अपडेटेड 10 May 2024 at 22:30 IST

'पहले 2 बच्चें हैं, मैटरनिटी लीव नहीं देंगे', छुट्टी से इनकार पर HC ने कहा- महिलाओं का सम्मान सीखें

Bombay High Court: बम्बई उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि मां बनना एक नैसर्गिक प्रक्रिया है और एक नियोक्ता को महिला कर्मचारियों का ध्यान रखना चाहिए।

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Bombay High Court | Image: PTI/ Representational

Bombay High Court: बम्बई उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि मां बनना एक नैसर्गिक प्रक्रिया है और एक नियोक्ता को महिला कर्मचारियों का ध्यान रखना चाहिए और उसके प्रति सहानुभूति रखनी चाहिए।

अदालत ने यह बात भारतीय हवाईअड्डा प्राधिकरण (एएआई) द्वारा जारी उस पत्र को खारिज करते हुए कही जिसमें एक महिला कर्मचारी को इस आधार पर मातृत्व अवकाश देने से इनकार कर दिया गया था कि उसके पहले से ही दो बच्चे हैं।

न्यायमूर्ति ए एस चंदूरकर और न्यायमूर्ति जितेंद्र जैन की खंडपीठ ने कहा कि हमारे समाज का लगभग आधा हिस्सा महिलाएं बनाती हैं, उनके साथ उन स्थानों पर सम्मानित और सम्मानजनक व्यवहार किया जाना चाहिए जहां वे अपनी आजीविका कमाने के लिए काम करती हैं।

खंडपीठ ने कहा कि उनके कर्तव्यों, व्यवसाय और कार्यस्थल की प्रकृति जो भी हो, महिलाओं को वे सभी सुविधाएं प्रदान की जानी चाहिए जिनकी वे हकदार हैं।

पीठ ने एएआई, पश्चिमी क्षेत्र मुख्यालय द्वारा जारी 2014 के उस पत्र को रद्द कर दिया, जिसमें एक कर्मचारी को यह कहते हुए मातृत्व अवकाश देने से इनकार कर दिया गया था कि उसके पहले से ही दो बच्चे हैं।

अदालत ने कहा, ‘‘मां बनना एक महिला के जीवन की सबसे स्वाभाविक घटना है। किसी सेवारत महिला के बच्चे के जन्म को सुविधाजनक बनाने के लिए जो कुछ भी आवश्यक है, नियोक्ता को उसका ध्यान रखना चाहिए। नियोक्ता को एक कामकाजी महिला के प्रति सहानुभूति रखनी चाहिए और गर्भ में बच्चे के साथ कार्यस्थल पर कर्तव्यों का निर्वहन करते हुए आने वाली शारीरिक मुश्किलों या जन्म के बाद बच्चे का पालन-पोषण करते समय आने वाली कठिनाइयों का एहसास होना चाहिए।’’

अदालत ने यह फैसला एयरपोर्ट्स अथॉरिटी आफ इंडिया वर्कर्स यूनियन और कनकावली राजा अर्मुगम उर्फ कनकावली श्याम संदल द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनाया। ये याचिकाएं 2014 में एएआई, पश्चिमी क्षेत्र मुख्यालय द्वारा जारी उन दो पत्रों को चुनौती देते हुए दायर की गई थी, जिसमें मातृत्व अवकाश लाभ के लिए कनकावली के आवेदन को खारिज कर दिया गया था क्योंकि उनके पहले से ही दो बच्चे थे।

पत्र में कहा गया था कि महिला एएआई अवकाश विनियम 2003 के अनुसार मातृत्व अवकाश के लिए अयोग्य थी।

महिला का पहला विवाह एएआई के कर्मचारी राजा अर्मुगम से हुआ था और उनकी मृत्यु के बाद उसे अनुकंपा के आधार पर नौकरी दी गई थी। महिला ने अपनी याचिका में कहा कि उसकी पिछली शादी से उसका एक बच्चा था और अपने पहले पति की मृत्यु के बाद उसने दूसरी शादी की और इस विवाह से दो बच्चे पैदा हुए।

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(Note: इस भाषा कॉपी में हेडलाइन के अलावा कोई बदलाव नहीं किया गया है)

Published By : Kunal Verma

पब्लिश्ड 10 May 2024 at 22:30 IST