अपडेटेड 16 April 2025 at 19:56 IST
वो भी एक दौर था, जब ट्रेन में नहीं होता था टॉयलेट... कैसे हुई शुरुआत? रोचक है कहानी
When were toilets introduced in Indian Railways? भारतीय रेलवे में शौचालय की शुरुआत कैसे हुई? भारत में शौचालय की शुरुआत किसने की थी? जानें..
How were toilets introduced in Indian Railways? ट्रेन का सफर जितना सुहाना होता है उतना ही दिलचस्प भी होता है। लेकिन बता दें सफर लंबा होता है ऐसे में टॉयलेट होने से लोगों को काफी सहूलियत होती है। लेकिन ट्रेन में पहले टॉयलेट नहीं होते थे। ऐसे में टॉयलेट की शुरुआत कैसे हुई थी और इसके पीछे कौन आदमी जिम्मेदार है, इसके पीछे एक दिलचस्प लंबी कहानी है, जिसके बारे में शायद ही लोगों को पता होगा। ऐसे में कहानी के बारे में पता होना जरूरी है। आज का हमारा लेख इसी विषय पर है।
आज हम आपको अपने इस लेख के माध्यम से बताएंगे कि ट्रेन में टॉयलेट की शुरुआत कैसे हुई थी। पढ़ते हैं आगे...
भारतीय रेलवे में शौचालय की शुरुआत कैसे हुई?
वैसे तो भारत में ट्रेन का होना अंग्रेजों की देन माना जाता है पर इस बात से हमे यह भी पता लगता है कि रेल का इतिहास बेहद पुराना है। लेकिन उस वक्त रेलवे में टॉयलेट की सुविधा नहीं हुआ करती थी। यह सुविधा एक आदमी की वजह से हमे मिली। जी हां, हम बात कर रहे हैं ओखिल चंद्र सेन की।
ओखिल चंद्र सेन ने एक लेटर लिखा और अपने साथ होने वाली दिक्कतों के बारे में भी बताया। ये लेटर उन्होंने 2 जुलाई 1909 को साहिबगंज रेल डिवीजन पश्चिम बंगाल को लिखा और उनसे ट्रेन में टॉयलेट बनवाने का अनुरोध किया। दरअसल ओखिल को रेल में टॉयलेट ना होने की वजह से बहुत परेशानी का सामना करना पड़ा था।
उन्होंने लेटर में लिखा, "मैं रेल से अहमदपुर स्टेशन आया हूं और मेरा पेट दर्द के कारण सूज गया है। मैं शौच करने के लिए किनारे पर भी बैठा लेकिन इतनी देर में गार्ड ने सीटी बजाई और ट्रेन चल दी। शौचालय की सुविधा ना होने के कारण मुझे एक हाथ में लोटा और दूसरी में धोती पकड़कर भागना पड़ा। इस कारण मैं गिर भी गया और साथ ही मुझे शर्मिंदा भी होना पड़ा। गार्ड मेरे लिए नहीं रुका इसलिए मुझे शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा। मैं अनुरोध करता हूं कि उस गार्ड पर भारी जुर्माना लगाया जाए नहीं तो मैं इस बारे में अखबारों में बता दूंगा।"
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Published By : Garima Garg
पब्लिश्ड 16 April 2025 at 19:54 IST