अपडेटेड 5 December 2025 at 22:48 IST
Jammu & Kashmir : ऐसा पहली बार हुआ है... आजादी 78 साल बाद पहली बार गांव पहुंची पक्की सड़क, ग्रामीण ने किया PM मोदी का धन्यवाद
जम्मू-कश्मीर के राजौरी जिले के कलाकोट क्षेत्र में पिर पंजाल की पहाड़ियों पर बसे 5-6 दुर्गम गांवों को आजादी के 78 साल बाद पहली बार सड़क संपर्क मिला है। नाबार्ड योजना के तहत 2.48 करोड़ रुपये की लागत से पट्टा-घोदर और अरास तक सड़कें बन रही हैं।
Rajouri Road Connectivity : भारत चांद तक पहुंच गया, लेकिन देश में आज भी कई ऐसे दुर्गम गांव हैं, जहां अभी तक पक्की सड़क नहीं पहुंची। आजादी के बाद पहली बार सरकार ने जम्मू और कश्मीर में राजौरी जिले के कालाकोट उपमंडल में दूरदराज के गांवों तक सड़क पहुंचाई है। जो उन्हें तहसील मुख्यालय, जिला मुख्यालय और राजौरी-कालाकोट राजमार्ग से जोड़ती है। राजौरी के दूरदराज के गांवों को आजादी 78 साल बाद पहली बार सड़क संपर्क मिला है।
पिर पंजाल पर्वतमाला के इन पहाड़ी इलाकों में बसे 5-6 गांव अब तक मोटरसाइकिल और वाहनों की पहुंच से दूर थे। पट्टा से घोदर गांव और अरास गांवों तक की सड़कें अब तैयार हो रही हैं, जिससे इन क्षेत्रों के निवासियों को लंबे समय से चली आ रही कठिनाइयों से राहत मिलेगी। यह परियोजना National Bank for Agriculture and Rural Development (NABARD)के तहत पूरी की गई है और स्थानीय लोगों ने मोदी सरकार को इसके लिए धन्यवाद दिया है।
2.48 करोड़ रुपये है लागत
मुख्य रूप से पटाचुई बाबली से पिर मल्ला घोदाद तक मिडिल स्कूल, पाटा होते हुए 3 किलोमीटर लंबी सड़क का निर्माण किया जा रहा है। इस सड़क पर 50 एमएम बीएम (बिटुमिनस मैकाडम) और 30 एमएम पीसी (प्रिमियर कोट) की परतें बिछाई जा रही हैं। परियोजना की कुल लागत 2.48 करोड़ रुपये है।
कई परियोजनाओं पर काम जारी
इसके अलावा प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (PMGSY) के तहत अन्य परियोजनाएं भी तेजी से चल रही हैं। कलाकोट से सुहोट तक की सड़क पर 50 प्रतिशत कार्य पूरा हो चुका है, जो मार्च 2026 तक पूरी हो जाएगी। मुगला में दो सड़कें और कलाकोट में दो अन्य सड़कें स्वीकृत हो चुकी हैं। NABARD योजना में शहरों और कस्बों के लिए जिला स्तर की योजना शामिल है, जबकि ग्रामीण संपर्क के लिए पंचायत फंड और पंचायती राज संस्थाएं योजनाओं का उपयोग किया जा रहा है।
इन सड़कों के निर्माण से कई गांवों में शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के अवसरों में बड़ा सुधार होगा। पहले बच्चे स्कूल जाने के लिए घंटों पैदल चलते थे। ग्रामीणों को इमरजेंसी में भी घोड़ों पर निर्भर रहना पड़ता था। अब सड़क संपर्क से बच्चे आसानी से शिक्षा प्राप्त कर सकेंगे, अस्पताल पहुंचना सरल हो जाएगा और आर्थिक गतिविधियां बढ़ेंगी।
Published By : Sagar Singh
पब्लिश्ड 5 December 2025 at 22:48 IST