अपडेटेड 24 May 2024 at 18:17 IST

कौन कहता है आसमां में सुराख...पैर से लिखने वाले छात्र ने पेश की मिसाल, 12वीं में लाया 78% मार्क्स

महाराष्ट्र के लातूर के एक दिव्यांग छात्र Ghaus Shaikh ने बारहवीं के पेपर अपने पैर से लिखकर 78 प्रतिशत नंबर हासिल किए हैं। हार न मानते हुए कायम की मिसाल।

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पैर से लिखा पेपर | Image: Shutterstock

Disabled Student Marks : महाराष्ट्र के लातूर से एक दिव्यांग छात्र की कहानी यकीनन आपको उत्साह से भर देगी। जी हां, गौस शेख के जन्म से ही हाथ नहीं थे, बावजूद इसके उन्होंने जिंदगी से हार न मानते हुए कुछ ऐसा कर दिखाया, जो हर कोई नहीं कर सकता। गौस शेख (Ghaus Shaikh) ने मिलास कायम करते हुए हाल ही में अपनी 12वीं क्लास पास की है। पेपर में जब उन्हें लेखक देने की बात पूछी गई तो उन्होंने साफ मना कर दिया और हाथ न होते हुए भी पैर से अपना पेपर खुद लिखा।  

दरअसल, लातूर के दिव्यांग छात्र ने बारहवीं की परीक्षा अपने पैर से लिखकर 78 प्रतिशत नंबर हासिल किए हैं। ऐसे में उनकी हिम्मत की हर कोई दाद दे रहा है, गौस शेख भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) अधिकारी बनना चाहते हैं, साइंस स्ट्रीम के छात्र गौस शेख ने परीक्षा लेखक की मदद लेने से इनकार कर दिया था, उन्होंने मार्च में आयोजित 12वीं की परीक्षा के दौरान अपने पैर की उंगलियों से उत्तर लिखा था। जन्म से ही हाथ न होने के से यकीनन उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा होगा, लेकिन फिर भी उन्होंने हार नहीं मानी। 

जन्म से ही नहीं थे हाथ, लेकिन हार नहीं मानी 

12वीं परीक्षा परिणाम इस सप्ताह के शुरुआत में घोषित हुए थे, एक छोटे से गांव के रहने वाले 17 साल के गौस शेख ने अपनी स्कूली शिक्षा वसंतनगर टांडा के रेणुकादेवी हायर सेकेंडरी आश्रम स्कूल में पूरी की है, जहां उनके पिता एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के रूप में कार्यरत हैं।

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4 साल की उम्र से पैर से लिखते हैं शेख

गौस शेख के पिता अमजद ने कहा कि, ''गौस ने चार साल की उम्र से ही अंक और अक्षर लिखना शुरू कर दिया था। उनके प्राथमिक शिक्षकों ने उन्हें अपने पैर की उंगलियों से लेखन का अभ्यास कराया। इसलिए वह सामान्य छात्रों को दिये गये अवधि में ही अपना परीक्षा लेखन कार्य पूर्ण कर लेता है।'' 

गौस शेख ने कायम की मिसाल 

यकीनन गौस शेख ने जिस तरह से हिम्मत दिखाते हुए बिना लेखक की मदद लिए जो साहस दिखाया वह काबिले तारीफ है, वहीं गौस शेख कहा कि, ''बचपन से ही मैंने अपने देश की सेवा करने का सपना देखा है, इसलिए मैं एक आईएएस अधिकारी बनना चाहता हूं।'' गौस शेख ने मिसाल कायम की है। साथ ही शेक की कहानी से यकीनन लाखों लोगों को हिम्मत मिलती है। जिन्होंने जिंदगी से हार न मानते हुए अपने पैर के हुनर से बिना किसी की मदद लिए न सिर्फ पेपर दिए, बल्कि बेहद अच्छे नंबरों से पास भी हुए।  

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इनपुट-भाषा

Published By : Sujeet Kumar

पब्लिश्ड 24 May 2024 at 18:11 IST