अपडेटेड 23 June 2023 at 00:19 IST
जीवन की वास्तविकता की कहानी है विश्वजीत झा की किताब 'Modern Buddha'
एक काल्पनिक कथा, 'मॉडर्न बुद्धा' दर्शाती है कि कैसे एक व्यक्ति जीवन में कई अलग-अलग परिस्थितियों का सामना करता है और निर्णय लेता है।
पत्रकार से लेखक बने और सामाजिक कार्यकर्ता बिस्वजीत झा की किताब 'मॉडर्न बुद्धा' जीवन की सच्चाई को तलाशती है और उसे सामने लाने का प्रयास करती है। व्यापक रिसर्च और भूटान में बौद्ध भिक्षुओं सहित लोगों के साथ बातचीत के बाद ये किताब लिखी गई है। इस किताब में ये बताया गया है कि कैसे दुनिया भौतिकवादी उपलब्धियों के पीछे भागती है लेकिन सच्ची खुशी कहीं और है।
बिस्वजीत झा इस बात से सहमत हैं कि 'मॉडर्न बुद्ध' काफी हद तक आत्मकथात्मक है, या आंशिक रूप से उनके किसी करीबी के साथ घटित अनुभव या घटनाएं हैं। लोगों को किस चीज से खुशी मिलती है, यह जानने के लिए लेखक ने भूटान और भारत के कुछ हिस्सों में बड़े पैमाने पर यात्रा की।
यह किताब सकल राष्ट्रीय प्रसन्नता (जीएनएच) (Gross National Happiness) के बारे में गहराई से बताती है। झा के अनुसार छोटे हिमालयी राष्ट्र के नागरिकों ने शांतिपूर्वक और प्रकृति के साथ सद्भाव में रहना सीख लिया है जो उन्हें दुनिया के सबसे खुशहाल लोगों में से एक बनाता है।
एक काल्पनिक कथा, 'मॉडर्न बुद्धा' दर्शाती है कि कैसे एक व्यक्ति जीवन में कई अलग-अलग परिस्थितियों का सामना करता है और निर्णय लेता है।
बिस्वजीत झा मध्यवर्गीय परिवारों के जुनून को दर्शाते हैं जो अपने बच्चों के माध्यम से अपने सपनों को पूरा करना चाहते हैं। किताब में उस मिडिल क्लास फैमिली के बारे में बयां किया गया, जहां माता-पिता अपने बच्चों पर अपने लिए बेहतर जीवन सुनिश्चित करने का दबाव डालते हैं, जिसे वे खुद हासिल नहीं कर सकते।
एक महत्वाकांक्षी फुटबॉलर, माता-पिता के दबाव के कारण सिद्धार्थ अपने सपने छोड़ने के लिए मजबूर होता है। फिर उसे इस बात पर यकीन दिलाया जाता है, कि उसका जीवन उसके माता-पिता के उन सपनों तो पूरा करने के लिए है, जो वो पूरा नहीं कर सके।
पुस्तक जीवन के सार को जीवंतता और खूबसूरती से पकड़ने में सफल होती है। यह परिवार की विभिन्न बारीकियों और जीवन के वास्तविक उद्देश्य को सामने लाता है, जो केवल कुछ हासिल करने के बारे में नहीं है जिसकी समाज प्रशंसा करता है। बल्कि सफलताओं, असफलताओं, रिश्तेदारी, सीखने, ना सीखने और आसपास की अजीबो-गरीब घटनाओं का अनुभव करने के साथ-साथ पूरी यात्रा के बारे में है।
पुस्तक के सभी पात्र हमारे आस-पास की सच्चाई का प्रतिबिंब हैं और अपनी रोज की कठिनाइयों, आकांक्षाओं, संघर्षों और उपलब्धियों के बारे में बात करते हैं।
अधिकांश लोगों को इस बारे में केवल अस्पष्ट विचार है कि उनका जीवन कैसा होना चाहिए। झा इस पहलू को सामने लाते हैं कि अधिकांश मामलों में, ये अस्पष्ट विचार यह आकार देने लगते हैं कि हम कैसे बनते हैं, हम क्या हासिल करते हैं और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि हम अपने समाज को क्या वापस देते हैं।
आखिर में सब कुछ एक साधारण से बात पर आकर सिमट जाता है कि हमारा जीवन बिल्कुल वैसा ही हो जाता है जैसा हम उसे समझते हैं। इसलिए, यह महत्वपूर्ण है कि हमारे पास जीवन का सही दृष्टिकोण हो। लेकिन दुर्भाग्यवश, अधिकांश लोगों, जिनमें तथाकथित शिक्षित लोग भी शामिल हैं, के पास सही दृष्टिकोण नहीं है। वे नहीं जानते कि 'सफल' होने के बावजूद 'खुश और संतुष्ट जीवन' कैसे जिया जाए।
बिस्वजीत झा ने 10 साल तक दिल्ली में राष्ट्रीय मीडिया में पत्रकार के रूप में शुरुआत की। उन्होंने खेल संपादक के रूप में अपनी अच्छी-खासी तनख्वाह वाली नौकरी छोड़ दी और वंचितों के लिए काम करने के लिए उत्तरी बंगाल में अपने गृहनगर लौट आए।
'मॉडर्न बुद्धा' झा की दूसरी किताब है। उनकी पहली किताब 'बाइक एम्बुलेंस दादा' थी, जो पेंगुइन रैंडम हाउस द्वारा प्रकाशित की गई थी और जल्द ही एक बायोपिक में तब्दील होने वाली है।
Published By : Kanak Kumari Jha
पब्लिश्ड 23 June 2023 at 00:19 IST