अपडेटेड 9 April 2024 at 14:02 IST
चूहों को भोग लगाने वाले माता के मंदिर में भक्तों ने की पूजा, बीकानेर में मशहूर है करणी मां का मंदिर
Rajasthan: चैत्र नवरात्रि के पहले दिन करणी माता मंदिर में भक्तों ने पूजा अर्चना की है। जहां चूहों को भोग लगाने की मान्यता है।
Karni Mata temple: राजस्थान के बीकानेर में एक ऐसा सिद्धपीठ मंदिर है जहां देवी के लिए चिढ़ाए जाने वाले भोग को पहले चूहों को खिलाया जाता है। आज चैत्र नवरात्रि के पहले दिन इसी करणी माता मंदिर में भक्तों ने पूजा अर्चना की है। जहां चूहों को भोग लगाने की मान्यता है।
करणी माता के भक्तों की आस्था है की करणी माता के दरबार आने वाला कोई भी व्यक्ति खाली हाथ नहीं लौटता है। वहीं नवरात्रि के वक्त यहां भक्तों की भारी भीड़ जमा हो जाती है। दूर-दूर से लोग यहां माता के दर्शन और चूहे का झूठा प्रसाद लेने आते हैं।
चूहे वाले मंदिर के नाम से है प्रसिद्ध
राजस्थान के बीकानेर में शक्ति वाला यह सिद्धपीठ मंदिर चूहे वाले मंदिर के नाम से भी प्रसिद्ध है। करणी माता का यह मंदिर बीकानेर शहर से 32 किमी दूर देशनोक गांव में है। इस मंदिर की सबसे खास बात यह है कि यहां पर माता करणी को पूजा में चढ़ाए जाने वाले प्रसाद को सबसे पहले वहा के चूहों को दिया जाता है। और जब वह प्रसाद को झूठा कर देते है तब माता के भक्तों को वही प्रसाद के रूप में दिया जाता है।
दाढ़ी वाली बूढ़ी माता के रूप में मान्यता
बीकानेर में करणी माता को मां करणी, महाई और दाढाली डोकरी यानि दाढ़ी वाली बूढ़ी माता के रूप में जाना जाता है। करणी माता के बारे में धार्मिक मान्यता है कि उनका जन्म चारण जाति में हुआ था। जिनकी पूजा-अर्चना चारण परिवार के लोग करते हैं। माता को हिंदू योद्धाओं की देवी भी माना जाता है, जिन्हें उनके भक्त हिंगलाज देवी के रूप में पूजते हैं।
यहां चूहों को नहीं किया जाता परेशान
करणी माता के मंदिर में घूमने वाले हजाराें चूहों को लेकर मान्यता है कि जब कभी किसी चारण जाति के इंसान की मृत्यु होती है तो उसका पुनर्जन्म चूहे के रूप में होता है। यही कारण है कि माता के सेवक माने जाने वाले चूहों को यहां कोई परेशान नहीं करता, बल्कि माता के भोग से पहले चूहों को खाना दिया जाता है, वही प्रसाद के रूप में फिर भक्तों को दे दिया जाता है।
Published By : Nidhi Mudgill
पब्लिश्ड 9 April 2024 at 12:27 IST