अपडेटेड 29 December 2025 at 07:33 IST

Aravalli Hills Case: खनन के काम पर लगेगी रोक? अरावली पर्वतमाला की परिभाषा पर सुप्रीम कोर्ट ने लिया संज्ञान, 3 जजों की बेंच आज करेगी सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट अरावली रेंज की नई परिभाषा पर स्वत: संज्ञान लिया है। सोमवार को तीन जजों की पीठ इस मामले पर सुनवाई करेगी। CJI सूर्यकांत अरावली मामले की सुनवाई करने वाली वेकेशन बेंच की अध्यक्षता करेंगे।

Follow :  
×

Share


Aravalli Hills Case | Image: X/ANI

अरावली पहाड़ियों की सुरक्षा से जुड़े मामले पर आज सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगा। हाल ही में कोर्ट ने अरावली पहाड़ियों और पर्वत श्रृंखलाओं की परिभाषा में हुए बदलाव को लेकर उठे विवाद को लेकर लेकर स्वतः संज्ञान लिया है। सुप्रीम कोर्ट में CJI की अवकाशकालीन पीठ में सोमवार को मामले की सुनवाई होगी। पर्यावरणविदों और स्थानीय समुदायों में भारी चिंता के बाद कोर्ट ने इस मामले का खुद संज्ञान लिया है।

भारत के चीफ जस्टिस (CJI) जस्टिस सूर्यकांत अरावली मामले की सुनवाई करने वाली वेकेशन बेंच की अध्यक्षता करेंगे। सोमवार को तीन जजों की पीठ इस मामले पर सुनवाई करेगी। सीजेआई के अलावा इस पीठ में न्यायमूर्ति जेके माहेश्वरी और आगस्टीन जार्ज भी हो सकते हैं। पर्यावरणविदों ने चिंता जताई है कि अनियंत्रित खनन और शहरीकरण से पहाड़ियों को नुकसान पहुंचाया जा रहा है।

SC का फैसला देगा अरावली पहाड़ियों को संरक्षण? 

पर्यावरणविदों ने उम्मीद जताई है कि SC ऐसा फैसला देगा जो अरावली पहाड़ियों के संरक्षण को प्राथमिकता देगा और विनाशकारी खनन प्रथाओं को खत्म करेगा। बता दें कि 20 नवंबर, 2025 को सुप्रीम कोर्ट की एक बेंच ने भारत की सबसे पुरानी पर्वत श्रृंखला, अरावली पहाड़ियों की परिभाषा पर एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया, जिसमें केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) की अगुवाई वाली एक समिति की सिफारिशों को स्वीकार किया गया।

इस नई परिभाषा ने बढ़ाई परेशानी

कोर्ट के फैसले ने अरावली पहाड़ियों की नई परिभाषा को 100 मीटर ऊंचाई की सीमा तक सीमित कर दिया है, जिसके कारण 100 मीटर से कम ऊंचाई वाले पहाड़ी हिस्से पहाड़ों की श्रेणी की परिभाषा से बाहर हो गए हैं, जिससे बड़े पैमाने पर खनन की अनुमति मिल गई। विवाद की जड़ केंद्र द्वारा अरावली पर्वतमाला की यह नई परिभाषा है, जो जो 100 मीटर ऊंचाई के मानदंड पर आधारित है।

ये है अरावली का इतिहास

बता दें कि अरावली पर्वत श्रृंखला दुनिया की सबसे पुरानी पर्वत प्रणालियों में से एक है, जिसके लगभग दो अरब साल पुराना होने का अनुमान है। दिल्ली से गुजरात तक 650 किमी से ज्यादा फैली यह श्रृंखला हरियाणा, राजस्थान और गुजरात से गुजरती है, और उत्तर-पश्चिमी भारत में एक महत्वपूर्ण पारिस्थितिक रीढ़ बनाती है। अरावली मरुस्थलीकरण के खिलाफ एक प्राकृतिक बाधा के रूप में काम करती है, जो थार रेगिस्तान को उपजाऊ इंडो-गंगा के मैदानों में पूर्व की ओर फैलने से रोकती है। चंबल, साबरमती और लूनी जैसी कई महत्वपूर्ण नदियां अरावली प्रणाली से निकलती हैं या उससे पोषित होती हैं।

यह भी पढ़ें: नोएडा नहीं, 'गैस चैंबर' कहिए जनाब! 741 AQI में सांस लेना भी सजा

Published By : Rupam Kumari

पब्लिश्ड 29 December 2025 at 07:26 IST