अपडेटेड 14 August 2025 at 14:43 IST
ट्रंप के 'टैरिफ वार' में PM मोदी की डिप्लोमैटिक स्ट्राइक के समर्थन में खुलकर आए पूर्व राजनयिक, कहा- अगर आप किसी के आगे झुक जाते हैं तो वो...
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ वार में पूर्व राजनयिक PM मोदी की डिप्लोमैटिक स्ट्राइक के समर्थन में खुलकर आए। उन्होंने कहा कि अगर आप किसी के आगे झुक जाते हैं तो उसकी मांगें और बढ़ जाती है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ वार के बीच पूर्व राजनयिक विकास स्वरूप ने अमेरिका के साथ व्यापार वार्ता में भारत के स्पष्ट रुख का खुलकर समर्थन किया। उन्होंने कहा है कि भारत ने अपने कृषि और डेयरी क्षेत्रों को अमेरिकी बाजार के लिए खोलने के ट्रंप सरकार के दबाव का विरोध करके सही काम किया।
न्यूज एजेंसी ANI से बातचीत के दौरान पूर्व राजनयिक विकास स्वरूप ने कहा, "अगर आप किसी धौंसिया के आगे झुक जाते हैं, तो वह अपनी मांगें बढ़ा देगा।" इसके साथ ही उन्होंने चेतावनी दी कि ऐसी मांगों के आगे झुकने से और दबाव बढ़ेगा। बता दें, उनकी यह टिप्पणी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत द्वारा रूसी तेल आयात का हवाला देते हुए भारतीय वस्तुओं पर दो चरणों में 50 प्रतिशत टैरिफ लगाने के बाद आई है।
अमेरिका ने भारत पर लगाए 50 फीसदी टैरिफ
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने जुलाई में भारतीय वस्तुओं पर 25 प्रतिशत टैरिफ और एक अनिर्दिष्ट जुर्माना लगाने की घोषणा की थी, जबकि एक अंतरिम भारत-अमेरिका व्यापार समझौते की उम्मीदें थीं, जिससे दोनों देशों के बीच टैरिफ को लेकर बात बन सकती थी। हालांकि, कुछ दिनों बाद अमेरिका ने भारत के रूसी तेल आयात पर 25 प्रतिशत का और टैरिफ लगा दिया, जिससे कुल टैरिफ 50 प्रतिशत हो गया।
पाकिस्तान के करीब जाना अमेरिका की भूल
पूर्व राजनयिक ने पाकिस्तान के साथ अमेरिका के बढ़ते संबंधों की भी आलोचना की और इसे बीजिंग के साथ इस्लामाबाद के घनिष्ठ संबंधों को देखते हुए एक "रणनीतिक भूल" बताया। उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि यह अमेरिका की एक रणनीतिक भूल है कि आप उस पाकिस्तान के साथ मिल रहे हैं जो चीन के साथ मिल रहा है। चीन अमेरिका का रणनीतिक प्रतिद्वंद्वी है।"
'US के सामने ना झुकना भारत का सही फैसला'
उन्होंने आगे कहा, "अगर आप किसी डरा धमकाकर अपनी बात मनवाने वाले के आगे झुक जाते हैं, तो वह अपनी मांगें बढ़ा देगा। फिर मांगें और भी बढ़ जाएंगी। इसलिए, मुझे लगता है कि हमने सही काम किया है। भारत इतना बड़ा और इतना स्वाभिमानी देश है कि वह किसी दूसरे देश का अनुयायी नहीं बन सकता। हमारी रणनीतिक स्वायत्तता 1950 के दशक से ही हमारी विदेश नीति का आधार रही है। मुझे नहीं लगता कि दिल्ली में कोई भी सरकार इस पर समझौता कर सकती है।"
Published By : Kanak Kumari Jha
पब्लिश्ड 14 August 2025 at 14:43 IST