अपडेटेड 23 July 2024 at 21:31 IST

Name Plate Row: कांवड़ यात्रा के दौरान नेमप्लेट लगाने के आदेश पर SC का बड़ा फैसला, लगाई अंतरिम रोक

Name Plate Row: कांवड़ यात्रा से जुड़े नेमप्लेट विवाद में सुप्रीम कोर्ट ने यूपी, मध्य प्रदेश और उत्तराखंड सरकार के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी है।

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नेमप्लेट विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने अगले आदेश तक लगाई रोक। | Image: (Getty Images)

Name Plate Row: कांवड़ यात्रा से जुड़े नेमप्लेट विवाद में सुप्रीम कोर्ट ने यूपी, मध्य प्रदेश और उत्तराखंड सरकार के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी है। मामले में अगली सुनवाई 26 जुलाई को  होने वाली है।बता दें, तीनों राज्यों की सरकारों ने उन्होंने कावड़ यात्रा के दौरान पड़ने वाले फल विक्रेताओं, ढाबे वाले को नाम उजागर करने का आदेश दिया था। 

यूपी में कांवड यात्रा मार्ग की दुकानों पर नाम लिखे जाने के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट मे सुनवाई हुई। बता दें, NGO एसोशिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स ने उत्तर प्रदेश में कांवड़ यात्रा मार्ग की दुकानों पर मालिकों के नाम और मोबाइल नंबर लिखे जाने वाले आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है।

'विशेष समुदाय के आर्थिक बहिष्कार की कोशिश'

जस्टिस ऋषिकेश राय और जस्टिस एसवीएन भट्टी की बेंच ने इस मामले में सुनवाई की। याचिकाकर्ता की तरफ से वकील सीयू सिंह ने दलील दी। सीयू सिंह ने कहा कि यूपी प्रशासन दुकानदारों पर दबाव डाल रहा है कि वो अपने नाम और मोबाइल नंबर डिस्प्ले करें। ये सिर्फ ढ़ाबा तक सीमित नहीं है, रेहडी वालों पर भी दबाव बनाया जा रहा है। ताकि एक विशेष समुदाय का आर्थिक बहिष्कार किया जा सके।

इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये स्वैच्छिक है। ये मेंडेटरी नहीं है। याचिकाकर्ता ने कहा कि हरिद्वार पुलिस ने केस इसको लागू किया है। इसको देखे। वहा पुलिस को तरफ से चेतावनी दे गई की अगर नही करते तो करवाई होगी। मध्य प्रदेश में भी इस तरह की  करवाई की बात की गई है।

याचिकाकर्ता ने कहा की ये विक्रेताओं के लिए आर्थिक मौत की तरह है। SC ने सवाल किया कि क्या सरकार ने इस बारे में कोई औपचारिक आदेश पास किया है? जिसपर जवाब था कि सरकार अप्रत्यक्ष  रूप से इसे लागू रही है। पुलिस कमिश्नर ऐसे निर्देश जारी कर रहे है। वहीं महुआ मोइत्रा की तरफ से पेश हो रहे अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि इसमें विक्रेताओं को बड़े बोर्ड की जरूरत है, जिसमें सारी जानकारी साझा करनी होगी। अगर शुद्ध शाकाहारी होता तो बात समझ आती है।

वकील सीयू सिंह ने कहा कि कोई ऐसा कानून नहीं है, जो पुलिस ऑथोरिटी को इस तरह का निर्देश जारी करने का अधिकार देता हो। अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि कावड़ यात्रा तो सदियों से चली आ रही है। पहले इस तरफ की बात नहीं थी।

जमीनी हकीकत से ज्यादा बढ़ाकर ना बताएं बातें: SC

सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता के वकील अभिषेक मनु सिंघवी से कहा कि आपको हमें स्थिति को इस तरह से नहीं बताना चाहिए कि यह जमीनी हकीकत से ज्यादा बढ़ जाए। इसके तीन आयाम हैं- सुरक्षा, मानक और धर्मनिरपेक्षता। तीनों ही समान रूप से महत्वपूर्ण हैं।

जब अभिषेक मनु सिंघवी ने कोर्ट से कहा कि ये पहचान और आर्थिक बहिष्कार है, इसपर जस्टिस एसवीएन भट्टी ने तीनों आयाम की बात कही। सिंघवी ने कहा कि पहले मेरठ पुलिस फिर मुज्जफरनगर पुलिस ने नोटिस जारी किया था।

सीयू सिंह:  रिपोर्टों से पता चला है कि नगर निगम ने निर्देश दिया है कि 2000 रुपये और 5000 रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा।

सिंघवी: ने मुज्जफरनगर पुलिस का जिक्र किया कहा उन्होंने बहुत चालाकी से स्वैच्छिक शब्द लिखा। हिंदुओं द्वारा चलाए जाने वाले बहुत से शुद्ध शाकाहारी रेस्टोरेंट हैं...लेकिन उनमें मुस्लिम कर्मचारी भी हो सकते हैं...क्या कोई कह सकता है कि मैं वहां जाकर खाना नहीं खाऊं? क्योंकि उस खाने पर किसी न किसी तरह से उन लोगो का हाथ है?

