अपडेटेड 14 April 2022 at 13:35 IST

Ambedkar Jayanti: राष्ट्रपति कोविंद और पीएम मोदी ने संसद भवन में डॉ अंबेडकर को दी श्रद्धांजलि

Ambedkar Jayanti: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को डॉ बाबासाहेब अंबेडकर की 131वीं जयंती पर उन्हें पुष्पांजलि अर्पित की।

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Ambedkar Jayanti: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को डॉ बाबासाहेब अंबेडकर की 131वीं जयंती पर उन्हें पुष्पांजलि अर्पित की। अंबेडकर जयंती मनाने के लिए नई दिल्ली में संसद भवन में आयोजित श्रद्धांजलि समारोह में पीएम मोदी शामिल हुए।

इस कार्यक्रम में पीएम मोदी के साथ-साथ राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, राज्यसभा के उपाध्यक्ष हरिवंश नारायण सिंह, कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे और कई अन्य विपक्ष के नेता भी मौजूद थे।

पीएम मोदी ने गुरुवार को एक ट्विटर पोस्ट के जरिए बीआर अंबेडकर को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कहा कि यह "उनके सपनों को पूरा करने के लिए हमारी प्रतिबद्धता को दोहराने" का दिन है। पीएम मोदी ने यह भी कहा कि बीआर अंबेडकर ने भारत की प्रगति में अमिट योगदान दिया।

"डॉ बाबासाहेब अम्बेडकर को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि। उन्होंने भारत की प्रगति में अमिट योगदान दिया है। यह हमारे देश के लिए उनके सपनों को पूरा करने की हमारी प्रतिबद्धता को दोहराने का दिन है।"

'बाबासाहेब ने रखी थी आधुनिक भारत की नींव' : राष्ट्रपति

राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने भी अंबेडकर जयंती के अवसर पर बी आर अंबेडकर को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कहा कि अम्बेडकर सामाजिक न्याय के प्रबल हिमायती थे। राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि अम्बेडकर ने संविधान के निर्माता होने के नाते आधुनिक भारत की नींव रखी।

“आंबेडकर जयंती पर बाबासाहब को विनम्र श्रद्धांजलि! सामाजिक न्याय के प्रबल पक्षधर, बाबासाहब ने संविधान शिल्पी के रूप में आधुनिक भारत की नींव रखी। आइए, हम उनके ‘पहले भी भारतीय, बाद में भी भारतीय और अंत में भी भारतीय’ के आदर्श पर चलते हुए समावेशी समाज के निर्माण में अपना योगदान दें।"

अम्बेडकर जयंती

डॉ. भीमराव अम्बेडकर का जन्म 14 अप्रैल, 1891 को हुआ था। भारत में उनके योगदान को श्रद्धांजलि देने के लिए, हर साल 14 अप्रैल को भारत में समानता दिवस, अम्बेडकर जयंती या भीम जयंती के रूप में मनाया जाता है।

डॉ. अम्बेडकर एक राजनीतिज्ञ, अर्थशास्त्री, दार्शनिक, मानवविज्ञानी और समाज सुधारक थे जिन्होंने भारतीय जाति व्यवस्था के खिलाफ आवाज उठाकर दलित समुदाय के अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी। डॉ. बी.आर. अम्बेडकर भारत के संविधान के मुख्य वास्तुकार थे जो महिलाओं और श्रम अधिकारों के लिए भी खड़े थे।

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Published By : Lipi Bhoi

पब्लिश्ड 14 April 2022 at 13:35 IST