। पिछले कुछ वर्षों में क्षेत्र में अवैध हथियारों विशेष रूप से सिंगल-शॉट पिस्तौल के प्रसार के कारण जिला कुख्यात रहा है। सिंगल-शॉट पिस्तौल को ‘‘तमंचा’’ कहा जाता है।

इस क्षेत्र में देशी हथियारों के प्रसार में योगदान देने वाले वाले प्रमुख कारकों में हरियाणा के साथ सटी सीमाएं, पुराने भूमि विवाद और हिंसा एवं आत्मरक्षा की संस्कृति को जन्म देने वाले जातिगत तनाव शामिल हैं। गौतम बुद्ध नगर और गाजियाबाद के आसपास के जिले इस ‘तमंचा संस्कृति’ से प्रभावित हुए हैं, क्योंकि अक्सर सड़क पर होने वाले अपराधों जैसे झपटमारी, हमले और डकैती की कई घटनाओं में संदिग्ध या तो बुलंदशहर के होते हैं या अपराधियों ने जिले से हथियार खरीदे होते हैं।

वर्ष 2023 में बुलंदशहर में शस्त्र अधिनियम, 1959 के तहत दर्ज मामलों में आरोपियों की सजा में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई। पीटीआई-भाषा को मिले आधिकारिक आंकड़े के अनुसार, 2021 में 49 मामले और 49 आरोपी थे और 2022 में 122 मामले और 122 आरोपी थे जबकि 2023 में 221 मामले और 221 आरोपी थे। कुल 392 मामले और 392 आरोपी थे जिन्हें स्थानीय अदालत ने शस्त्र अधिनियम के तहत दोषी ठहराया।

बुलंदशहर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक श्लोक कुमार ने पीटीआई-भाषा को बताया, ‘‘पुलिस की कार्रवाई और कानून प्रवर्तन के अलावा जिले में काफी समय से प्रचलित ‘तमंचा संस्कृति’ को रोकने के लिए लगातार प्रयास किया जा रहा है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘अदालत में पुलिस और वकीलों के कुशल और निरंतर प्रतिनिधित्व के कारण पिछले तीन वर्षों में अदालत के माध्यम से दोषसिद्धि की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।’’

आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, 2023 में शस्त्र अधिनियम के तहत स्थानीय अदालत ने कुल 221 आरोपियों को दोषी ठहराया था। 31 मामलों में दोषियों को तीन से सात साल तक की जेल की सजा सुनाई गई थी। आंकड़ों से पता चलता है कि दोषी ठहराए गए लोगों में से 24 हिस्ट्रीशीटर थे, तीन जिले के सबसे वांछित अपराधियों में से थे, तीन माफिया समूहों से संबंधित थे, पांच पर लूटपाट का मामला दर्ज था और 24 हत्या के आरोपी थे। चार लोग ऐसे भी थे जो ‘तमंचा’ दिखाते हुए अपने कथित वीडियो सोशल मीडिया पर आने के बाद मुसीबत में पड़ गए जिसके कारण उन्हें दोषी ठहराया गया।

इस वर्ष 22 मामले ऐसे भी आये जिनमें अदालत का फैसला घटना के दो दशक से भी अधिक समय बाद आया। आंकड़ों के मुताबिक, इसमें 1990 में हुए दो मामलों, 1991, 1992 और 1993 में एक-एक मामले में सजा शामिल है। 

Published By : Sujeet Kumar

पब्लिश्ड 25 January 2024 at 19:03 IST