अपडेटेड 21 March 2025 at 18:26 IST

भारत नक्सलवाद से कब होगा मुक्त? संसद में गृहमंत्री अमित शाह ने तय कर दी तारीख

अमित शाह ने कहा, 'बजट सत्र के दौरान राज्यसभा में कहा कि सरकार संवाद सुरक्षा और समन्वय के सिद्धांत को आधार बनाकर नक्सल उग्रवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ रही है।'

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भारत नक्सलवाद से कब होगा मुक्त? संसद में गृहमंत्री अमित शाह ने तय कर दी तारीख | Image: Sansad TV

नक्सलवाद देश की बहुत बड़ी समस्या रही है। देश की सरकारें आजादी के बाद से लेकर अब तक इस संगठन से जूझती रही हैं। अब केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने नक्सलवाद से निपटने के लिए मास्टर प्लान तैयार किया है और दावा किया है कि 31 मार्च 2026 तक देश को इस बड़ी समस्या से निजात दिला देंगे। अमित शाह ने संसद के उच्च सदन में बजट सत्र के दूसरे चरण को संबोधित करते हुए नक्सलवाद को लेकर ये दावा किया है। अमित शाह ने उरी और पुलवामा हमलों के बाद महज 10 दिनों के भीतर ही भारत द्वारा की गई बदले की कार्यवाही की याद दिलाते हुए कहा कि इस ऐक्शन के बाद हम अमेरिका और इजरायल की सूची में आकर खड़े हो गए हैं।


इस बीच गृहमंत्री अमित शाह ने दावा किया कि 31 मार्च, 2026 तक भारत नक्सलवाद से मुक्त हो जाएगा। उन्होंने बजट सत्र के दौरान राज्यसभा में कहा कि सरकार संवाद सुरक्षा और समन्वय के सिद्धांत को आधार बनाकर नक्सल उग्रवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ रही है। उन्होंने कहा कि नक्सलवाद राजनीतिक समस्या नहीं है। हम इसे खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध हैं और ये होना जरूरी भी है। उन्होंने विपक्ष को जवाब देते हुए इस बात का दावा किया कि आने वाले एक साल के अंदर भारत सरकार नक्सलवाद को खत्म करके रहेगी। उन्होंने कहा कि सरकार नक्सल प्रभावित इलाकों में विकास कर रही है, ताकि वहां के लोग मुख्य धारा के साथ जुड़ सकें।  


2025 में अब तक कितने नक्सली मारे गए?

गृहमंत्रालय ने साल 2025 में मारे गए नक्सलियों की लिस्ट जारी की है। साल 2025 में अब तक कुल 90 नक्सली मारे जा चुके हैं। वहीं इसी साल देश के अलग-अलग हिस्सों से कुल 104 नक्सलियों को गिरफ्तार किया गया है। वहीं इसके अलावा नक्सलवाद छोड़कर समाज की मुख्यधारा में शामिल होने के लिए देश के अलग-अलग हिस्सों से कुल 164 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण कर दिया है। वहीं इसके पहले साल 2024 में पूरे देश में कुल 290 नक्सली मारे गए थे इसके अलावा 1090 नक्सलियों को गिरफ्तार किया गया और 881 ने आत्मसमर्पण किया था। साल 2004 से साल 2014 के एक दशक के बीच नक्सली हिंसा की कुल 16,463 घटनाएं हुई थीं, जबकि मोदी सरकार के कार्यकाल में 2014 से 2024 के बीच हिंसक घटनाओं की संख्या 53 प्रतिशत की कमी आई है। अब इन 10 सालों में नक्सली हिंसा की संख्या घटकर 7,744 रह गई हैं।


3 समस्याएं देश के लिए बन गईं थी नासूर

अमित शाह ने विपक्ष को जवाब देते हुए कहा कि 2 समस्याएं देश के लिए नासूर बन गईं थीं। इनमें से पहला था नक्सलवाद दूसरा था पूर्वोत्तर का उग्रवाद और तीसरा था आतंकवाद। पहले जम्मू-कश्मीर में आतंकी आते थे और देश में कोई भी त्योहार शांति पूर्वक नहीं होता था। अमित शाह ने आगे कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साल 2014 में सत्ता में आने के बाद भी पाकिस्तान ने उरी और पुलवामा में आतंकी हमला किया। हमने महज 10 दिनों में ही पाकिस्तान में घर में घुसकर एयर स्ट्राइक कर इन हमलों का जवाब दिया। पूरी दुनिया ने इसे देखा और इसके साथ ही भारत का नाम इजरायल और अमेरिका की महान सूची में जुड़ गया।


अब आतंकियों के मारे जाने के बाद नहीं निकलता है जुलूस

अमित शाह ने कहा कि कभी जम्मू-कश्मीर में आतंकियों के मारे जाने के बाद उनका जुलूस निकलता था। अब आज की तारीख में जहां भी आतंकी मारे जाते हैं वहीं दफना दिए जाते हैं। श्रीनगर के लाल चौक पर लोग तिरंगा फहराने से घबराते थे लेकिन हमने ऐसा अभियान चलाया कि कोई घर ऐसा नहीं बचा जिस पर तिरंगा अभियान में तिरंगा न फहराया गया हो। पहले घर का कोई आतंकी बन जाता था और परिवार के लोग आराम से सरकारी नौकरी करते थे। हमने उनको निकालने का काम किया और जेलों में बंद किया। जब विकास होता है तो अपन चैन अपने आप आता है। जम्मू कश्मीर में हमने साल 2019 से 2024 के दौरान 40 हजार सरकारी नौकरियां दी और 1.51 लाख स्वरोजगार सृजित हुए। आतंकवाद की वजह से होने वाली मौतों में 70 फीसदी की कमी आई।

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Published By : Ravindra Singh

पब्लिश्ड 21 March 2025 at 18:26 IST