अपडेटेड 12 January 2024 at 17:32 IST
जिस कालाराम मंदिर में PM Modi ने लगाया पोंछा, उसी मंदिर से भीमराव अम्बेडकर ने चलाया था सत्याग्रह
PM Modi ने शुक्रवार को नासिक के कालाराम मंदिर में पूजा-अर्चना की। कालाराम मंदिर का इतिहास बेहद दिलचस्प है।
Kalaram Temple Entry Movement: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को नासिक में भगवान राम के प्रख्यात कालाराम मंदिर में पूजा-अर्चना की और इस दौरान उन्होंने झांझ-मजीरे भी बजाए। प्रधानमंत्री मोदी (PM Modi) का यह दौरा 22 जनवरी को भव्य राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से ठीक 10 दिन पहले हुआ। कालाराम मंदिर का इतिहास दलित उत्थान, बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर और भगवान श्रीराम के जीवन जुड़ा है।
खबर में आगे पढ़ें…
- क्या है कालाराम मंदिर का इतिहास?
- कालाराम मंदिर प्रवेश सत्याग्रह
- कालाराम मंदिर का धार्मिक महत्व
पीएम मोदी ने कालाराम मंदिर में पोंछा लगाकर मंदिरों में साफ-सफाई का आह्वान किया। इससे भी अधिक इस मंदिर का महत्व ये है कि यहां भगवान श्रीराम ने वनवास का समय बिताया था और 1930 में बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर ने मंदिर में दलितों के प्रवेश के लिए यह बड़ा आंदोलन शुरू किया था। डॉ. बी.आर. अम्बेडकर के नेतृत्व में कालाराम मंदिर प्रवेश आंदोलन ने भारत में जाति-विरोधी आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
कालाराम मंदिर प्रवेश सत्याग्रह
ये बात इस दौर कि है जब भारत में निचली जाति के लोगों को अछूत माना जाता था। उन्हें मंदिर में प्रवेश की अनुमति भी नहीं थी। निचली जाति के लोगों को सामाजिक, धार्मिक, सांस्कृतिक, आर्थिक और राजनीतिक रूप से उत्पीड़न और भेदभाव का सामना करना पड़ता था। निचली जाति के लोगों को मंदिरों में प्रवेश दिलाने के लिए 1928 में अमरावती और 1929 में पुणे में दो महत्वपूर्ण प्रयास किए गए थे। अमरावती में अंबादेवी मंदिर प्रवेश आंदोलन फरवरी, 1929 में शुरू हुआ और ज्यादा समर्थन नहीं जुटा सका। पुणे में पार्वती मंदिर पर एक और प्रयास अक्टूबर, 1929 में हुआ, जो 1930 तक जारी रहा।
2 मार्च, 1930
2 मार्च, 1930 भारत के इतिहास की वो तारिख है, जब डॉ. बी.आर. अम्बेडकर ने कालाराम मंदिर प्रवेश आंदोलन शुरू किया था। उस वक्त अम्बेडकर की एक आवाज पर करीब 15,000 लोग इकट्ठा हो गए थे। इनमें औरतें भी बड़ी संख्या में शामिल थीं। स्थिति को देखते हुए तत्कालीन बॉम्बे सरकार ने धारा 144 लगा दी थी। पुलिस ने कई प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया बावजूद इसके अम्बेडकर के अनुरोध पर सत्याग्रही शांतिपूर्ण रहे। अम्बेडकर के साथ इस सत्याग्रह में भाऊराव गायकवाड़, पतितपवनदास, अमृतराव रणखंबे और पी.एन. राजभोज जैसे उनके सहयोगियों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
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3 साल चला आंदोलन
2 मार्च, 1930 से शुरू हुआ कालाराम मंदिर प्रवेश आंदोलन अगले तीन सालों तक जारी रहा, मंदिर के दरवाजे निचली जातियों के लिए बंद रहे। कालाराम मंदिर प्रवेश आंदोलन के अनुभव के बाद, डॉ. बी.आर. अम्बेडकर ने किसी अन्य मंदिर प्रवेश आंदोलन में भाग नहीं लिया। उन्हें एहसास हुआ कि मंदिर प्रवेश से अछूतों की समस्याएं हल नहीं होंगी। हालांकि, आंदोलन ने उत्पीड़ित जातियों को सामाजिक और राजनीतिक रूप से जागरूक बनाने के उद्देश्य में योगदान दिया।
1 नवंबर, 1932 को पी. सुब्बारायण ने मद्रास विधान परिषद में मंदिर प्रवेश विधेयक का प्रस्ताव रखा, जिसने निचली जाति के हिंदुओं और दलितों को हिंदू मंदिरों में प्रवेश की अनुमति दी और उनके निषेध को अवैध और दंडनीय बना दिया। हालांकि, इंपीरियल काउंसिल ने जनवरी 1933 में मंदिर प्रवेश विधेयक को खारिज कर दिया।
कालाराम मंदिर का धार्मिक महत्व
कालाराम मंदिर नासिक शहर के पंचवटी क्षेत्र में स्थित में है, जो भगवान राम को समर्पित है। जब भगवान राम 14 साल के वनवास पर गए थे तो पंचवटी में कई महत्वपूर्ण घटनाएं हुए थीं। भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण जी ने दंडकारण्य वन में कई सालों का समय बिताया था। धार्मिक मान्यताएं है कि भगवान राम ने यहां अपनी कुटिया भी बनाई थी। इस वर्तमान मंदिर का निर्माण साल 1782 में हुआ था, जिसमें करीब 12 साल का समय लगा था।
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Published By : Sagar Singh
पब्लिश्ड 12 January 2024 at 17:11 IST