अपडेटेड 11 October 2021 at 12:51 IST

'चीन के पास भारत की जमीन पर कब्जा करने का कोई मतलब नहीं': मेजर जनरल जीडी बख्शी

भारत और चीनी सेना के बीच कोर कमांडर स्तर की वार्ता चुशुलू-मोल्डो बार्डर पर 10 अक्टूबर को हुई।

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PC-PTI | Image: self

पूर्वी लद्दाख (Eastern Ladakh) में महीनों से चल रहे सीमा विवाद (Border Dispute) के बीच रविवार को भारत (India) और चीन (China) के बीच 13वें दौर की कोर कमांडर स्‍तर की वार्ता समाप्‍त हो गई। हालांकि यह बातचीत बेनतीजा रही। इस बैठक में चीन ने उल्‍टा भारत पर ही अनुचित और अवास्तविक मांगों पर जोर देने का आरोप लगा दिया। इस पूरे मामले पर रिटायर्ड मेजर जनरल जीडी बख्शी ने अपनी राय रखी है। उन्‍होंने शांतिपूर्ण समाधान पर चीन के झूठे वादों पर जोर देते हुए भारत के प्रति चीन के भड़काऊ व्यवहार के बारे में विस्‍तार से बताया। 

जीडी बख्‍शी ने कहा, 'चीन के पास भारत की जमीन पर कब्जा करने का कोई मतलब नहीं है।' उन्होंने आगे कहा कि 'चीन ने बार-बार भारत से सीमा मुद्दों को शांतिपूर्वक निपटाने के लिए कहा है, लेकिन उसके द्वारा कभी इस तरह की कोई कार्रवाई नहीं की गई है।' रिटायर्ड मेजर जनरल ने बताया कि "चीन की इस मुद्दे (सीमा विवाद) को हल करने में कोई दिलचस्पी नहीं है। वो आगे भी ऐसा प्‍लान करेगा जिससे भारत को उकसाया जा सके।'

भारत-चीन सैन्य वार्ता का 13वां दौर

आपको बता दें, भारत और चीनी सेना के बीच कोर कमांडर स्तर की वार्ता चुशुलू-मोल्डो बार्डर पर 10 अक्टूबर को हुई। लद्दाख में लंबे समय से चले आ रहे तनाव के बाद दोनों देशों के कोर कमांडरों के बीच यह 13वें दौर की बातचीत थी। हालांकि, 14 कोर कमांडर लेफ्टिनेंट-जनरल पीजीके मेनन और दक्षिण शिनजियांग सैन्य जिले के नेतृत्व में नौ घंटे तक चली यह बैठक किसी नतीजे पर नहीं पहुंची। न्‍यूज एजेंसी एएनआई के सूत्रों के अनुसार, शी जिनपिंग प्रशासन ने पूर्वी लद्दाख सेक्टर में सैन्य गतिरोध को हल करने के लिए कोई प्रस्ताव नहीं दिया। जबकि चीन का आरोप है कि भारत ने मुश्किलों के समाधान के लिए अवास्तविक मांगें रखी हैं।

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याद दिला दें कि, पिछले महीने विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अपने चीनी समकक्ष वांग यी के साथ बैठक की थी। इस संदर्भ में विदेश मंत्रालय की प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया, "दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हुए थे कि मौजूदा स्थिति को लंबा खींचना किसी भी पक्ष के हित में नहीं है क्योंकि यह नकारात्मक तरीके से संबंधों को प्रभावित कर रहा है। इसलिए, विदेश मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि दोनों पक्षों को द्विपक्षीय समझौतों और प्रोटोकॉल का पूरी तरह से पालन करते हुए पूर्वी लद्दाख में एलएसी के साथ शेष मुद्दों के शीघ्र समाधान की दिशा में काम करना चाहिए।"

गलवान संघर्ष के बाद भारत

गलवान संघर्ष के एक साल बाद भारत ने कुछ बड़े विकास किए हैं। इनमें कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए बुनियादी ढांचे का निर्माण और चीनी सेना द्वारा किसी भी संभावित आक्रमण से निपटने के लिए अतिरिक्त सैनिकों को तैनात करना शामिल है। सैनिकों के आवास के क्षेत्र में, रक्षा बलों की सबसे बड़ी उपलब्धि सैनिकों के लिए आवास बनाने में रही है क्योंकि सैन्य इंजीनियरों ने पिछले 11 महीनों के भीतर अगले पांच वर्षों में सुविधाओं का निर्माण करने की योजना बनाई है। अधिकारियों ने कहा कि सशस्त्र बलों की तैयारी अब उस स्तर पर है जहां चीनी सेना या कोई अन्य विरोधी हमें किसी भी तरह का नुकसान नहीं पहुंचा सकता।

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Published By : Ankur Shrivastava

पब्लिश्ड 11 October 2021 at 12:50 IST