अपडेटेड 11 July 2025 at 23:37 IST

लड़कियां थी 'प्रोजेक्ट', काजल था 'माइंडवॉश' और 'मिट्टी पलटने' का मतलब...छांगुर बाबा के कोडवर्ड हुए डिकोड; कोठी में करता था 'कांड'

UP के छांगुर बाबा के धर्मांतरण मामले में जांच एजेंसी ने अब बड़ा खुलासा किया है। जांच टीम को पता चला है कि छांगुर बाबा अपने दोस्तों से इस मामले में बात करने के लिए कोडवर्ड का इस्तेमाल करता था।

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छांगुर बाबा का कोडवर्ड हुआ डिकोड। | Image: ANI

अवैध धर्मांतरण रैकेट के सरगना जलालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा को लेकर एक के बाद एक कई खुलासे हो रहे हैं। ये पूरा मामला केवल धर्मांतरण का नहीं रहा। छांगुर नाम का कुख्यात जलालुद्दीन अपने साथियों से जिस कोड में बातें किया करता था, उसे लेकर बड़ा खुलासा हो गया है।

छांगुर अपने दोस्तों से बात करने के लिए जिस कोडवर्ड का इस्तेमाल करता था उसचके ऊपर से पर्दा उठ चुका है। इस मामले में जांच कर रही टीम को छांगुर के बातचीत की आडियो क्लिप मिली। आडियो क्लिप की जांच के बाद पता चला है कि छांगुर धकर्मांतरण के लिए 'मिट्टी पलटना' कोड का इस्तेमाल करता था।

लड़कियों के लिए कोडवर्ड था प्रोज्क्ट

वहीं लड़कियों के लिए वह 'प्रोजेक्ट' कोड का इस्तेमाल करता था। मानसिक रूप से प्रभावित करने के लिए कोडवर्ड काजल करना और छांगुर बाबा से मिलवाने के लिए कोडवर्ड था दर्शन। वह हिंदू लड़कियों को प्रेमजाल में फंसाता था। इसके लिए वह मुस्लिम युवकों को लपैसे देता था। सोशल मीडिया पर हिंदू नाम से फेक आईडी बनाना और फिर हिंदू नाम की पहचान बताना धर्मांतरण के इस खेल का सबसे बड़ा हथियार था।

UAE तक हो सकते छांगुर के तार

सुरक्षा एजेंसियों को शक है कि छांगुर बाबा के दुबई, शारजाह या संयुक्त अरब अमीरात (UAE) में भी बैंक खाते हो सकते हैं। इन खातों की जांच के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वित्तीय सूचनाएं जुटाई जा रही हैं। एटीएस का मानना है कि यह पूरा नेटवर्क न केवल धर्मांतरण गतिविधियों को संगठित रूप से बढ़ावा दे रहा था, बल्कि अंतरराष्ट्रीय हवाला चैनलों और फर्जी बैंकिंग गतिविधियों के माध्यम से संचालित हो रहा था। जांच एजेंसियां अब इस नेटवर्क से जुड़े हर व्यक्ति और संस्था की पड़ताल कर रही हैं, ताकि पूरे मॉड्यूल का खुलासा किया जा सके।

धर्मांतरण के लिए हिन्दू लड़कियों के रेट फिक्स थे

जांच में चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। पता चला है कि छांगुर बाबा और उसके साथियों का निशाना गरीब और मजदूर तबके की लड़कियों और उनके परिवार होते थे। ये लोग पहले उन्हें बहलाते-फुसलाते, फिर धर्मांतरण के लिए तैयार करते थे। हिंदू लड़कियों को इस्लाम अपनाने के लिए न केवल मानसिक रूप से प्रभावित किया जाता था, बल्कि उनके धर्मांतरण के बदले मोटी रकम भी दी जाती थी।

जातियों के आधार पर अलग-अलग रकम तय थी। ओबीसी समुदाय की लड़कियों को इस्लाम कबूलने पर 10 से 12 लाख रुपये, जबकि सवर्ण जातियों जैसे सिख, ब्राह्मण और क्षत्रिय समुदाय की लड़कियों को 15 लाख रुपये तक दिए जाते थे। अन्य पिछड़ी जातियों की लड़कियों को 8 लाख रुपये तक की पेशकश की जाती थी। इस सोची-समझी साजिश के तहत धर्मांतरण को एक संगठित धंधे में बदल दिया गया था।

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Published By : Kanak Kumari Jha

पब्लिश्ड 11 July 2025 at 23:25 IST