अपडेटेड 4 July 2023 at 13:05 IST

बचपन से आध्यात्म में रुचि, दादा से ली शिक्षा... कैसे बने धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री से बाबा बागेश्वर

पंडित धीरेंद्र शास्त्री मध्य प्रदेश के एक छोटे से गांव से अपना आध्यातम का सफर शुरू कर कैसे आज भारत के घर-घर में बनाई पहचान।

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Dhirendra Krishna Shastri | Image: self

Dhirendra Krishna Shastri Biography: धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री एक ऐसा नाम जिनकी चर्चा भारत के कोने-कोने में होने लगी है। लोगों के मन की बात बिना बताए कह देन की उनके खास अंदाज ने उन्हें एक अलग पहचान दी है। मध्य प्रदेश के छतरपुर में बागेश्वर धाम में दरबार लगाने वाले पंडित धीरेंद्र शास्त्री ( Pandith Dhirendra Shastri )देखते-देखते ही बाबा बागेश्वर धीरेंद्र शास्त्री बन गए हैं। महज 27 साल की उम्र में धीरेंद्र शास्त्री ने वो सफलता पा ली जिसे हासिल करने में कभी-कभी पूरी जिंदगी निकल जाती है। 

खबर में आगे पढ़ें: 

  • धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का जीवन परिचय
  • धीरेंद्र शास्त्री ने कहां से हासिल की प्रारंभिक शिक्षा
  • कैसे बने धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री से बाबा बागेश्वर

धीरेंद्र शास्त्री का 27वां जन्मदिन

4 जुलाई 2023 को पंडित धीरेंद्र शास्त्री अपना 27वां जन्मदिन मना रहे हैं। उनके जन्मदिन पर बागेश्वर धाम ( Bageshwar Dham) में खास तैयारी की गई है। उनके जन्मदिन पर हम आपको बताते हैं कि कैसे एक मध्यमवर्ग का लड़का भारत के बड़े कथावाचकों में शुमार हो गया। अपना दरबार लगाने लगा, सोशल मीडिया से लेकर हर जगह तहलका मचा दिया और आज लाखों की संख्या में लोग उन्हें गुरु, भगवान मनाने लगा। 

ऐसे हुआ लालन-पालन

धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का जन्म 4 जुलाई 1996 को मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के छतरपुर जिले में गढ़ा गांव में हुआ। उनका जन्म एक ब्राह्मण परिवार में हुआ, इसलिए पूजा-पाठ और कथा वाचन का एक माहौल घर पर मिलता रहा। पिता का नाम राम कृपाल गर्ग और मां सरोज गर्ग है। उनकी एक बहन और एक छोटा भाई भी है। धीरेंद्र शास्त्री ने शुरुआती जीवन अपने गांव में ही बिताया था। परिवार बिल्कुल मध्यम वर्ग का था, इसलिए इनका लालन-पालन भी साधारण तरीके से हुआ था। ऐसा कहा जाता है कि बचपन से ही इनको आध्यात्म में काफी रुचि थी, जिसकी शिक्षा उन्हें अपने दादा से मिली।

दादाजी भी लगाते थे दरबार

धीरेंद्र शास्त्री के दादा पंडित भगवान दास गर्ग ने चित्रकुट के निर्मोही अखाड़े से दीक्षा ली थी। बताया जाता है कि इनके दादा ने बागेश्वर धाम का जीर्णोद्धार किया था, वो भी इसी धाम में दरबार लगाया करते थे। उनके दादा संन्यासी बाबा को अपना गुरू मनाते थे। बागेश्वर धाम में ही संन्यासी बाबा की समाधी मौजूद है। धीरेंद्र शास्त्री बचपन से अपने दादा के दरबार में जाया करते थे और कथा सुना करते थे। दादा उनके बागेश्वर धाम में ही रहा करते थे। धीरेंद्र शास्त्री अपने माता-पिता से बागेश्नर धाम में ही रहने की इच्छ जताई।

छोटी से उम्र में बने सेवक 

इसके बाद उनके दादा ने उन्हें अपना शिष्य बना लिया। वहीं से उन्होंने कई तरह की सिद्धियां की शिक्षा प्राप्त की और बागेश्वर धाम की सेवा करनी शुरू कर दी। प्रारंभिक शिक्षा गांव के सराकारी स्कूल से पूरी करने के बाद उन्होंने कॉलेज में दाखिला लिया और वहां से BA की पढ़ाई पूरी की। पढ़ाई में कुछ खास दिलचस्पी थी नहीं, इसलिए वे अपने दादा से भागवत कथा, हनुमान कथा, रामायण, महाभारत का ज्ञान लिया और फिर दरबार लगाने लगे। 

 हनुमान जी की करते हैं साधना

धीरेंद्र शास्त्री ने हनुमान जी की साधना करनी शुरू कर दी और कम उम्र में बहुत सारी सिद्धि प्राप्त कर ली। इनके हनुमंत कथा कहने का अलग अंदाज लोगों को धीरे-धीरे भाने लगा और देखते ही देखते उनके दरबार में भक्तों की संख्या बढ़ने लगी। इनके दरबार में मंगलवार को अर्जी लगाई जाती है। बताया जाता है कि लोग एक कागज में अपनी समस्या लिखकर उसे नारियल से बांधकर बाबा के दरबार में अर्जी लगाते हैं।

बाबा धीरेंद्र शास्त्री लोगों को पर्जी बिना खोले ही उनकी समस्या बता देते हैं और फिर उसका समाधान भी बताते हैं। बाबा के मन की बात बताने का यही अंदाज उनको आज इतनी बड़ी पहचान दे दी। देश के कौने-कौने से लोग उनके दरबार में अर्जी लगाने आते हैं। भक्तों का कहना है कि बाबा हमारी समस्या बिना बताए ही समझ जाते हैं। बाबा चमत्कार करते हैं इसलिए उन्हें हनुमान का रूप मानते हैं।

चमत्कार के पीछे का राज

अब बाबा क्या चमत्कार करते हैं, कैसे मन की बात बता देते हैं, इस पर तो बहस जारी है। मगर उनको गुरु मानने वालों की संख्या में दिन-प्रतिदन इजाफा ही होता जा रहा है। परिमाणस्वरूप अब बाबा धीरेंद्र शास्त्री अलग-अलग राज्यों मे दरबार लगाने लगे हैं। भक्तों की बढ़ती संख्या और ख्याति देखकर उन्हें केंद्र सरकार ने Y कैटेगिरी की सुरक्षा प्रदान की है।

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UCC को लेकर क्या कहा ?

अपने बयानों के लेकर भी वो हमेशा सुर्खियों में रहते हैं। आचार्य धीरेंद्र शास्त्री लगातार देश को हिन्दू राष्ट्र घोषित करने की मांग करते आ रहे हैं। उनके समर्थन में कई कथावाचक भी आ गए हैं। हाल के दिनों में UCC पर चले विवाद पर उन्होंने अपनी प्रतिक्रिया दी। पंडित शास्त्री ने UCC का समर्थन करते हुए कहा कि देश में एकता के लिए एक कानून होना चाहिए। जो लोग इसका विरोध कर रहे हैं, वो देश की एकता के खिलाफ है।

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Published By : Rupam Kumari

पब्लिश्ड 4 July 2023 at 00:30 IST