अपडेटेड 30 May 2021 at 12:22 IST

ट्विटर पर #ArrestBillGates हुआ ट्रेंड; जानें यूजर्स ने क्यों की बिल गेट्स की गिरफ्तारी की मांग

बिल गेट्स ने भारत में आदिवासी बच्चों पर एक टीके का अनधिकृत क्लीनिकल ट्रायल के लिए एक एनजीओ को आर्थिक मदद की।

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| Image: self

माइक्रोसॉफ्ट के सह-संस्थापक बिल गेट्स ने भारत में आदिवासी बच्चों पर एक टीके का अनधिकृत क्लीनिकल ट्रायल के लिए एक एनजीओ की आर्थिक मदद की। इस बात का खुलासा एक रिपोर्ट में हुआ है। हाल ही में पत्नी मेलिंडा गेट्स के साथ उनके तलाक के समझौते और माइक्रोसॉफ्ट में एक महिला कर्मचारी के साथ उनके अवैध संबंध को लेकर विवादों में घिरे बिल गेट्स के खिलाफ ये आरोप बेहद गंभीर चिंता का विषय हैं। 

रिपोर्ट सामने आने के बाद, अमेरिकी अरबपति के खिलाफ कार्रवाई की मांग के लिए भारत में '#ArrestBillGates' ट्रेंड करने लगा।  

क्या है पूरा मामला?

रविवार को, भारत की एक तिमारी पत्रिका ग्रेटगेमइंडिया के एक रिपोर्ट से पता चला है कि बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन (बीएमजीएफ) ने एचपीवी वैक्सीन के परीक्षण के लिए सिएटल स्थित एक गैर-सरकारी संगठन - एनजीओ पाथ (स्वास्थ्य में उपयुक्त प्रौद्योगिकी के लिए कार्यक्रम) को वित्त पोषित किया है। इस परीक्षण के लिए 2009 में तेलंगाना के खम्मम में 14,000 से अधिक आदिवासी लड़कियों पर क्लिनिकल परीक्षण किया गया। परियोजना में दो प्रकार के एचपीवी टीके- मर्क द्वारा गार्डासिल और ग्लैक्सोस्मिथक्लाइन (जीएसके) द्वारा सर्वारिक्स का उपयोग किया गया था, जिसे सीधे जनजातीय लड़कियों पर बीएमजीएफ द्वारा वित्त पोषित किया गया था।

रिपोर्ट में कहा गया है, 'इसमें शामिल जोखिमों के बारे में जानकारी दिए बिना, बच्चों या उनके माता-पिता की सूचित सहमति के बिना क्लिनिकल ​​परीक्षण किया गया है. इस दौरान परिवार वालों को यह भी नहीं बताया गया कि यह क्लिनिकल परीक्षण है.' 

प्रासंगिक रूप से, खम्मम को भारत के सबसे गरीब और कम विकसित ग्रामीण क्षेत्रों में से एक कहा जाता है और यहां कई जनजातीय समूहों का घर है। परियोजना में भर्ती की गई सभी आदिवासी लड़कियां 10-14 वर्ष से कम उम्र की थीं और कम आय वाले परिवारों की थी। मुख्य रूप से लड़कियां आदिवासी पृष्ठभूमि से संबंधित थीं। अधिकांश को भारत में बिल गेट्स एनजीओ द्वारा उनके माता-पिता की सहमति के बिना परीक्षण के लिए शामिल किया गया था।

बता दें कि ये मामला 2010 में सामने आया, जब दिल्ली स्थित एनजीओ समा ने पता लगाया कि परीक्षण गंभीर रूप से गलत है और कम से कम 120 लड़कियों पर साइड इफेक्ट हुआ है, जिसमें मिर्गी के दौरे,  पेट दर्द, सिर दर्द शामिल थे।

रिपोर्ट के मुताबिक "कई टीकाकरण वाली लड़कियां पेट दर्द, सिरदर्द, चक्कर आना और थकावट से पीड़ित रहती हैं। मासिक धर्म की शुरुआत में भारी रक्तस्राव और गंभीर मासिक धर्म ऐंठन, अत्यधिक मिजाज, चिड़चिड़ापन और टीकाकरण के बाद बेचैनी की खबरें आई हैं। वैक्सीन प्रदाताओं द्वारा अनुवर्ती कार्रवाई या निगरानी ठीक ढंग से नहीं की गई है।"

 

Published By : Ritesh Mishra

पब्लिश्ड 30 May 2021 at 12:22 IST