अपडेटेड 29 September 2024 at 13:55 IST
चांद पर जहां उतरा अपना चंद्रयान-3 वो जगह है बेहद खास, 3.85 अरब वर्ष पुराने क्रेटर की हुई खोज
Chandrayaan-3: भारत का चंद्र मिशन चंद्रयान-3 चंद्रमा पर 3.85 अरब साल पुराने गड्ढे में उतर गया है। यह गड्ढा चंद्रमा की सतह पर सबसे पुराने गड्ढों में से एक है।
Chandrayaan-3: चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग ने दुनियाभर में भारत की वैज्ञानिक ताकत पर चार चांद लगा दिया था। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने 14 जुलाई, 2023 को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से चंद्रयान-3 लॉन्च किया और इसकी उड़ान ने 140 करोड़ भारतीयों का सीना गर्व से चौड़ा कर दिया। अब लॉन्चिंग के 13 महीने बाद भारत के चंद्रयान- 3 ने चंद्रमा पर बड़ा खोज किया है।
वैज्ञानिकों ने शनिवार को कहा कि भारत का चंद्र मिशन चंद्रयान-3 चंद्रमा पर 3.85 अरब साल पुराने गड्ढे में उतर गया है। यह गड्ढा चंद्रमा की सतह पर सबसे पुराने गड्ढों में से एक है। भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO), अहमदाबाद के वैज्ञानिकों ने कहा कि जिस गड्ढे पर चंद्रयान-3 उतरा, वह लगभग 3.85 अरब साल पहले नेक्टेरियन काल के दौरान बना था।
जहां उतरा चंद्रयान-3 वो है बेहद खास
भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के शोधकर्ताओं ने बताया कि चंद्रमा जिस ‘क्रेटर’ पर उतरा है वह ‘नेक्टरियन काल’ के दौरान बना था। ‘नेक्टरियन काल’ 3.85 अरब वर्ष पहले का समय है और यह चंद्रमा की सबसे पुरानी समयावधियों में से एक है।
भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला के ग्रह विज्ञान प्रभाग में ‘एसोसिएट प्रोफेसर’ एस. विजयन ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘चंद्रयान-3 जिस स्थल पर उतरा है वह एक अद्वितीय भूगर्भीय स्थान है, जहां कोई अन्य मिशन नहीं पहुंचा है। मिशन के रोवर से प्राप्त चित्र चंद्रमा की ऐसी पहली तस्वीर हैं जो इस अक्षांश पर मौजूद रोवर ने ली हैं। इनसे पता चलता है कि समय के साथ चंद्रमा कैसे विकसित हुआ।’’
जब कोई तारा किसी ग्रह या चंद्रमा जैसे बड़े पिंड की सतह से टकराता है तो गड्ढा बनता है तथा इससे विस्थापित पदार्थ को ‘इजेक्टा’ कहा जाता है। चंद्रयान-3 एक ऐसे ‘क्रेटर’ पर उतरा था - जिसका व्यास लगभग 160 किलोमीटर है और तस्वीरों से इसके लगभग अर्ध-वृत्ताकार संरचना होने का पता चलता है। शोधकर्ताओं ने कहा कि यह संभवतः क्रेटर का आधा भाग है और दूसरा आधा भाग दक्षिणी ध्रुव-‘ऐटकेन बेसिन’ से निकले ‘इजेक्टा’ के नीचे दब गया होगा। प्रज्ञान को चंद्रयान-3 के लैंडर विक्रम ने चंद्रमा की सतह पर उतारा था।
बता दें कि चंद्रयान-3 ने 23 अगस्त, 2023 को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ की थी। चंद्रयान जिस स्थल पर उतरा था उसका 26 अगस्त 2023 को ‘शिव शक्ति पॉइंट’ नाम रखा गया था।
Published By : Ritesh Kumar
पब्लिश्ड 29 September 2024 at 13:55 IST