अपडेटेड 24 September 2023 at 06:39 IST

Pitru Paksha 2023: आखिर बिहार के गया में ही क्यों किया जाता है पिंड दान? ये है इसके पीछे का कारण

हिंदू धर्म में जब किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है, तो उनकी आत्मा की शांति के लिए गयाजी में श्राद्ध और पिंडदान किया जाता है, लेकिन ये बिहार के गया में ही क्यों होता है। क्या है इसकी वजह?

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image- shutterstock | Image: self

Bihar Ke Gaya Me Hi Kyu Kiya Jata Hai Pind Daan?: हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का बहुत ही खास महत्व माना जाता है। इस दौरान पितरों की आत्मा की शांति के लिए उनका पिंडदान, तर्पण विधि और श्राद्ध कर्म किया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि पितृपक्ष में श्राद्ध करने से पिंडदान सीधे पितरों तक पहुंचता है। वैसे तो देशभर में पिंडदान और श्राद्ध कर्म करने के लिए 55 स्थानों को महत्वपूर्ण माना गया है, लेकिन उन सभी में बिहार का गया तीर्थ सर्वोपरि है। आखिर ऐसा क्यों? तो चलिए जानते हैं इसके पीछे की वजह क्या है?

स्टोरी में आगे ये पढ़ें....

  • कब किया जाता है पितरों का पिंडदान और तर्पण?
  • गया में ही क्यों किया जाता है पिंडदान?
  • बिहार के गया में पिंडदान का महत्व क्या है?

कब किया जाता है पितरों का पिंडदान और तर्पण?

हर साल भादो माह की पूर्णिमा तिथि से पितृ पक्ष की शुरुआत होती है जो अश्विन माह की अमावस्या तक चलती है। इस दौरान पितरों का पिंडदान और तर्पण किया जाता है।  

गया में ही क्यों किया जाता है पिंडदान?

वैसे तो देश के कई स्थानों पर पितृ पक्ष के दौरान पिंडदान और तर्पण किए जाने की परंपरा है, लेकिन बिहार में स्थित गया जिसे गया जी के नाम से भी जाना जाता है। यहां पिंडदान का अलग-अलग महत्व होता है। धार्मिक मान्यता है कि गया में पिंडदान करने से 108 कुल और 7 पीढ़ियों का उद्धार होता है और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसलिए ज्यादातर गयाजी में ही पितरों का पिंडदान किया जाता है। 

बिहार के गया में पिंडदान का महत्व क्या है?

बिहार के गयाजी में पिंडदान का बेहद खास महत्व होता है, जिसके बारे में गरुड़ पुराण के आधारकाण्ड में बताया गाया है। कहा जाता है कि गया में भगवान राम और सीता ने पिता राजा दशरथ का पिंडदान किया था। गरुड़ पुराण के मुताबिक अगर यहां पितृपक्ष में पिंडदान किया जाए तो पितरों को सीधे स्वर्ग की प्राप्ति होती है। धार्मिक मान्यता है कि भगवान श्रीहरि यहां पर पितृ देवता के रूप में विराजमान रहते हैं। इसलिए इसे पितृ तीर्थ भी कहा जाता है।

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Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्‍यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है। 

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Published By : Sadhna Mishra

पब्लिश्ड 24 September 2023 at 06:36 IST