अपडेटेड 16 December 2024 at 14:38 IST

‘एक परिवार के हित’ में संविधान संशोधन करती रही कांग्रेस की सरकारें- निर्मला सीतारमण

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को अभिव्यक्ति की आजादी से लेकर शाह बानो प्रकरण और आपातकाल से जुड़े विभिन्न संविधान संशोधनों का उल्लेख करते हुए कांग्रेस पर ‘एक परिवार के हित’ में संविधान में संशोधन करते रहने का आरोप लगाया।‘

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निर्मला सितारमण | Image: Sansad TV

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को अभिव्यक्ति की आजादी से लेकर शाह बानो प्रकरण और आपातकाल से जुड़े विभिन्न संविधान संशोधनों का उल्लेख करते हुए कांग्रेस पर ‘एक परिवार के हित’ में संविधान में संशोधन करते रहने का आरोप लगाया। ‘भारत के संविधान की 75 वर्षों की गौरवशाली यात्रा’ विषय पर राज्यसभा में चर्चा की शुरुआत करते हुए सीतारमण ने कहा कि इन संविधान संशोधनों के दौरान कांग्रेस की तत्कालीन सरकारों ने ना तो प्रक्रिया का पालन किया और ना ही संविधान की भावना का कोई सम्मान किया।

उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस के नाम अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाने और भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू पर पुस्तकों पर प्रतिबंध लगाने का रिकॉर्ड है। उन्होंने कहा, ‘‘मजरूह सुल्तानपुरी और बलराज साहनी दोनों को 1949 में जेल में डाल दिया गया था। 1949 में मिल मजदूरों के लिए आयोजित बैठकों में से एक में मजरूह सुल्तानपुरी ने एक कविता सुनाई थी जो जवाहरलाल नेहरू के खिलाफ थी। और इसलिए उन्हें जेल जाना पड़ा।’’

सीतारमण ने कहा कि सुल्तानपुरी ने माफी मांगने से इनकार कर दिया था और उन्हें जेल भेज दिया गया। उन्होंने कहा, ‘‘अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाने का कांग्रेस का रिकॉर्ड यहीं तक सीमित नहीं था। वर्ष 1975 में माइकल एडवर्ड्स ने तत्कालीन प्रधानमंत्री नेहरू पर एक राजनीतिक जीवनी लिखी थी। इस पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। उन्होंने ‘किस्सा कुर्सी का’ नामक एक फिल्म को भी सिर्फ इसलिए प्रतिबंधित कर दिया क्योंकि इसमें प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, उनके बेटे और तत्कालीन सूचना और प्रसारण मंत्री पर सवाल उठाया गया था।’’

सीतारमण ने कहा कि 1950 में उच्चतम न्यायालय की ओर से वामपंथी पत्रिका ‘क्रॉस रोड्स’ और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की पत्रिका ‘ऑर्गनाइजर’ के पक्ष में सुनाए गए एक फैसले का जिक्र करते हुए कहा कि इसके जवाब में तत्कालीन अंतरिम सरकार संविधान संशोधन किया जो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाते थे।

उन्होंने कहा, ‘‘कई उच्च न्यायालयों ने भी हमारे नागरिकों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को बरकरार रखा, लेकिन अंतरिम सरकार ने जवाब में सोचा कि पहले संशोधन की आवश्यकता है। यह कांग्रेस द्वारा लाया गया था।’’ उन्होंने इंदिरा गांधी बनाम राजनारायण मामले से संबंधित संवैधानिक संशोधनों का भी उल्लेख किया और कांग्रेस पर हमला करते हुए कहा, ‘‘ये संशोधन लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए नहीं बल्कि सत्ता में बैठे लोगों के हित में लाए गए थे।’’

उन्होंने कहा, ‘‘कल्पना कीजिए कि किसी व्यक्ति के लिए अपनी कुर्सी बचाने के लिए, अदालत के फैसले से पहले ही एक संशोधन किया गया था।’’ शाह बानो मामले में उच्चतम न्यायालय के 1986 के एक फैसले का उल्लेख करते हुए सीतारमण ने कहा कि तत्कालीन सरकार ने इसे पलटते हुए मुस्लिम महिलाओं को गुजारा भत्ता के अधिकार से वंचित कर दिया।

उन्होंने कहा, ‘‘हमारी पार्टी ने नारी शक्ति वंदन अधिनियम पारित किया जबकि कांग्रेस की तत्कालीन सरकार ने संविधान संशोधन करके मुस्लिम महिलाओं को अधिकारों से वंचित किया।’’ इससे पहले, वित्त मंत्री ने 15 महिलाओं सहित संविधान सभा के 389 सदस्यों को श्रद्धांजलि दी, जिन्होंने बहुत ही चुनौतीपूर्ण माहौल में भारत का संविधान तैयार किया था।

सीतारमण ने कहा कि भारत का संविधान ‘‘समय की कसौटी पर खरा उतरा है। आज हम भारत के लोकतंत्र के विकास पर बेहद गर्व महसूस कर रहे हैं।’’ उन्होंने कहा कि देश के संविधान के 75 साल पूरे हो रहे हैं और ‘‘यह समय भारत के निर्माण के लिए अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करने का है, जो इस पवित्र दस्तावेज में निहित भावना को बनाए रखेगा।’’

भारत और उसके संविधान को अपनी अलग पहचान बताते हुए सीतारमण ने कहा कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद 50 से अधिक देश स्वतंत्र हुए और उन्होंने अपना संविधान लिखा। उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन कई देशों ने अपने संविधानों को बदला है, कई ने न केवल उनमें संशोधन किया है, बल्कि सचमुच अपने संविधान की पूरी विशेषता को बदल दिया है। लेकिन हमारा संविधान समय की कसौटी पर खरा उतरा है।’’

उन्होंने कहा कि भारत के संविधान में समय समय पर संशोधन किए गए हैं। उन्होंने कहा ‘‘संशोधन समय की मांग थी।’’ उच्च सदन में सोमवार और मंगलवार को 'भारतीय संविधान के 75 वर्षों की गौरवशाली यात्रा' पर राज्यसभा में चर्चा नियत है। सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा कि समय की कोई कमी नहीं होगी और जितने भी वक्ता बोलने के इच्छुक होंगे, उन्हें चर्चा की अवधि बढ़ाकर समायोजित किया जाएगा।

 

(Note: इस भाषा कॉपी में हेडलाइन के अलावा कोई बदलाव नहीं किया गया है)

Published By : Nidhi Mudgill

पब्लिश्ड 16 December 2024 at 14:38 IST