अपडेटेड 26 July 2024 at 14:03 IST
मोईदाम के UNESCO वर्ल्ड हेरिटेज में शामिल होने पर गदगद CM हिमंता, क्यों किया PM मोदी का धन्यवाद
असम के चराइदेव मोईदाम को UNESCO ने विश्व धरोहर घोषित कर दिया है। यूनेस्को की घोषणा के बाद चराईदेव मोईदाम भारत का 43वां विश्व धरोहर स्थल बन गया।
असम के चराइदेव मोईदाम को UNESCO ने विश्व धरोहर घोषित कर दिया है। भारत सरकार पिछले 10 सालों से लगातार इसकी मांग कर रही था। यूनेस्को की घोषणा के बाद चराईदेव मोईदाम भारत का 43वां विश्व धरोहर स्थल बन गया। असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिश्व शर्मा ने इसकी जानकारी देते हुए कहा कि ये असम के लिए एक बड़ी जीत है।
मोईदाम पूर्वोत्तर भारत का एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक और सांस्कृतिक स्थल है। इसका इतिहास 700 साल पुराना माना जाता है। यहां पर चीन से आईं ताई-अहोम जनजातियों के राजाओं के कब्र स्थल बने हैं। कहा जाता है कि प्राचीन दफन टीलों का निर्माण 13वीं से 18वीं शताब्दी के दौरान अहोम राजाओं द्वारा किया गया था। चराइदेव मोईदाम असम में शासम करने वाले अहोम राजवंश के सदस्यों के नश्वर अवशेषों को दफनाने की प्रक्रिया थी। राजा को उनकी सामग्री के साथ दफनाया जाता खा।
असम के लिए एक बड़ी जीत- हिमंत बिस्वा सरमा
चराइदेव मोईदाम UNESCO के विश्व धरोहर सूची में शामिल होने की जानकारी असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने X पर दी। उन्होंने पोस्ट में लिखा, मोईदाम सांस्कृतिक संपत्ति श्रेणी के तहत यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल हो गया है। असम के लिए एक बड़ी जीत। यह पहली बार है जब उत्तर पूर्व का कोई स्थल सांस्कृतिक श्रेणी के तहत यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल हुआ है।
मोईदाम को UNESCO ने विश्व धरोहर घोषित किया
काजीरंगा और मानस राष्ट्रीय उद्यानों के बाद यह असम का तीसरा विश्व धरोहर स्थल है। विश्व धरोहर स्थल के रूप में नई दिल्ली में आयोजित विश्व धरोहर समिति के 46वें सत्र में इसे नामित किया गया था। पीएम मोदी ने भारत भर में 52 स्थलों में से अहोम समुदाय के मोईदाम को विरासत स्थल के रूप में नामांकित करने के लिए चुना था। इसके लिए असम सीएम ने पीएम का आभार भी जताया था। यूनेस्कों की घोषणा के बाद चराईदेव मोईदाम भारत का 43वां विश्व धरोहर स्थल बन गया। इसे असम का पिरामिड भी कहा जाता है।
मोईदाम को विश्व धरोहर घोषित कराने का प्रस्ताव भारत सरकार ने 15 अप्रैल 2014 को यूनेस्को के पास भेजा था। मोईदाम 2014 में यूनेस्को की विश्व धरोहर की अस्थाई सूची में शामिल हुआ था। जनवरी 2023 में इसका भारत की तरफ से आधिकारिक नामांकन किया गया। इसकी जांच के लिए यूनेस्को की ओर से एक तकनीकी टीम भी भारत आई थी। इसके बाद भारत सरकार के प्रस्ताव को हरी झंडी दे दी गई।
Published By : Rupam Kumari
पब्लिश्ड 26 July 2024 at 13:59 IST