अपडेटेड 22 March 2024 at 16:01 IST
ED गिरफ्त में केजरीवाल, क्या बने रहेंगे पद पर या देना पड़ेगा इस्तीफा? अब तक कौन-कौन CM हुआ गिरफ्तार!
ED ने शराब घोटाले मामले में दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार कर लिया। क्या इस स्थिति में उनकी सत्ता बनी रहेगी या फिर उनको पद से इस्तीफा देना पड़ेगा।
Kejriwal Arrest: ईडी ने पीएमएलए में दिल्ली के सीएम केजरीवाल को गिरफ्तार किया। कानून ऐसा है कि इसके तहत आरोपी की बेल मुश्किल से मिलती है। अग्रिम जमानत का प्रावधान इसमें नहीं है। हाल ही में भाजपा उम्मीदवार और पेशे से वकील बांसुरी स्वराज ने कहा भी था कि सीएम को ईडी समन की नाफरमानी नहीं करनी चाहिए।
क्या संवैधानिक पद पर बैठे शख्स के लिए आसान होगा गिरफ्तारी को चैलेंज करना या फिर पकड़े जाने के बाद उस पोजिशन पर बने रहना। ठीक वैसे ही जैसे केजरीवाल केस में देखने को मिल रहा है!
क्या कहता है कानून?
कानून के अनुसार, मुख्यमंत्री को सिविल मामलों में गिरफ्तारी और हिरासत से छूट मिली हुई है। लेकिन क्रिमिनल केस में मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी हो सकती है। वहीं, भारत के प्रेसिडेंट और गवर्नर एकमात्र संवैधानिक पद है, जिस पर बैठे शख्स को अपना कार्यकाल समाप्त होने तक सिविल और आपराधिक कार्रवाई में गिरफ्तारी से छूट मिली है। संविधान के आर्टिकल 361 में लिखा है कि भारत के प्रेसिडेंट और राज्यों के राज्यपाल की अपने पद पर रहते समय किसी भी केस के लिए किसी भी अदालत के प्रति जवाबदेही नहीं हैं। ये छूट प्रधानमंत्रियों, मुख्यमंत्रियों, केंद्रीय मंत्री, लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य को नहीं मिली है।
PMLA क्या, जिसके तहत केजरीवाल गिरफ्तार!
ईडी ने अरविंद केजरीवाल को Prevention of Money Laundering Act, 2002 कानून के तहत गिरफ्तार किया। ऐसा कानून जिसमें जमानत मिलने में काफी दिक्कतें आती हैं। ये कानून साल 2002 में पारीत हुआ और 1 जूलाई 2005 को Implement किया गया। इस कानून का मुख्य उद्देश्य मनी लॉन्ड्रिंग पर लगाम लगाना है। 2012 में पीएमएलए में कुछ संशोधन किया गया। इसके दायरे में बैंको, म्यूचुअल फंड्स, बीमा कंपनियो को भी लाया गया।
गिरफ्तारी को लेकर क्या है प्रक्रिया?
कोड ऑफ सिविल प्रोसिजर 135 के तहत CM या विधान परिषद के सदस्य को सिविल मामलों में अरेस्ट होने से छूट दी गई है, लेकिन क्रिमिनल मामलों में ऐसा नहीं है। वहीं, आपराधिक मामलों में गिरफ्तारी से पहले सदन के स्पीकर की मंजूरी लेनी होती है। मतलब साफ है कि विधानसभा अध्यक्ष की मंजूरी के बाद ही मुख्यमंत्री को अरेस्ट किया जा सकता है।
क्या राष्ट्रपति के हाथों में होगी कमान?
कानूनन,जब कोई सरकारी अफसर जेल जाने की स्थिति में रहता है तो उसे बर्खास्त कर सकते हैं, लेकिन राजनीतिक दलों के नेताओं पर ऐसी कोई रोक नहीं है। यहां ये बात जाननी भी जरूरी है कि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा नहीं मिला है। अगर मुख्यमंत्री इस्तीफा नहीं देते हैं तो राष्ट्रपति दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लागू कर सकते हैं।
दूसरी ओर लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत कुछ अपराधों के लिए अयोग्यता के प्रोविजन हैं, लेकिन पद संभालने वाले किसी भी व्यक्ति को सजा मिलना अनिवार्य है, तभी वह अयोग्य होगा।
सीएम गिरफ्तारी का इतिहास
लालू प्रसाद यादव की गिरफ्तारी: इसमें सबसे पहला नाम राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव का आता है। चारा घोटाले में सीबीआई चार्जशीट में उनका नाम सामने आया था। लालू ने 1997 में सीएम पद से इस्तीफा दे दिया। राबड़ी मुख्यमंत्री बनीं और इसके बाद लालू को गिरफ्तार किया गया।
जयललिता को हुई 4 साल की कैद: ऐसा ही कुछ जे जयललिता का साथ हुआ। मामला आय से अधिक समंपत्ति का था। साल 2014 में वो दोषी ठहराई गई थीं और उन्हें चार साल की सजा हुई। सजा के साथ ही वो सीएम पद के अयोग्य हो गईं। इसके बाद गिरफ्तारी हुई। यहां ये बात अहम है कि वो जांच चलने तक सीएम बनी रहीं। इस दौरान पनीरसेल्वम ने सीएम का पदभार संभाला।
बीएस येदियुरप्पा भी हुए गिरफ्तार, लेकिन...: 2011 में कर्नाटक के तत्कालीन CM बीएस येदियुरप्पा को अवैध खनन मामले को लेकर लोकायुक्त की रिपोर्ट सामने आने के बाद इस्तीफा देना पड़ा। कुछ वक्त बाद फिर उनकी गिरफ्तारी हुई।
जा सकता है पद, अगर…
इतिहास बताता है कि जब तक दोषी न साबित हों तब तक सीएम पद पर बना रह सकता है। जब वह किसी मामले में दोषी ठहराया जाता है। केजरीवाल को भी अभी तक दोषी नहीं ठहराया गया है। हटाने के तरीके दो हो सकते हैं। पहला वो विधानसभा में अपना बहुमत खो दें तो दूसरा सत्ता में सरकार के खिलाफ नो कॉन्फिडेंस मोशन का प्रस्ताव लाया जाए। दिलचस्प बात ये भी है कि 62 सदस्यों के साथ मेजोरिटी वाली सरकार के सीएम को छोड़ कुल 13 ऐसे मेंबर है जो किसी न किसी मामले में जेल जा चुके हैं या फिलहाल जेल में ही हैं।
Published By : Kiran Rai
पब्लिश्ड 22 March 2024 at 08:43 IST