अपडेटेड 5 November 2021 at 18:09 IST
Chitragupta Puja 2021: जानिए चित्रगुप्‍त पूजा की विधि और शुभ मुहूर्त, पूजन से मिलती है इस कष्‍ट से मुक्‍ति
चित्रगुप्त पूजा का शुभ मुहूर्त 6 नवंबर 2021, शनिवार को दोपहर 1 बजकर 15 मिनट से शाम 3 बजकर 25 मिनट तक है।
हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि को चित्रगुप्त पूजा की जाती है। इस बार चित्रगुप्त पूजा का पावन पर्व 6 नवंबर 2021, शनिवार को है। आम तौर पर भी दिवाली के दो दिन बाद चित्रगुप्त भगवान की पूजा की जाती है। चित्रगुप्त पूजा का सनातन धर्म में विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार देवताओं के लेखपाल चित्रगुप्त महाराज मनुष्य के पापों का लेखा जोखा करते हैं। लेखन कार्य से भगवान चित्रगुप्त का जुड़ाव होने के कारण इस दिन कलम, दवात और बहीखातों की भी पूजा की जाती है।
मिलती है नर्क की यातनाओं से मुक्ति
चित्रगुप्त जी महाराज को कायस्थ लोग अपने इस्ट देवता के रूप में मानते हैं। कहा जाता है कि चित्रगुप्त महाराज की पूजा अर्चना करने से नरक की यातनाओं से मुक्ति मिलती है तथा सभी पाप नष्ट होते हैं। तो आईए जानते हैं इस पूजा का शुभ मुहूर्त, पूजा करने के विधि और चित्रगुप्त महाराज की उत्पत्ति के बारे में।
पूजा का शुभ मुहूर्त
चित्रगुप्त पूजा का शुभ मुहूर्त 6 नवंबर 2021, शनिवार को दोपहर 1 बजकर 15 मिनट से शाम 3 बजकर 25 मिनट तक है। यानि पूजा की कुल अवधि 1 घंटे 50 मिनट है।
पूजा करने की विधि
पूजा विधि के अंतर्गत ये मान्यता है कि चित्रगुप्त पूजा के दिन एक सफेद कागज पर श्री गणेशाय नम: और 11 बार ओम चित्रगुप्ताय नमः लिखकर पूजन स्थल के पास रख दिया जाता है। इसके अलावा ऊं नम: शिवाय और लक्ष्मी माता जी सदा सहाय भी लिखा जाता है। फिर उसपर स्वास्तिक बनाकर बुद्धि, विद्या और लेखन का अशीर्वाद मांगा जाता है।
इस मंत्र से करें चित्रगुप्त महाराज की पूजा
मसिभाजनसंयुक्तं ध्यायेत्तं च महाबलम्।लेखिनीपट्टिकाहस्तं चित्रगुप्तं नमाम्यहम्।।
ॐ श्री चित्रगुप्ताय नमः मंत्र का भी उच्चारण करते रहें। पूजा के समय चित्रगुप्त प्रार्थना मंत्र भी जरूर पढ़ें। उसके बाद चित्रगुप्त जी की आरती करें।
कैसे हुई चित्रगुप्त महाराज की उत्पत्ति
स्कंद पुराण में वर्णित कथा के अनुसार चित्रगुप्त महाराज को देवलोक में धर्म का अधिकारी भी कहा जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान चित्रगुप्त जी की उत्पत्ति सृष्टिकर्ता बह्मा जी की काया से हुई। जब भगवान ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना की तब यमराज के पास मृत्यु एवं दण्ड देने का कार्य अधिक होने के कारण सही से नहीं हो पा रहा था। ऐसे में यमदेव ने ब्रह्मा जी से प्रार्थना कर एक योग्य मंत्री की मांग की, जो उनके लेखे जोखे का काम संभाल सके। ब्रह्मा जी ने अपनी काया से चित्रगुप्त महाराज की उत्पत्ति की। वहीं एक दूसरी कथा के अनुसार चित्रगुप्त महाराज की उत्पत्ति समुद्र मंथन से हुई। धार्मिक ग्रंथो के अनुसार समुद्र मंथन से जिन 14 रत्नों की प्राप्ति हुई थी, उनमें से चित्रगुप्त महाराज की उत्पत्ति हुई।
नोट- लेख मान्यताओं पर आधारित है। रिपब्लिक भारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।
Published By : Ankur Shrivastava
पब्लिश्ड 5 November 2021 at 18:09 IST