अपडेटेड 29 July 2025 at 17:21 IST
सनातन मूल्यों के संरक्षण के लिए संस्कृत शिक्षण अभियान, 37000 बच्चों ने कराया रजिस्ट्रेशन, 3.5 साल के बच्चे हेत ने जीता सबका दिल
3 से 14 साल के बच्चे इसमें भाग ले रहे हैं और वे बच्चे संस्कृत श्लोकों को याद कर और उनका उच्चारण कर रहे हैं। यह संस्कृत श्लोक मुखपाठ अभियान महंत स्वामी महाराज द्वारा रचित पवित्र ग्रंथ ‘सत्संग दीक्षा’ के 315 श्लोकों के स्मरण पर केंद्रित है।
आज के मनोरंजन प्रधान और व्याकुलता से भरे युग में बच्चों में सांस्कृतिक मूल्यों को संयोजना बड़ी चुनौती बन गया है। साथ ही आज के समय की जरूरत भी। BAPS स्वामीनारायण संस्था ने परम पूज्य महंत स्वामी महाराज की दिव्य प्रेरणा में, एक समग्र संस्कृत शिक्षण आंदोलन की शुरुआत की है, जिसका उद्देश्य बच्चों में संस्कृत भाषा और सनातन मूल्यों को जीवित रखना है। इस पहल को अब तक दुनियाभर में स्वीकृति मिली है।
हजारों बच्चों का हुआ रजिस्ट्रेशन
अभियान के तहत 37,000 से ज्यादा बच्चों ने अब तक इस अभियान के लिए अपना रजिस्ट्रेशन कराया। यही नहीं दिवाली तक 10 हजार बच्चों को संस्कृत शिक्षण से जोड़ने का लक्ष्य तय किया गया है। अकेले मुंबई में ही 1 हजार बच्चों ने अभियान से जुड़कर अपनी यात्रा की शुरुआत कर दी है। इसमें से 400 ने कोर्स पूरा भी कर चुके हैं।
सामने आई कई प्रेरणादायक कहानियां
3 से 14 साल के बच्चे इसमें भाग ले रहे हैं और वे बच्चे संस्कृत श्लोकों को याद कर और उनका उच्चारण कर रहे हैं। यह संस्कृत श्लोक मुखपाठ अभियान महंत स्वामी महाराज द्वारा रचित पवित्र ग्रंथ ‘सत्संग दीक्षा’ के 315 श्लोकों के स्मरण पर केंद्रित है। इस यात्रा से जुड़ी कहानियां अत्यंत प्रेरणादायक निकलकर सामने आ रही हैं, जैसे:
हेत मोरजा नाम का 3 साल 5 महीने के बच्चा जो अभी ठीक से न तो बोल सकता है और न ही समझ सकता है। लेकिन जब उसकी मां उसकी बहन को श्लोक सिखा रही थीं, तो हेत ने केवल सुन-सुनकर 315 श्लोक कंठस्थ कर लिए। हेत मोरजा ने हजारों भक्तों के सामने श्लोकों का पाठ किया।
5 साल के धर्म चौहान नाम को जन्म से ही कई स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियों का सामना करना पड़ा। बच्चे की दोनों किडनी के बीच गांठ होने के कारण उस पर दो से तीन सर्जरी हो चुकी हैं। इससे उसे कई शारीरिक समस्याएं रहीं और एकाग्रात में भी कमी रही। तब भी उसने 315 श्लोकों का पाठ पूरा किया। इससे उसकी एकाग्रता और स्मरणशक्ति में सुधार आया।
12 साल के शरद कामदार, जिन्हें जन्म से ही शारीरिक और मानसिक कठिनाइयां थीं। इस कारण उम्र के अनुसार उसका विकास बहुत कम रहा है। बावजूद इसके बच्चे के माता-पिता ने शरद को 700 श्लोक कंठस्थ करवाए हैं, जिससे उसके मस्तिष्क और व्यवहार में सुधार आया है।
बाल मनोरोग विशेषज्ञ पूज्य श्रेयस सेतु स्वामी कहते हैं कि ये उपलब्धियां सैकड़ों संतों, स्वयंसेवकों और BAPS द्वारा तैयार किए गए सुव्यवस्थित शिक्षण कार्यक्रमों के सामूहिक समर्पण का परिणाम हैं। यह पहल केवल एक शैक्षणिक अभियान नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक क्रांति है। संस्कृत को अपनाकर बच्चे न केवल भाषा की रक्षा कर रहे हैं। इसके साथ ही वे चरित्र, स्मरणशक्ति और एकाग्रता का भी निर्माण कर रहे हैं।
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Published By : Ruchi Mehra
पब्लिश्ड 29 July 2025 at 17:21 IST