अपडेटेड 12 November 2025 at 22:24 IST
व्हाइट कॉलर टेरर मॉड्यूल ने फरीदाबाद को क्यों बनाया बेस? इसके पीछे क्या था इनका मकसद
Faridabad explosive : जांच एजेंसियां जैश-ए-मोहम्मद के फरीदाबाद मॉड्यूल की टेरर फंडिंग की जांच कर रही हैं। खबर है कि लेडी डॉक्टर शाहीन सईद को आतंकी संगठन जैश से फंडिंग होती थी।
Delhi Blast Case : 10 नवंबर की शाम दिल्ली में लाल किले के पास हुए ब्लास्ट में अब तक 12 लोगों की मौत हो चुकी है। बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में दिल्ली आतंकी घटना की निंदा करते हुए एक प्रस्ताव पारित किया और पीड़ितों के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित की। भारत सरकार ने दिल्ली विस्फोट को "राष्ट्र-विरोधी ताकतों" द्वारा की गई "आतंकवादी घटना" बताया है।
धमाके की गूंज 2 दिन बाद भी राजधानी की फिजाओं में गूंज रही है। लाल किले के पास अब आतंकी घटना स्थल पर मलबा हटाने के लिए क्रेन तैनात की गई है। जिससे मलबे को मौके से हटाया जा सके। इस आतंकी हमले को अंजाम देने के लिए 'व्हाइट कॉलर टेरर मॉड्यूल' का इंस्तेमाल किया गया है। पुलिस ने फरीदाबाद में 2,900 किलो विस्फोटक और साजिश के आरोप में अब तक 6 डॉक्टर और 2 मौलवी समेत 18 लोगों को गिरफ्तार किया है, लेकिन सवाल है कि आखिर व्हाइट कॉलर टेरर मॉड्यूल ने फरीदाबाद को अपना बेस क्यों बनाया था?
फरीदाबाद को क्यों बनाया बेस?
इस बार आतंकियों के मनसूबे बेहद खतरनाक थे। फरीदाबाद को अपना मुख्य बेस बनाते हुए धौज और फतेहपुर तागा इलाकों में कमरे किराए पर लिए थे। इन जगहों पर आवाजाही आसान थी और बिना शक के विस्फोटक छिपाए जा सकते थे। इसके अलावा जिस अल फलाह यूनिवर्सिटी का तार सब संदिग्धों से जुड़े हैं, वो भी फरीदाबाद के धौज में है। पुलिस अब इन लोकेशनों पर गहन सर्च ऑपरेशन चला रही है।
क्या था मकसद?
इस धमाके का मकसद धार्मिक स्थलों को टारगेट करके साम्प्रदायिक तनाव भड़काना था। खबर है कि 200 से अधिक शक्तिशाली IED (इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस) तैयार करने की साजिश रची थी, जिन्हें एक साथ कई जगहों पर फोड़ा जाना था। यह प्लान जनवरी 2025 से ही चल रहा था और मुंबई 26/11 हमलों की तर्ज पर दिल्ली-NCR को अस्थिर करने का इरादा था।
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इस मॉड्यूल का संचालन जम्मू-कश्मीर के पुलवामा, शोपियां और अनंतनाग के कुछ रैडिकलाइज्ड डॉक्टरों द्वारा किया जा रहा था। इन डॉक्टरों ने अपनी 'व्हाइट-कॉलर' पहचान का फायदा उठाया। डॉक्टर होने के कारण इन पर शक कम होता था और ये NCR में बिना किसी बाधा के आ-जा सकते थे।
आतंकी संगठन जैश से होती थी फंडिंग
जांच एजेंसियां जैश-ए-मोहम्मद के फरीदाबाद मॉड्यूल की टेरर फंडिंग की जांच कर रही हैं। खबर है कि लेडी डॉक्टर शाहीन सईद को आतंकी संगठन जैश से फंडिंग होती थी। जैश के इशारे पर वेस्टर्न यूपी में कई जगह महिला विंग के लिए शाहीन रिक्रूटमेंट सेंटर खोलने में लगी थी। शाहीन सहारनपुर और हापुड़ में मिनी रिक्रूट-कमांड सेंटर के लिए कोई ऐसी जगह ढूंढ रही थी, जो शहर से थोड़ा बाहरी इलाके में हो और वहां लोगों की गतिविधियां कम हो।
सहीदा अजहर के संपर्क में थी
जांच एजेंसियों को शक है कि शाहीन के जरिए ही इस मॉड्यूल को जैश की तरफ से टेरर फंडिंग हो रही थी। शाहीन, आदिल, उमर और मुजम्मिल के अकाउंट खंगाले जा रहे हैं। इसके अलावा मौलवी इरफान अहमद भी जैश कमांडर के संपर्क में था और उसे भी जैश की तरफ से फंडिंग हो रही थी। शाहीन गरीब मुस्लिम बच्चियों और महिलाओं के लिए मदरसे और इरफान जकात के नाम पर फंड इकट्ठा कर रहे थे। जांच एजेंसियों को शक है कि इसका इस्तेमाल विस्फोटक और रेकी में किया गया। शाहीन सीधे अजहर मसूद की बहन सहीदा अजहर के संपर्क में थी।
Published By : Sagar Singh
पब्लिश्ड 12 November 2025 at 22:24 IST