अपडेटेड 23 January 2024 at 20:44 IST
मोदी सरकार का बड़ा ऐलान, बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को मिलेगा भारत रत्न
कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न (मरणोपरांत) से सम्मानित करने का ऐलान किया गया है। बिहार के मुख्यमंत्री रहे ठाकुर पिछड़े वर्गों के हितों में आवाज उठाते थे।
Karpoori Thakur awarded Bharat Ratna : केंद्र नरेंद्र मोदी सरकार ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न (मरणोपरांत) देने का ऐलान किया गया है। कर्पूरी ठाकुर पिछड़े वर्गों के हितों की आवाज बुलंदी से उठाते थे। इससे पहले जनता दल यूनाइटेड (JDU) ने कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न दिए जाने की मांग की थी। बुधवार को पिछड़े वर्गों के नाते कर्पूरी ठाकुर की बुधवार 100वीं जन्म जयंती है। इससे पहले सरकार ने उन्हें मरणोपरांत भारत रत्न देने का ऐलान किया है।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार काफी समय से कर्पूरी ठाकुर के लिए भारत रत्न की मांग कर रहे हैं। भारत की राजनीति में सभी नेता ठाकुर की ओर आदर का भाव रखते हैं। कर्पूरी ठाकुर ने दो बार बिहार में मुख्यमंत्री के रूप में जनता की सेवा की है। वह सत्तर के दशक में दो दिसंबर, 1970 से जून 1971 और दिसंबर 1977 से अप्रैल 1979 तक बिहार के मुख्यमंत्री रहे। उन्होंने विपक्ष के नेता के रूप में भी बिहार की जनता की आवाज उठाई है। बिहार के पिछड़े इलाकों में कई शैक्षणिक संस्थानों का नाम कर्पूरी ठाकुर के नाम पर रखा गया है।
पीएम मोदी ने जताई खुशी
कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न (मरणोपरांत) की घोषणा पर पीएम मोदी ने खुशी जताई है। उन्होंने X पर लिखा- मुझे इस बात की बहुत प्रसन्नता हो रही है कि भारत सरकार ने समाजिक न्याय के पुरोधा महान जननायक कर्पूरी ठाकुर जी को भारत रत्न से सम्मानित करने का निर्णय लिया है। उनकी जन्म-शताब्दी के अवसर पर यह निर्णय देशवासियों को गौरवान्वित करने वाला है। पिछड़ों और वंचितों के उत्थान के लिए कर्पूरी जी की अटूट प्रतिबद्धता और दूरदर्शी नेतृत्व ने भारत के सामाजिक-राजनीतिक परिदृश्य पर अमिट छाप छोड़ी है। यह भारत रत्न न केवल उनके अतुलनीय योगदान का विनम्र सम्मान है, बल्कि इससे समाज में समरसता को और बढ़ावा मिलेगा।
कौन थे जननायक कर्पूरी ठाकुर?
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी नेता कर्पूरी ठाकुर को मरणोपरांत ‘भारत रत्न’ से सम्मानित करने की घोषणा मंगलवार को राष्ट्रपति भवन ने की। कर्पूरी ठाकुर का जन्म बिहार के समस्तीपुर जिले के पितौझिया गांव में हुआ था। मैट्रिक पास ठाकुर ने स्वतंत्रता आंदोलन में भी अपनी भूमिका निभाई थी। इसके बाद उन्होंने समाजवाद का रास्ता चुना और 1942 में महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन का भी हिस्सा बनें। असहयोग आंदोलन के चलते कर्पूरी ठाकुर को जेल भी जाना पड़ा था।
साल 1945 में जब ठाकुर जेल से बाहर आए तो धीरे-धीरे समाजवादी आंदोलनों का बड़ा चेहरा बन गए। वो अंग्रेजों से आजादी के साथ-साथ जातीय और सामाजिक भेदभाव को लेकर भी अपनी आवाज बुंदल करते थे। ‘जननायक’ के रूप में मशहूर कर्पूरी ठाकुर का निधन 17 फरवरी, 1988 को हो गया था।
Published By : Sagar Singh
पब्लिश्ड 23 January 2024 at 20:06 IST