अपडेटेड 10 July 2023 at 15:30 IST
आज तक नहीं माप पाया कोई इस शिवलिंग की गहराई, परशुराम ने की थी स्थापना; कुछ ऐसा है पुरा महादेव मंदिर का इतिहास
12 ज्योतिर्लिंगों के अलावा भारत में ऐसे कई मंदिर हैं जिनका काफी पुराना इतिहास और खासियत हैं। ऐसा ही एक मंदिर पुरा महादेव है जो अपने आप में ही एक अजुबा है।
Pura Mahadev Mandir: भारत धार्मिक मान्यताओं और पवित्र मंदिरों से बसा देश हैं। यहां कई सारे प्राचीन और पवित्र मंदिर पाए जाते हैं, जिनकी अपनी अलग विशेषताएं है। हिंदू धर्म में शिव जी के 12 ज्योतिर्लिंगों का विशेष महत्व माना जाता है। यह भगवान शिव के प्रतिष्ठित स्थलों में से एक हैं जिनके बारे में सभी लोग जानते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि ज्योतिर्लिंगों के अलावा भगवान शिव के कई ऐसे प्राचीन मंदिर हैं जिनके बारे में बहुत ही कम लोग जानते हैं। सावन के मौके पर आज उन्हीं में से एक के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं।
स्टोरी में आगे देखें.....
- कहां है पुरा महादेव का मंदिर?
- पुरा महादेव से जुड़ी कहानी
- क्या है पुरा महादेव मंदिर की खासियत?
कहां है पुरा महादेव का मंदिर?
दरअसल, हम बात कर रहे हैं पुरा महादेव मंदिर की जो अपने आप में ही अलग खासियत रखता है। ये मंदिर मेरठ शहर के पास बागपत जिले से 4.5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित बालौनी कस्बे के पुरा गांव में है। ये बहुत ही प्राचीन मंदिर है जिसे सिद्धपीठ भी माना जाता है। वैसे तो हमेशा ही यहां भक्तों का तांता लगा रहता है, लेकिन सावन के महीने में यहां कांवड़ियों और श्रद्धालुओं की इतनी भीड़ होती है कि यहां पैर तक रखना मुश्किल हो जाता है।
पुरा महादेव से जुड़ी कहानी
पुरा गांव के श्री परशुरामेश्वर महादेव मंदिर की ख्याति अंतरराष्ट्रीय स्तर पर है। इस मंदिर से जुड़ा एक इतिहास भी है। कथा के मुताबिक परशुरामेश्वर महादेव मंदिर उस कजरी वन में स्थित है, जहां पर जमदग्नि ऋषि अपनी पत्नी रेणुका के साथ रहा करते थे। आश्रम में ऋषि की पत्नी रेणुका प्रतिदिन कच्चा घड़ा बनाकर हिंडन नदी से जल भरकर भगवान शिव का जलाभिषेक किया करती थी। यहां एक बार राजा सहस्त्रबाहु शिकार खेलते हुए पहुंचे। इस दौरान ऋषि की कुटिया में सिर्फ रेणुका थी।
ऋषि की पत्नी रेणुका को उठा ले गया राजा
कथा के मुताबिक राजा कुटिया पर रेणुका के रूप को देखकर मोहित होकर उसे जबरन अपने साथ हस्तिनापुर ले गए। एक दिन बाद रेणुका बंधनमुक्त होकर दोबारा कजरी वन पहुंची तो ऋषि ने यह कहते हुए उन्हें अपनाने से इंकार कर दिया कि वह परपुरुष के साथ रहकर आईं हैं। ऋषि की इस बात को रेणुका नहीं मानी। तब ऋषि ने अपने चारों बेटों को बुलाया और अपनी मां का सिर धड़ से अलग करने का आदेश सुना दिया।
परशुराम ने काट दिया मां का सिर लेकिन....
ऋषि की इस बात को सुनकर तीन बेटे पीछे हट गए, लेकिन चौथे बेटे परशुराम ने मां का सिर धड़ से अलग कर दिया। लेकिन जमीन पर पड़े मां के सिर को देख परशुराम विचलित हो गया। वहीं पर बैठकर शिव की तपस्या शुरू कर दी। शिव प्रसन्न होकर प्रकट हुए। परशुराम ने अपनी मां को दोबारा जिंदा कराने का वचन मांगा। कहा जाता है कि भगवान शिव ने परशुराम को फरसा दिया। इसी फरसे से परशुराम ने राजा सहस्रबाहु का वध किया। ये वहीं परशुराम हैं जो अपने क्रोध के लिए जाने जाते हैं।
क्या है पुरा महादेव मंदिर की खासियत?
धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक पुरा महादेव मंदिर में स्थित शिवलिंग की स्थापना परशुराम ने ही की थी, लेकिन ये शिवलिंग अपने आप में ही एक अजूबा है। दरअसल, ये धरती में कितनी गहराई तक समाया हुआ है आज तक किसी को इसका ज्ञान नहीं हो पाया है। हालांकि, इस शिवलिंग की गहराई को मापने के लिए कई बार कोशिशें की गई, लेकिन हर बार लोग नाकामयाब रहें।
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Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।
Published By : Sadhna Mishra
पब्लिश्ड 10 July 2023 at 15:24 IST