अपडेटेड 24 April 2025 at 21:46 IST
नजाकत खान, वो बहादुर जिसने पहलगाम आतंकी हमले के दौरान 11 पर्यटकों को बचाया
इस आतंकी हमले में नजाकत ने अपने चाचा आदिल हुसैन शाह को खोया है। आदिल ने भी पर्यटकों की जान बचाने की कोशिश की थी, लेकिन उनकी गोली मारकर हत्या कर दी गई।
Pahalgam Terror Attack : 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर में पहलगाम की बैसरन घाटी में हुए आतंकी हमले ने देश को हिलाकर रख दिया है। बैसरन घाटी को 'मिनी स्विट्जरलैंड' के नाम से जाना जाता है, यहां हर रोज हजारों प्रर्यटक पहुंचे हैं। ये हमला 2019 के पुलवामा हमले के बाद कश्मीर घाटी का सबसे घातक हमला है। जब आतंकियों की गोलियां पर्यटकों को निशाना बना रही थी, उस वक्त कश्मीरी युवक नजाकत शाह ने बहादुरी दिखाते हुए 11 लोगों की जान बचाई।
युवा कपड़ा व्यापारी और टूरिस्ट गाइड नजाकत अली शाह ने छत्तीसगढ़ से आए 11 पर्यटकों लोगों की जान बचाकर अदम्य साहस का परिचय दिया। ये लोग छत्तीसगढ़ से जम्मू-कश्मीर में छुट्टियां मनाने आए थे। 11 पर्यटकों में चार कपल और उनके तीन बच्चे शामिल हैं। छत्तीसगढ़ BJP नेता अरविंद अग्रवाल का परिवार भी इन पर्यटकों में शामिल था। अरविंद ने जान बचाने के लिए नजाकत का शुक्रिया अदा किया है। उन्होंने लिखा कि नजाकत ने अपनी जान की परवाह किए बिना उनकी जान बचाई।
एक बच्चा पीठ पर, दूसरा बाहों में
ये आतंकी हमला पहलगाम से करीब 7 किलोमीटर दूर बैसरन घाटी में हुआ है। जिस वक्त हमला हुआ, छत्तीसगढ़ से आया ये ग्रुप घोड़े पर सवार होकर अपनी छुट्टियों का लुत्फ उठा रहा था। जब सब लोग घाटी की सुंदरता को निहार रहे थे, तभी हमलावरों ने गोलीबारी शुरू कर दी। गोलियों की आवाजें सुनकर बच्चे रोने लगे, तो नजाकत ने जल्दी से एक बच्चे को अपनी पीठ पर और दूसरे को अपनी बाहों में उठा लिया और सभी परिवारों को सुरक्षित स्थान पर ले गए।
हमले में नजाकत के चाचा की मौत
इस आतंकी हमले में नजाकत ने अपने चाचा आदिल हुसैन शाह को खोया है। आदिल ने पर्यटकों को जान बचाने की कोशिश की थी, लेकिन उनकी गोली मारकर हत्या कर दी गई। आदिल के परिजनों को उनके बेटे पर फख्र है। नजाकत अपने चाचा के जनाजे में भी शामिल नहीं हो सके, क्योंकि उन्हें पर्यटकों के परिवारों सुरक्षित एयरपोर्ट तक पहुंचाना था।
'बेटियों की याद आ रही थी'
नजाकत की बहादुरी की तारीफ अब पूरे कश्मीर में हो रही है। नजाकत ने बताया कि ‘गोलियों की आवाज सुनकर हम सब डर गए थे, मौत हमारे सामने थी। मेरी दो बेटियां हैं, मुझे लगा कि ये आखिरी वक्त है। मैं अपने आखिरी वक्त में अपनी बेटियों से बात करना चाहता था। मैंने अपना मोबाइल निकाला तो उसमें नेटवर्क नहीं था। उस वक्त बस ये ही था कि जान बचाई जाए।’
Published By : Sagar Singh
पब्लिश्ड 24 April 2025 at 21:46 IST