सिंघवी-100 से अधिक लोग अपनी नौकरी गवां रहे हैं...यहां तक ​​कि गैर-अल्पसंख्यक मालिक भी अल्पसंख्यक नहीं रखेंगे।

जे रॉय: क्या कांवड़िये यह भी उम्मीद करेंगे कि भोजन किसी खास वर्ग के मालिक द्वारा पकाया जाए? और किसी खास समुदाय द्वारा उगाया जाए?

SC: कावड़िए क्या ये सोचते है की की उन्हें फूड किसी चुनीदा दुकानदार से मिले?

सिंघवी: कावड़िया पहली बार यात्रा तो नही कर रहे है न। पहले से करते आए है।

SC: दूसरे पक्ष (यूपी सरकार) से क्या कोई पेश हो रहा है।

जस्टिस भट्टी: ने कहा मेरा व्यक्तिगत अनुभव है। एक वेजिटेरियन होटल मुस्लिम और एक वेजिटेरियन मुस्लिम द्वारा। मैं मुस्लिम होटल में गया। वहा साफ सफाई थी इस लिए गया था। ये पूरी तरह से आपकी पसंद का मामला है।

सिंघवी: ने यूपी सरकार के आदेश पर रोक लगाने की मांग की।

जस्टिस भट्टी - मेरा व्यक्तिगत अनुभव है। केरल में एक वेजिटेरियन होटल हिंदू और एक वेजिटेरियन मुस्लिम द्वारा चलाए जा रहे हैं, लेकिन मैं मुस्लिम होटल में गया। वहां साफ सफाई थी। इसमें सेफ्टी, स्टैंडर्ड और हाईजीन के मानक अंतर्राष्ट्रीय स्तर के थे। इस लिए गया था। ये पूरी तरह से आपकी पसंद का मामला है।

सिंघवी: खाद्य सुरक्षा अधिनियम में भी केवल 2 शर्तें हैं... केवल कैलोरी और शाकाहारी/मांसाहारी भोजन को प्रदर्शित करना होगा

जस्टिस भट्टी: लाइसेंस भी प्रदर्शित करना होगा

सिंघवी: यह पुलिस का काम नहीं है...पुलिस कैसे इतने व्यापक निर्देश जारी कर सकती है? वकील हुजैफा अहमदी-मुजफ्फरनगर पुलिस की मुहर के साथ एक सार्वजनिक नोटिस जारी किया गया है। यह उनके ट्विटर हैंडल पर भी है।

याचिकाकर्ता ने कहा की उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश की हायर ऑथोरिटी की तरफ से इसे लागू किया गया। मुज्जफरनगर पुलिस के स्वैच्छिक शब्द को दो तरीके से लिया जा सकता है। स्वैच्छिक और लागू करना ही है।

हुजैफा अहमदी-  इसका असर यह हुआ है कि इसके बाद कुछ खास समुदाय के कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया गया है। यह पुलिस के हस्तक्षेप के बाद हुआ है...प्रेस रिपोर्ट्स में ऐसी बातें कही गई हैं। यह फैसला सीधे तौर पर धर्मनिरपेक्षता और बंधुत्व की भावना पर  चोट पहुंचाता है... अनुच्छेद 15(2) कहता है कि किसी भी व्यक्ति को किसी विशेष जाति का होने के कारण वंचित नहीं किया जा सकता है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा की कावड़ियों को केवल वेजिटेरियन खाना मुहैया कराना मकसद है। याचिकाकर्ता के मुताबिक इस तरह का नोटिस भेदभाव करता है और छुवाछूत को बढ़ावा देता है।

SC ने तीनों सरकारों को जारी किया नोटिस शुक्रवार तक मांगा जवाब

यूपी मे कांवड यात्रा मार्ग की दुकानों पर नाम लिखे जाने के आदेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और उत्तराखंड सरकार को नोटिस जारी किया और शुक्रवार (26 जुलाई) तक नोटिस पर जवाब मांगा।

 

Published By : Kanak Kumari Jha

पब्लिश्ड 22 July 2024 at 13:17 IST