अपडेटेड 18 October 2024 at 22:40 IST

केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने गिरिराज सिंह की 'हिंदू स्वाभिमान यात्रा' को दिया समर्थन

बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने अपने मंत्रिमंडलीय सहयोगी गिरिराज सिंह द्वारा शुरू की गई ‘हिंदू स्वाभिमान यात्रा’ को समर्थन दिया है।

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Union Minister Jitan Ram Manjhi | Image: X

केंद्रीय मंत्री और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने शुक्रवार को अपने मंत्रिमंडलीय सहयोगी गिरिराज सिंह द्वारा शुरू की गई ‘हिंदू स्वाभिमान यात्रा’ को समर्थन दिया। इस यात्रा की राष्ट्रीय जनता दल (राजद) जैसी विपक्षी पार्टियों ने आलोचना की है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अगुवाई वाली जदयू ने भी यात्रा के दौरान संभावित सांप्रदायिक तनाव के बारे में चिंता व्यक्त की है। यह यात्रा आने वाले दिनों में बिहार के कई जिलों से होकर गुजरेगी।

गिरिराज सिंह ने शुक्रवार को अपने बेगूसराय निर्वाचन क्षेत्र से लगभग 150 किलोमीटर दूर भागलपुर जिले से यात्रा की शुरुआत की। सिंह की यात्रा के बारे में पूछे जाने पर केंद्र सरकार में बिहार से एक अन्य प्रमुख चेहरे मांझी ने कहा, “हमारा एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है... किसी विशेष धर्म को बढ़ावा देने के लिए धर्म परिवर्तन करने पर कोई रोक नहीं है। ऐसी स्थिति में यदि वह (गिरिराज) किसी विशेष धर्म का प्रचार करने जा रहे हैं, तो इसमें बुराई क्या है? इसे राजनीतिक चश्मे से क्यों देखा जा रहा है?”

गिरिराज अपने समाज को एकजुट करने की कोशिश कर रहे हैं-मांझी

जब मांझी से पूछा गया कि क्या वह सिंह की यात्रा का समर्थन करते हैं, तो उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा, “निश्चित रूप से, मैं कहूंगा कि यदि वह (गिरिराज) अपने समाज को एकजुट करने की कोशिश कर रहे हैं, तो वह सही काम कर रहे हैं।” केंद्रीय एमएसएमई मंत्री मांझी हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (सेक्युलर) के संस्थापक हैं। इससे पहले मांझी ने दिल्ली हाट में विशेष खादी प्रदर्शनी का उद्घाटन किया।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ‘वोकल फॉर लोकल’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियानों को बढ़ावा देने और खादी कारीगरों की आय बढ़ाने के लिए देशव्यापी ‘खादी महोत्सव’ के हिस्से के रूप में त्योहारी सीजन के दौरान यह प्रदर्शनी आयोजित की जा रही है। यह 31 अक्टूबर तक चलेगी। इस बीच, केंद्रीय मंत्री सिंह ने दावा किया कि उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले में हुई सांप्रदायिक हिंसा हिंदुओं के सामने मौजूद “खतरे” को उजागर करती है, जिन्हें बहुसंख्यक होने के बावजूद अधिक “संगठित” होने की आवश्यकता है।

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Published By : Rupam Kumari

पब्लिश्ड 18 October 2024 at 22:40 IST