अपडेटेड 22 November 2024 at 12:59 IST

बिहार में पैथोलॉजी जांच के टेंडर का मामला पहुंचा HC, सबसे कम रेट वाली कंपनी को नहीं मिला टेंडर

बिहार के 693 सरकारी अस्पताल और स्वास्थ्य केंद्रों के मरीजों की पैथोलॉजी जांच के लिए टेंडर में विवाद का मामला पटना हाईकोर्ट तक पहुंच गया है।

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बिहार में पैथोलॉजी जांच टेंडर का मामला | Image: Shutterstock

Bihar Pathology Testing Tender: बिहार के 600 से ज्यादा सरकारी अस्पताल और स्वास्थ्य केंद्रों के मरीजों की पैथोलॉजी जांच के लिए टेंडर वाला मामला अब पटना हाईकोर्ट पहुंच गया। पटना हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को 3 दिन में टेंडर के दस्तावेज दिखाने कहा है। सोमवार को मामले की अगली सुनवाई होगी। बिहार राज्य स्वास्थ्य समिति ने 5 नवंबर को हरियाणा की हिन्दुस्तान वेलनेस प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को जांच का ठेका दिया जो टेंडर की भाषा में एल2 यानी सबसे सस्ता रेट देने वाली दूसरी कंपनी थी। भोपाल की जिस कंपनी ने सबसे सस्ता रेट दिया था, उस कंपनी (साइंस हाउस मेडिकल्स प्राइवेट लिमिटेड) को ठेका नहीं मिला क्योंकि उसके खिलाफ हरियाणा वाली कंपनी के अलावा सबसे सस्ता रेट वाली तीसरी कंपनी लखनऊ के पीओसीटी सर्विसेज ने आपत्तियां दाखिल की थी।

भोपाल वाली साइंस हाउस मेडिकल्स के वकील निर्भय प्रशांत ने बताया कि सोमवार को चीफ जस्टिस के विनोद चंद्रन और जस्टिस पार्थ सारथी की बेंच में मामले की सुनवाई होगी। भोपाल वाली कंपनी से पहले लखनऊ वाली कंपनी भी हाईकोर्ट जा चुकी है और टेंडर को रद्द करने की अपील की है। टेंडर में सात कंपनियों ने हिस्सा लिया था जिसमें बोली के हिसाब से एल1 और एल3 रही कंपनियां कोर्ट में मामला ले जा चुकी हैं। साइंस हाउस का आरोप है कि उसे आपत्तियों पर जवाब देने का मौका दिए बिना दूसरे नंबर की बोली वाली कंपनी को ठेका दिया गया है।

किस आधार पर दिया जाएगा टेंडर ? 

राज्य सरकार के द्वारा निर्धारित बेस रेट पर भोपाल की साइंस हाउस मेडिकल्स ने 77.07 परसेंट की छूट की बोली लगाई थी। हरियाणा की हिन्दुस्तान वेलनेस की बोली 73.05 परसेंट छूट की थी। लखनऊ की पीओसीटी सर्विसेज ने 69.03 परसेंट छूट का टेंडर डाला था। सबसे कम रेट के बाद भी भोपाल की कंपनी के बदले हरियाणा की कंपनी को जांच का ठेका मिलने से राज्य सरकार को करोड़ों रुपए का नुकसान हो सकता है।

भोपाल और लखनऊ वाली कंपनी ने की गुजारिश

हाईकोर्ट में अब भोपाल की एल1 कंपनी और लखनऊ की एल3 कंपनी ने अलग-अलग मुकदमा करके टेंडर को रद्द करने की गुजारिश की है। साइंस हाउस ने टेंडर को इस आधार पर चुनौती दी है कि उसे एल2 और एल3 की आपत्तियों पर जवाब देने का मौका नहीं दिया गया। साइंह हाउस के खिलाफ आपत्ति ये थी कि उसने टेंडर में एक जगह 1 परसेंट छूट लिखा है जबकि दूसरी जगह 77.06 परसेंट। कंपनी का कहना है कि टेंडर नियमों के मुताबिक टेंडर के कागजात में 77.06 ही दर्ज है।  

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Published By : Nidhi Mudgill

पब्लिश्ड 22 November 2024 at 12:29 IST