अपडेटेड 20 January 2025 at 16:24 IST
संजय रॉय ने कहा था- 'मैं रुद्राक्ष की माला पहनता हूं, अपराध किया होता तो टूट जाती', कोर्ट ने नहीं माना रेयरेस्ट ऑफ रेयर केस
न्यायाधीश अनिर्बान दास ने संजय रॉय को सजा सुनाते हुए कहा कि यह अपराध 'रेयरेस्ट ऑफ रेयर' केस श्रेणी में नहीं आता, जिससे दोषी को मौत की सजा नहीं दी जा सकती।
RG Kar Rape-Murder Case: कोलकाता के आरजी कर हॉस्पिटल और मेडिकल कॉलेज में ट्रेनी डॉक्टर की रेप के बाद हत्या के मामले में दोषी संजय रॉय को सियालदह कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई है। कोर्ट ने इसे 'रेयरेस्ट ऑफ रेयर' केस नहीं माना है। आरजी कर मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के सेमिनार हॉल में 9 अगस्त, 2024 को ट्रेनी महिला डॉक्टर का शव बरामद हुआ था। इसके एक दिन बाद 10 अगस्त को पुलिस ने संजय रॉय को गिरफ्तार किया था।
संजय ने अस्पताल में ड्यूटी पर तैनात महिला डॉक्टर के साथ बलात्कार कर बेरहमी से हत्या करदी थी और पूरे शरीर पर चोट के निशान थे। अगस्त 2024 में संजय रॉय के दोस्त ने बताया था कि 'वो हमेशा शराब के नशे में रहता था। आसपास की लड़कियों से अक्सर छेड़खानी करता था। संजय रॉय सेक्स एडिट था, जिस वजह से वो अक्सर रेड लाइट एरिया जाता था। संजय के दोस्त के मुताबिक वह अक्सर लोगों से झगड़ा करता था और पुलिस में होने का रोब जमाता था। वो अपनी पत्नी के साथ भी मारपीट करता था, उसके घर से अक्सर लड़ाई की आवाज आती थी।'
'मैं रुद्राक्ष की माला पहनता हूं...'
संजय रॉय को सियालदह अदालत ने सोमवार को आजीवन कारवास की सजा सुनाई। अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश अनिर्बान दास की अदालत ने शनिवार को रॉय को पिछले साल 9 अगस्त को हुए जघन्य अपराध के मामले में दोषी ठहराया था। आरोपी संजय रॉय को भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 64 (बलात्कार), 66 (मौत की वजह बनने के लिए सजा) और 103(1) के तहत बलात्कार और हत्या का दोषी पाया गया। BNS 103 (1) के तहत कम से कम आजीवन कारावास और अधिकतम फांसी की सजा के प्रावधान हैं।
दोषसिद्धि का फैसला सुनाये जाने के वक्त संजय रॉय ने अदालत के सामने दावा किया था कि उसे फंसाया गया है। उसने अपने बचाव में कहा, 'मैं रुद्राक्ष की माला पहनता हूं और अगर मैंने अपराध किया होता तो वह टूट जाती।'
संतुष्ट नहीं माता-पिता
इस मामले में 12 नवंबर को बंद कमरे में सुनवाई शुरू हुई थी। डॉक्टर के साथ रेप और हत्या के मामले में रॉय पर मुकदमे की सुनवाई 9 जनवरी को पूरी हुई थी, जिसके दौरान 50 गवाहों से पूछताछ की गई। मृतक डॉक्टर के माता-पिता ने दावा किया है कि 'अपराध में अन्य लोग भी शामिल थे और उन्हें उम्मीद है कि उन्हें भी गिरफ्तार किया जाएगा और अदालत में उनके खिलाफ मुकदमा चलाया जाएगा।'
फांसी की सजा क्यों नहीं?
न्यायाधीश अनिर्बान दास ने संजय रॉय को सजा सुनाते हुए कहा कि यह अपराध 'रेयरेस्ट ऑफ रेयर' केस श्रेणी में नहीं आता, जिससे दोषी को मौत की सजा नहीं दी जा सकती। अदालत ने राज्य सरकार को मृतक चिकित्सक के परिवार को 17 लाख रुपये का मुआवजा देने का भी निर्देश दिया है। जज ने दोषी करार देने के अंतिम फैसले और बचाव पक्ष के वकीलों की दलीलों के साथ-साथ पीड़ित परिवार और मामले की जांच कर रही CBI की अंतिम जिरह सुनने के बाद सजा का ऐलान किया।
Published By : Sagar Singh
पब्लिश्ड 20 January 2025 at 16:24 IST